पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
1 कुरिन्थियों
1. {पौलुस की उद्घोषणा} [PS] हे भाइयों, जब मैं परमेश्‍वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया।
2. क्योंकि मैंने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन् क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूँ। [PE][PS]
3. और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा।
4. और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभानेवाली बातें नहीं*; परन्तु आत्मा और सामर्थ्य का प्रमाण था,
5. इसलिए कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्‍वर की सामर्थ्य पर निर्भर हो। [PS]
6. {आत्मिक ज्ञान} [PS] फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होनेवाले हाकिमों का ज्ञान नहीं;
7. परन्तु हम परमेश्‍वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्‍वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। [PE][PS]
8. जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। (प्रेरि. 13:27)
9. परन्तु जैसा लिखा है, [QBR] “जो आँख ने नहीं देखी*, [QBR] और कान ने नहीं सुनी, [QBR] और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, [QBR] जो परमेश्‍वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।” (यशा. 64:4) [PE][PS]
10. परन्तु परमेश्‍वर ने उनको अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन् परमेश्‍वर की गूढ़ बातें भी जाँचता है।
11. मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उसमें है? वैसे ही परमेश्‍वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्‍वर का आत्मा। (नीति. 20:27) [PE][PS]
12. परन्तु हमने संसार की आत्मा* नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्‍वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्‍वर ने हमें दी हैं।
13. जिनको हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु पवित्र आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मा, आत्मिक ज्ञान से आत्मिक बातों की व्याख्या करती है। [PE][PS]
14. परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्‍वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है।
15. आत्मिक* जन सब कुछ जाँचता है, परन्तु वह आप किसी से जाँचा नहीं जाता। [QBR]
16. “क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखाए?” परन्तु हम में मसीह का मन है। (यशा. 40:13) [PE]

Notes

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1 कुरिन्थियों 2:38
1. {पौलुस की उद्घोषणा} PS हे भाइयों, जब मैं परमेश्‍वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया।
2. क्योंकि मैंने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन् क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को जानूँ। PEPS
3. और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा।
4. और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभानेवाली बातें नहीं*; परन्तु आत्मा और सामर्थ्य का प्रमाण था,
5. इसलिए कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्‍वर की सामर्थ्य पर निर्भर हो। PS
6. {आत्मिक ज्ञान} PS फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होनेवाले हाकिमों का ज्ञान नहीं;
7. परन्तु हम परमेश्‍वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्‍वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। PEPS
8. जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर चढ़ाते। (प्रेरि. 13:27)
9. परन्तु जैसा लिखा है,
“जो आँख ने नहीं देखी*,
और कान ने नहीं सुनी,
और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं,
जो परमेश्‍वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।” (यशा. 64:4) PEPS
10. परन्तु परमेश्‍वर ने उनको अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन् परमेश्‍वर की गूढ़ बातें भी जाँचता है।
11. मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उसमें है? वैसे ही परमेश्‍वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्‍वर का आत्मा। (नीति. 20:27) PEPS
12. परन्तु हमने संसार की आत्मा* नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्‍वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्‍वर ने हमें दी हैं।
13. जिनको हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु पवित्र आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मा, आत्मिक ज्ञान से आत्मिक बातों की व्याख्या करती है। PEPS
14. परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्‍वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है।
15. आत्मिक* जन सब कुछ जाँचता है, परन्तु वह आप किसी से जाँचा नहीं जाता।
16. “क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखाए?” परन्तु हम में मसीह का मन है। (यशा. 40:13) PE
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