2. यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा, और वह पृथ्वी पर भाग्यवान होगा। तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़।
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3. जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।।
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4. मैं ने कहा, हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर; मुझ को चंगा कर, क्योंकि मैं ने तो तेरे विरूद्ध पाप किया है!
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6. और जब वह मुझ से मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है।
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7. मेरे सब बैरी मिलकर मेरे विरूद्ध कानाफूसी करते हैं; मे मेरे विरूद्ध होकर मेरी हानि की कल्पना करते हैं।।
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9. मेरा परम मित्रा जिस पर मैं भरोसा रखता था, जो मेरी रोटी खाता था, उस ने भी मेरे विरूद्ध लात उठाई है।
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