पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
निर्गमन
1. {मूसा का विजयी गीत} [PS] तब मूसा और इस्राएलियों ने यहोवा के लिये यह गीत गाया। उन्होंने कहा, [QBR] “मैं यहोवा का गीत गाऊँगा, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; [QBR] घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में डाल दिया है। [QBR]
2. यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है*, [QBR] और वही मेरा उद्धार भी ठहरा है; [QBR] मेरा परमेश्‍वर वही है, मैं उसी की स्तुति करूँगा, [QBR] (मैं उसके लिये निवास-स्थान बनाऊँगा), मेरे पूर्वजों का परमेश्‍वर वही है, [QBR] मैं उसको सराहूँगा। [QBR]
3. यहोवा योद्धा है; [QBR] उसका नाम यहोवा है। [QBR]
4. फ़िरौन के रथों और सेना को उसने समुद्र में डाल दिया; [QBR] और उसके उत्तम से उत्तम रथी लाल समुद्र में डूब गए। [QBR]
5. गहरे जल ने उन्हें ढाँप लिया; [QBR] वे पत्थर के समान गहरे स्थानों में डूब गए। [QBR]
6. हे यहोवा, तेरा दाहिना हाथ शक्ति में महाप्रतापी हुआ हे यहोवा, [QBR] तेरा दाहिना हाथ शत्रु को चकनाचूर कर देता है। [QBR]
7. तू अपने विरोधियों को अपने महाप्रताप से गिरा देता है; [QBR] तू अपना कोप भड़काता, और वे भूसे के समान भस्म हो जाते हैं। [QBR]
8. तेरे नथनों की साँस से जल एकत्र हो गया, धाराएँ ढेर के समान थम गईं; [QBR] समुद्र के मध्य में गहरा जल जम गया। [QBR]
9. शत्रु ने कहा था, [QBR] मैं पीछा करूँगा, मैं जा पकड़ूँगा, [QBR] मैं लूट के माल को बाँट लूँगा, [QBR] उनसे मेरा जी भर जाएगा। [QBR] मैं अपनी तलवार खींचते ही अपने हाथ से उनको नाश कर डालूँगा। [QBR]
10. तूने अपने श्‍वास का पवन चलाया, तब समुद्र ने उनको ढाँप लिया; [QBR] वे समुद्र में सीसे के समान डूब गए। [QBR]
11. हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? [QBR] तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, [QBR] और अपनी स्तुति करनेवालों के भय के योग्य, [QBR] और आश्चर्यकर्मों का कर्ता है। [QBR]
12. तूने अपना दाहिना हाथ बढ़ाया, [QBR] और पृथ्वी ने उनको निगल लिया है। [QBR]
13. अपनी करुणा से तूने अपनी छुड़ाई हुई प्रजा की अगुआई की है, [QBR] अपने बल से तू उसे अपने पवित्र निवास-स्थान को ले चला है। [QBR]
14. देश-देश के लोग सुनकर काँप उठेंगे; [QBR] पलिश्तियों के प्राणों के लाले पड़ जाएँगे। [QBR]
15. एदोम के अधिपति व्याकुल होंगे; [QBR] मोआब के पहलवान* थरथरा उठेंगे; [QBR] सब कनान निवासियों के मन पिघल जाएँगे। [QBR]
16. उनमें डर और घबराहट समा जाएगा; [QBR] तेरी बाँह के प्रताप से वे पत्थर के समान अबोल होंगे, [QBR] जब तक, हे यहोवा, तेरी प्रजा के लोग निकल न जाएँ, [QBR] जब तक तेरी प्रजा के लोग जिनको तूने मोल लिया है पार न निकल जाएँ। [QBR]
17. तू उन्हें पहुँचाकर अपने निज भागवाले पहाड़ पर बसाएगा, यह वही स्थान है, [QBR] हे यहोवा जिसे तूने अपने निवास के लिये बनाया, [QBR] और वही पवित्रस्‍थान है जिसे, [QBR] हे प्रभु, तूने आप ही स्थिर किया है। [QBR]
18. यहोवा सदा सर्वदा राज्य करता रहेगा।” [PE][PS]
19. यह गीत गाने का कारण यह है, कि फ़िरौन के घोड़े रथों और सवारों समेत समुद्र के बीच में चले गए, और यहोवा उनके ऊपर समुद्र का जल लौटा ले आया; परन्तु इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर होकर चले गए। [PS]
20. {मिर्याम का विजयी गीत} [PS] तब हारून की बहन मिर्याम नाम नबिया* ने हाथ में डफ लिया; और सब स्त्रियाँ डफ लिए नाचती हुई उसके पीछे हो लीं।
21. और मिर्याम उनके साथ यह टेक गाती गई कि: [QBR] “यहोवा का गीत गाओ, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; [QBR] घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में डाल दिया है।” [PS]
22. {कड़वे पानी को मीठा पानी बनाना} [PS] तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नामक जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला।
23. फिर मारा नामक एक स्थान पर पहुँचे, वहाँ का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा।
24. तब वे यह कहकर मूसा के विरुद्ध बड़बड़ाने लगे, “हम क्या पीएँ?”
25. तब मूसा ने यहोवा की दुहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बता दिया, जिसे जब उसने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उसने यह कहकर उनकी परीक्षा की,
26. “यदि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैंने मिस्रियों पर भेजे हैं उनमें से एक भी तुझ पर न भेजूँगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करनेवाला यहोवा हूँ।”
27. तब वे एलीम* को आए, जहाँ पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे; और वहाँ उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए। [PE]

Notes

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निर्गमन 15:26
मूसा का विजयी गीत 1 तब मूसा और इस्राएलियों ने यहोवा के लिये यह गीत गाया। उन्होंने कहा, “मैं यहोवा का गीत गाऊँगा, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में डाल दिया है। 2 यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है*, और वही मेरा उद्धार भी ठहरा है; मेरा परमेश्‍वर वही है, मैं उसी की स्तुति करूँगा, (मैं उसके लिये निवास-स्थान बनाऊँगा), मेरे पूर्वजों का परमेश्‍वर वही है, मैं उसको सराहूँगा। 3 यहोवा योद्धा है; उसका नाम यहोवा है। 4 फ़िरौन के रथों और सेना को उसने समुद्र में डाल दिया; और उसके उत्तम से उत्तम रथी लाल समुद्र में डूब गए। 5 गहरे जल ने उन्हें ढाँप लिया; वे पत्थर के समान गहरे स्थानों में डूब गए। 6 हे यहोवा, तेरा दाहिना हाथ शक्ति में महाप्रतापी हुआ हे यहोवा, तेरा दाहिना हाथ शत्रु को चकनाचूर कर देता है। 7 तू अपने विरोधियों को अपने महाप्रताप से गिरा देता है; तू अपना कोप भड़काता, और वे भूसे के समान भस्म हो जाते हैं। 8 तेरे नथनों की साँस से जल एकत्र हो गया, धाराएँ ढेर के समान थम गईं; समुद्र के मध्य में गहरा जल जम गया। 9 शत्रु ने कहा था, मैं पीछा करूँगा, मैं जा पकड़ूँगा, मैं लूट के माल को बाँट लूँगा, उनसे मेरा जी भर जाएगा। मैं अपनी तलवार खींचते ही अपने हाथ से उनको नाश कर डालूँगा। 10 तूने अपने श्‍वास का पवन चलाया, तब समुद्र ने उनको ढाँप लिया; वे समुद्र में सीसे के समान डूब गए। 11 हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करनेवालों के भय के योग्य, और आश्चर्यकर्मों का कर्ता है। 12 तूने अपना दाहिना हाथ बढ़ाया, और पृथ्वी ने उनको निगल लिया है। 13 अपनी करुणा से तूने अपनी छुड़ाई हुई प्रजा की अगुआई की है, अपने बल से तू उसे अपने पवित्र निवास-स्थान को ले चला है। 14 देश-देश के लोग सुनकर काँप उठेंगे; पलिश्तियों के प्राणों के लाले पड़ जाएँगे। 15 एदोम के अधिपति व्याकुल होंगे; मोआब के पहलवान* थरथरा उठेंगे; सब कनान निवासियों के मन पिघल जाएँगे। 16 उनमें डर और घबराहट समा जाएगा; तेरी बाँह के प्रताप से वे पत्थर के समान अबोल होंगे, जब तक, हे यहोवा, तेरी प्रजा के लोग निकल न जाएँ, जब तक तेरी प्रजा के लोग जिनको तूने मोल लिया है पार न निकल जाएँ। 17 तू उन्हें पहुँचाकर अपने निज भागवाले पहाड़ पर बसाएगा, यह वही स्थान है, हे यहोवा जिसे तूने अपने निवास के लिये बनाया, और वही पवित्रस्‍थान है जिसे, हे प्रभु, तूने आप ही स्थिर किया है। 18 यहोवा सदा सर्वदा राज्य करता रहेगा।” 19 यह गीत गाने का कारण यह है, कि फ़िरौन के घोड़े रथों और सवारों समेत समुद्र के बीच में चले गए, और यहोवा उनके ऊपर समुद्र का जल लौटा ले आया; परन्तु इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर होकर चले गए। मिर्याम का विजयी गीत 20 तब हारून की बहन मिर्याम नाम नबिया* ने हाथ में डफ लिया; और सब स्त्रियाँ डफ लिए नाचती हुई उसके पीछे हो लीं। 21 और मिर्याम उनके साथ यह टेक गाती गई कि: “यहोवा का गीत गाओ, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में डाल दिया है।” कड़वे पानी को मीठा पानी बनाना 22 तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नामक जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला। 23 फिर मारा नामक एक स्थान पर पहुँचे, वहाँ का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा। 24 तब वे यह कहकर मूसा के विरुद्ध बड़बड़ाने लगे, “हम क्या पीएँ?” 25 तब मूसा ने यहोवा की दुहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बता दिया, जिसे जब उसने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उसने यह कहकर उनकी परीक्षा की, 26 “यदि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैंने मिस्रियों पर भेजे हैं उनमें से एक भी तुझ पर न भेजूँगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करनेवाला यहोवा हूँ।” 27 तब वे एलीम* को आए, जहाँ पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे; और वहाँ उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए।
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