पवित्र बाइबिल

इंडियन रिवाइज्ड वर्शन (ISV)
2 शमूएल
1. {#1दाऊद का एक भजन } [PS]जिस समय यहोवा ने दाऊद को उसके सब शत्रुओं और शाऊल के हाथ से बचाया था, उस समय उसने यहोवा के लिये इस गीत के वचन गाए:
2. उसने कहा, [PE][QS]“यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़, मेरा छुड़ानेवाला, [QE]
3. [QS]मेरा चट्टानरूपी परमेश्‍वर है*, जिसका मैं शरणागत हूँ, [QE][QS]मेरी ढाल, मेरा बचानेवाला सींग, मेरा ऊँचा गढ़, और मेरा शरणस्थान है, [QE][QS]हे मेरे उद्धारकर्ता, तू उपद्रव से मेरा उद्धार किया करता है। (भज. 18:2, लूका 1:69) [QE]
4. [QS]मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूँगा, [QE][QS]और मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊँगा। [QE]
5. [QS]“मृत्यु के तरंगों ने तो मेरे चारों ओर घेरा डाला, [QE][QS]नास्तिकपन की धाराओं ने मुझ को घबरा दिया था; [QE]
6. [QS]अधोलोक की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं, [QE][QS]मृत्यु के फंदे मेरे सामने थे। (भज. 116:3) [QE]
7. [QS]अपने संकट में* मैंने यहोवा को पुकारा; [QE][QS]और अपने परमेश्‍वर के सम्मुख चिल्लाया। [QE][QS]उसने मेरी बात को अपने मन्दिर में से सुन लिया, [QE][QS]और मेरी दुहाई उसके कानों में पहुँची। [QE]
8. [QS]“तब पृथ्वी हिल गई और डोल उठी; [QE][QS]और आकाश की नींवें काँपकर बहुत ही हिल गईं, [QE][QS]क्योंकि वह अति क्रोधित हुआ था। [QE]
9. [QS]उसके नथनों से धुआँ निकला, [QE][QS]और उसके मुँह से आग निकलकर भस्म करने लगी; [QE][QS]जिससे कोयले दहक उठे। (भज. 97:3) [QE]
10. [QS]और वह स्वर्ग को झुकाकर नीचे उतर आया; [QE][QS]और उसके पाँवों तले घोर अंधकार छाया था। [QE]
11. [QS]वह करूब पर सवार होकर उड़ा, [QE][QS]और पवन के पंखों पर चढ़कर दिखाई दिया। [QE]
12. [QS]उसने अपने चारों ओर के अंधियारे को, मेघों* के समूह, [QE][QS]और आकाश की काली घटाओं को अपना मण्डप बनाया। [QE]
13. [QS]उसके सम्मुख के तेज से, [QE][QS]आग के कोयले दहक उठे। [QE]
14. [QS]यहोवा आकाश में से गरजा, [QE][QS]और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई। [QE]
15. [QS]उसने तीर चला-चलाकर मेरे शत्रुओं को तितर-बितर कर दिया, [QE][QS]और बिजली गिरा गिराकर उसको परास्त कर दिया। [QE]
16. [QS]तब समुद्र की थाह दिखाई देने लगी, [QE][QS]और जगत की नेवें खुल गईं, यह तो यहोवा की डाँट से, [QE][QS]और उसके नथनों की साँस की झोंक से हुआ। [QE]
17. [QS]“उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, [QE][QS]और मुझे गहरे जल में से खींचकर बाहर निकाला*। [QE]
18. [QS]उसने मुझे मेरे बलवन्त शत्रु से, [QE][QS]और मेरे बैरियों से, जो मुझसे अधिक सामर्थी थे, मुझे छुड़ा लिया। [QE]
19. [QS]उन्होंने मेरी विपत्ति के दिन मेरा सामना तो किया; [QE][QS]परन्तु यहोवा मेरा आश्रय था। [QE]
20. [QS]उसने मुझे निकालकर चौड़े स्थान में पहुँचाया; [QE][QS]उसने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझसे प्रसन्‍न था। [QE]
21. [QS]“यहोवा ने मुझसे मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; [QE][QS]मेरे कामों की शुद्धता के अनुसार उसने मुझे बदला दिया। [QE]
22. [QS]क्योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, [QE][QS]और अपने परमेश्‍वर से मुँह मोड़कर दुष्ट न बना। [QE]
23. [QS]उसके सब नियम तो मेरे सामने बने रहे, [QE][QS]और मैं उसकी विधियों से हट न गया। [QE]
24. [QS]मैं उसके साथ खरा बना रहा, [QE][QS]और अधर्म से अपने को बचाए रहा, [QE][QS]जिसमें मेरे फंसने का डर था। [QE]
25. [QS]इसलिए यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, [QE][QS]मेरी उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था। [QE]
26. [QS]“विश्वासयोग्य के साथ तू अपने को विश्वासयोग्य दिखाता; [QE][QS]खरे पुरुष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है; [QE]
27. [QS]शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता; [QE][QS]और टेढ़े के साथ तू तिरछा बनता है। [QE]
28. [QS]और दीन लोगों को तो तू बचाता है, [QE][QS]परन्तु अभिमानियों पर दृष्टि करके उन्हें नीचा करता है। (लूका 1:51-52) [QE]
29. [QS]हे यहोवा, तू ही मेरा दीपक है, [QE][QS]और यहोवा मेरे अंधियारे को दूर करके उजियाला कर देता है। [QE]
30. [QS]तेरी सहायता से मैं दल पर धावा करता, [QE][QS]अपने परमेश्‍वर की सहायता से मैं शहरपनाह को फाँद जाता हूँ। [QE]
31. [QS]परमेश्‍वर की गति खरी है; [QE][QS]यहोवा का वचन ताया हुआ है; [QE][QS]वह अपने सब शरणागतों की ढाल है। [QE]
32. [QS]“यहोवा को छोड़ क्या कोई परमेश्‍वर है? [QE][QS]हमारे परमेश्‍वर को छोड़ क्या और कोई चट्टान है? [QE]
33. [QS]यह वही परमेश्‍वर है, जो मेरा अति दृढ़ किला है, [QE][QS]वह खरे मनुष्य को अपने मार्ग में लिए चलता है। [QE]
34. [QS]वह मेरे पैरों को हिरनी के समान बना देता है, [QE][QS]और मुझे ऊँचे स्थानों पर खड़ा करता है। [QE]
35. [QS]वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, [QE][QS]यहाँ तक कि मेरी बांहे पीतल के धनुष को झुका देती हैं। [QE]
36. [QS]तूने मुझ को अपने उद्धार की ढाल दी है, [QE][QS]और तेरी नम्रता मुझे बढ़ाती है। [QE]
37. [QS]तू मेरे पैरों के लिये स्थान चौड़ा करता है, [QE][QS]और मेरे पैर नहीं फिसले। [QE]
38. [QS]मैंने अपने शत्रुओं का पीछा करके उनका सत्यानाश कर दिया, [QE][QS]और जब तक उनका अन्त न किया तब तक न लौटा। [QE]
39. [QS]मैंने उनका अन्त किया; [QE][QS]और उन्हें ऐसा छेद डाला है कि वे उठ नहीं सकते; [QE][QS]वरन् वे तो मेरे पाँवों के नीचे गिरे पड़े हैं। [QE]
40. [QS]तूने युद्ध के लिये मेरी कमर बलवन्त की; [QE][QS]और मेरे विरोधियों को मेरे ही सामने परास्त कर दिया। [QE]
41. [QS]और तूने मेरे शत्रुओं की पीठ मुझे दिखाई, [QE][QS]ताकि मैं अपने बैरियों को काट डालूँ। [QE]
42. [QS]उन्होंने बाट तो जोही, परन्तु कोई बचानेवाला न मिला; [QE][QS]उन्होंने यहोवा की भी बाट जोही, [QE][QS]परन्तु उसने उनको कोई उत्तर न दिया। [QE]
43. [QS]तब मैंने उनको कूट कूटकर भूमि की धूल के समान कर दिया, [QE][QS]मैंने उन्हें सड़कों और गली कूचों की कीचड़ के समान पटककर चारों ओर फैला दिया। [QE]
44. [QS]“फिर तूने मुझे प्रजा के झगड़ों से छुड़ाकर अन्यजातियों का प्रधान होने के लिये मेरी रक्षा की; [QE][QS]जिन लोगों को मैं न जानता था वे भी मेरे अधीन हो जाएँगे। [QE]
45. [QS]परदेशी मेरी चापलूसी करेंगे; [QE][QS]वे मेरा नाम सुनते ही मेरे वश में आएँगे। [QE]
46. [QS]परदेशी मुर्झाएँगे, [QE][QS]और अपने किलों में से थरथराते हुए निकलेंगे। [QE]
47. [QS]“यहोवा जीवित है; मेरी चट्टान धन्य है, [QE][QS]और परमेश्‍वर जो मेरे उद्धार की चट्टान है, उसकी महिमा हो। [QE]
48. [QS]धन्य है मेरा पलटा लेनेवाला परमेश्‍वर, [QE][QS]जो देश-देश के लोगों को मेरे वश में कर देता है, [QE]
49. [QS]और मुझे मेरे शत्रुओं के बीच से निकालता है; [QE][QS]हाँ, तू मुझे मेरे विरोधियों से ऊँचा करता है, [QE][QS]और उपद्रवी पुरुष से बचाता है। [QE]
50. [QS]“इस कारण, हे यहोवा, मैं जाति-जाति के सामने तेरा धन्यवाद करूँगा, [QE][QS]और तेरे नाम का भजन गाऊँगा (भज. 18:49) [QE]
51. [QS]वह अपने ठहराए हुए राजा का बड़ा उद्धार करता है, [QE][QS]वह अपने अभिषिक्त दाऊद, और उसके वंश [QE][QS]पर युगानुयुग करुणा करता रहेगा।” [QE]
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दाऊद का एक भजन 1 जिस समय यहोवा ने दाऊद को उसके सब शत्रुओं और शाऊल के हाथ से बचाया था, उस समय उसने यहोवा के लिये इस गीत के वचन गाए: 2 उसने कहा, “यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़, मेरा छुड़ानेवाला, 3 मेरा चट्टानरूपी परमेश्‍वर है*, जिसका मैं शरणागत हूँ, मेरी ढाल, मेरा बचानेवाला सींग, मेरा ऊँचा गढ़, और मेरा शरणस्थान है, हे मेरे उद्धारकर्ता, तू उपद्रव से मेरा उद्धार किया करता है। (भज. 18:2, लूका 1:69) 4 मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूँगा, और मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊँगा। 5 “मृत्यु के तरंगों ने तो मेरे चारों ओर घेरा डाला, नास्तिकपन की धाराओं ने मुझ को घबरा दिया था; 6 अधोलोक की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं, मृत्यु के फंदे मेरे सामने थे। (भज. 116:3) 7 अपने संकट में* मैंने यहोवा को पुकारा; और अपने परमेश्‍वर के सम्मुख चिल्लाया। उसने मेरी बात को अपने मन्दिर में से सुन लिया, और मेरी दुहाई उसके कानों में पहुँची। 8 “तब पृथ्वी हिल गई और डोल उठी; और आकाश की नींवें काँपकर बहुत ही हिल गईं, क्योंकि वह अति क्रोधित हुआ था। 9 उसके नथनों से धुआँ निकला, और उसके मुँह से आग निकलकर भस्म करने लगी; जिससे कोयले दहक उठे। (भज. 97:3) 10 और वह स्वर्ग को झुकाकर नीचे उतर आया; और उसके पाँवों तले घोर अंधकार छाया था। 11 वह करूब पर सवार होकर उड़ा, और पवन के पंखों पर चढ़कर दिखाई दिया। 12 उसने अपने चारों ओर के अंधियारे को, मेघों* के समूह, और आकाश की काली घटाओं को अपना मण्डप बनाया। 13 उसके सम्मुख के तेज से, आग के कोयले दहक उठे। 14 यहोवा आकाश में से गरजा, और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई। 15 उसने तीर चला-चलाकर मेरे शत्रुओं को तितर-बितर कर दिया, और बिजली गिरा गिराकर उसको परास्त कर दिया। 16 तब समुद्र की थाह दिखाई देने लगी, और जगत की नेवें खुल गईं, यह तो यहोवा की डाँट से, और उसके नथनों की साँस की झोंक से हुआ। 17 “उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, और मुझे गहरे जल में से खींचकर बाहर निकाला*। 18 उसने मुझे मेरे बलवन्त शत्रु से, और मेरे बैरियों से, जो मुझसे अधिक सामर्थी थे, मुझे छुड़ा लिया। 19 उन्होंने मेरी विपत्ति के दिन मेरा सामना तो किया; परन्तु यहोवा मेरा आश्रय था। 20 उसने मुझे निकालकर चौड़े स्थान में पहुँचाया; उसने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझसे प्रसन्‍न था। 21 “यहोवा ने मुझसे मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; मेरे कामों की शुद्धता के अनुसार उसने मुझे बदला दिया। 22 क्योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और अपने परमेश्‍वर से मुँह मोड़कर दुष्ट न बना। 23 उसके सब नियम तो मेरे सामने बने रहे, और मैं उसकी विधियों से हट न गया। 24 मैं उसके साथ खरा बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा, जिसमें मेरे फंसने का डर था। 25 इसलिए यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, मेरी उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था। 26 “विश्वासयोग्य के साथ तू अपने को विश्वासयोग्य दिखाता; खरे पुरुष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है; 27 शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता; और टेढ़े के साथ तू तिरछा बनता है। 28 और दीन लोगों को तो तू बचाता है, परन्तु अभिमानियों पर दृष्टि करके उन्हें नीचा करता है। (लूका 1:51-52) 29 हे यहोवा, तू ही मेरा दीपक है, और यहोवा मेरे अंधियारे को दूर करके उजियाला कर देता है। 30 तेरी सहायता से मैं दल पर धावा करता, अपने परमेश्‍वर की सहायता से मैं शहरपनाह को फाँद जाता हूँ। 31 परमेश्‍वर की गति खरी है; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है। 32 “यहोवा को छोड़ क्या कोई परमेश्‍वर है? हमारे परमेश्‍वर को छोड़ क्या और कोई चट्टान है? 33 यह वही परमेश्‍वर है, जो मेरा अति दृढ़ किला है, वह खरे मनुष्य को अपने मार्ग में लिए चलता है। 34 वह मेरे पैरों को हिरनी के समान बना देता है, और मुझे ऊँचे स्थानों पर खड़ा करता है। 35 वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, यहाँ तक कि मेरी बांहे पीतल के धनुष को झुका देती हैं। 36 तूने मुझ को अपने उद्धार की ढाल दी है, और तेरी नम्रता मुझे बढ़ाती है। 37 तू मेरे पैरों के लिये स्थान चौड़ा करता है, और मेरे पैर नहीं फिसले। 38 मैंने अपने शत्रुओं का पीछा करके उनका सत्यानाश कर दिया, और जब तक उनका अन्त न किया तब तक न लौटा। 39 मैंने उनका अन्त किया; और उन्हें ऐसा छेद डाला है कि वे उठ नहीं सकते; वरन् वे तो मेरे पाँवों के नीचे गिरे पड़े हैं। 40 तूने युद्ध के लिये मेरी कमर बलवन्त की; और मेरे विरोधियों को मेरे ही सामने परास्त कर दिया। 41 और तूने मेरे शत्रुओं की पीठ मुझे दिखाई, ताकि मैं अपने बैरियों को काट डालूँ। 42 उन्होंने बाट तो जोही, परन्तु कोई बचानेवाला न मिला; उन्होंने यहोवा की भी बाट जोही, परन्तु उसने उनको कोई उत्तर न दिया। 43 तब मैंने उनको कूट कूटकर भूमि की धूल के समान कर दिया, मैंने उन्हें सड़कों और गली कूचों की कीचड़ के समान पटककर चारों ओर फैला दिया। 44 “फिर तूने मुझे प्रजा के झगड़ों से छुड़ाकर अन्यजातियों का प्रधान होने के लिये मेरी रक्षा की; जिन लोगों को मैं न जानता था वे भी मेरे अधीन हो जाएँगे। 45 परदेशी मेरी चापलूसी करेंगे; वे मेरा नाम सुनते ही मेरे वश में आएँगे। 46 परदेशी मुर्झाएँगे, और अपने किलों में से थरथराते हुए निकलेंगे। 47 “यहोवा जीवित है; मेरी चट्टान धन्य है, और परमेश्‍वर जो मेरे उद्धार की चट्टान है, उसकी महिमा हो। 48 धन्य है मेरा पलटा लेनेवाला परमेश्‍वर, जो देश-देश के लोगों को मेरे वश में कर देता है, 49 और मुझे मेरे शत्रुओं के बीच से निकालता है; हाँ, तू मुझे मेरे विरोधियों से ऊँचा करता है, और उपद्रवी पुरुष से बचाता है। 50 “इस कारण, हे यहोवा, मैं जाति-जाति के सामने तेरा धन्यवाद करूँगा, और तेरे नाम का भजन गाऊँगा (भज. 18:49) 51 वह अपने ठहराए हुए राजा का बड़ा उद्धार करता है, वह अपने अभिषिक्त दाऊद, और उसके वंश पर युगानुयुग करुणा करता रहेगा।”
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