1. पौलुस की ओर से जो परमेश्वर का दास और यीशु मसीह का प्रेरित है, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के विश्वास, और भक्ति के अनुसार है।
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3. पर ठीक समय पर अपने वचन को उस प्रचार के द्वारा प्रगट किया, जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार मुझे सौंपा गया।
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4. तीतुस के नाम जो विश्वास की सहभागिता के विचार से मेरा सच्चा पुत्रा है: परमेश्वर पिता और हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु से अनुग्रह और शान्ति होती रहे।।
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5. मैं इसलिये तुझे क्रेते में छोड़ आया था, कि तू शेष रही हुई बातों को सुधारे, और मेरी आज्ञा के अनुसार नगर नगर प्राचीनों को नियुक्त करे।
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6. जो निर्दोष और एक ही पत्नी के पति हों, जिन के लड़केबाले विश्वासी हो, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं।
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7. क्योंकि अध्यक्ष को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए; न हठी, न क्रोधी, न पियक्कड़, न मारपीट करनेवाला, और न नीच कमाई का लोभी।
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9. और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे; कि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके; और विवादियों का मुंह भी बन्द कर सके।।
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11. इन का मुंह बन्द करना चाहिए: ये लोग नीच कमाई के लिये अनुचित बातें सिखाकर घर के घर बिगाड़ देते हैं।
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12. उन्हीं में से एक जन ने जो उन्हीं भविष्यद्क्ता हैं, कहा है, कि क्रेती लोग सदा झूठे, दुष्ट पशु और आलसी पेटू होते हैं।
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14. और वे यहूदियों की कथा कहानियों और उन मनुष्यों की आज्ञाओं पर मन न लगाएं, जो सत्य से भटक जाते हैं।
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15. शुद्ध लोगों के लिये सब वस्तु शुद्ध हैं, पर अशुद्ध और अविश्वासियों के लिये कुछ भी शुद्ध नहीं: बरन उन की बुद्धि और विवेक दोनों अशुद्ध हैं।
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16. वे कहते हैं, कि हम परमेश्वर को जानते हैं: पर अपने कामों से उसका इन्कार करते हैं, क्योंकि वे घृणित और आज्ञा न माननेवाले हैं: और किसी अच्छे काम के योग्य नहीं।।
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