3. तब मूसा ने लोगों से कहा, अपने में से पुरूषों को युद्ध के लिये हथियार बन्धाओ, कि वे मिद्यानियों पर चढ़के उन से यहोवा का पलटा ले।
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5. तब इस्त्राएल के सब गोत्रों में से प्रत्येक गोत्रा के एक एक हजार पुरूष चुने गये, अर्थात् युद्ध के लिये हथियार- बन्द बारह हजार पुरूष।
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6. प्रत्येक गोत्रा में से उन हजार हजार पुरूषों को, और एलीआजर याजक के पुत्रा पीनहास को, मूसा ने युद्ध करने के लिये भेजा, और उसके हाथ में पवित्रास्थान के पात्रा और वे तुरहियां थीं जो सांस बान्ध बान्ध कर फूंकी जाती थीं।
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7. और जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी, उसके अनुसार उन्हों ने मिद्यानियों से युद्ध करके सब पुरूषों को घात किया।
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8. और दूसरे जूझे हुओं को छोड़ उन्हों ने एवी, रेकेम, सूर, हूर, और रेबा नाम मिद्यान के पांचों राजाओं को घात किया; और बोर के पुत्रा बिलाम को भी उन्हों ने तलवार से घात किया।
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9. और इस्त्राएलियों ने मिद्यानी स्त्रियों को बालबच्चों समेत बन्धुआई में कर लिया; और उनके गाय- बैल, भेड़- बकरी, और उनकी सारी सम्पत्ति को लूट लिया।
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12. यरीहो के पास की यरदन नदी के तीर पर, मोआब के अराबा में, छावनी के निकट, मूसा और एलीआजर याजक और इस्त्राएलियों की मण्डली के पास आए।।
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16. देखे, बिलाम की सम्मति से, पोर के विषय में इस्त्राएलियों से यहोवा का विश्वासघात इन्हीं ने कराया, और यहोवा की मण्डली में मरी फैली।
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17. सो अब बालबच्चों में से हर एक लड़के को, और जितनी स्त्रियों ने पुरूष का मुंह देखा हो उन सभों को घात करो।
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19. और तुम लोग सात दिन तक छावनी के बाहर रहो, और तुम में से जितनों ने किसी प्राणी को घात किया, और जितनों ने किसी मरे हुए को छूआ हो, वे सब अपने अपने बन्धुओं समेत तीसरे और सातवें दिनों में अपने अपने को पाप छुड़ाकर पावन करें।
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20. और सब वस्त्रों, और चमड़े की बनी हुई सब वस्तुओं, और बकरी के बालों की और लकड़ी की बनी हुई सब वस्तुओं को पावन कर लो।
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21. तब एलीआजर याजक ने सेना के उन पुरूषों से जो युद्ध करने गए थे कहा, व्यवस्था की जिस विधि की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी है वह यह है,
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23. जो कुछ आग में ठहर सके उसको आग में डालो, तब वह शुद्ध ठहरेगा; तौभी वह अशुद्धता छुड़ानेवाले जल के द्वारा पावन किया जाए; परन्तु जो कुछ आग में न ठहर सके उसे जल में डुबाओ।
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26. एलीआजर याजक और मण्डली के पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूषों को साथ लेकर तू लूट के मनुष्यों और पशुओं की गिनती कर;
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28. फिर जो सिपाही युद्ध करने को गए थे, उनके आधे में से यहोवा के लिये, क्या मनुष्य, क्या गाय- बैल, क्या गदहे, क्या भेड़- बकरियां
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30. फिर इस्त्राएलियों के आधे में से, क्या मनुष्य, क्या गाय- बैल, क्या गदहे, क्या भेड़- बकरियां, क्या किसी प्रकार का पशु हो, पचास के पीछे एक लेकर यहोवा के निवास की रखवाली करनेवाले लेवियों को दे।
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32. और जो वस्तुएं सेना के पुरूषों ने अपने अपने लिये लूट ली थीं उन से अधिक की लूट यह थी; अर्थात् छ: लाख पचहत्तर हजार भेड़- बकरियां,
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36. और इसका आधा, अर्थात् उनका भाग जो युद्ध करने को गए थे, उस में भेड़बकरियां तीन लाख साढ़े सैंतीस हजार,
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47. इस आधे में से, जिसे मूसा ने युद्ध करनेवाले पुरूषों के पास से अलग किया था, यहोवा की आज्ञा के अनुसार मूसा ने, क्या मनुष्य क्या पशु, पचास पीछे एक लेकर यहोवा के निवास की रखवाली करनेवाले लेवियों को दिया।
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48. तब सहस्त्रापति- शतपति आदि, जो सरदार सेना के हजारों के ऊपर नियुक्त थे, वे मूसा के पास आकर कहने लगे,
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50. इसलिये पायजेब, कड़े, मुंदरियां, बालियां, बाजूबन्द, सोने के जो गहने, जिस ने पाया है, उनको हम यहोवा के साम्हने अपने प्राणों के निमित्त प्रायश्चित्त करने को यहोवा की भेंट करके ले आए हैं।
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52. और सहस्त्रापतियों और शतपतियों ने जो भेंट का सोना यहोवा की भेंट करके दिया वह सब का सब सोलह हजार साढ़े सात सौ शेकेल का था।
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54. यह सोना मूसा और एलीआजर याजक ने सहस्त्रापतियों और शतपतियों से लेकर मिलापवाले तम्बू में पहुंचा दिया, कि इस्त्राएलियों के लिये यहोवा के साम्हने स्म्रण दिलानेवाली वस्तु ठहरे।।
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