पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
इब्रानियों
1. {#1पुत्र का स्वभाव } [PS]पूर्व युग में परमेश्‍वर ने पूर्वजों से थोड़ा-थोड़ा करके और भाँति-भाँति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें की,
2. पर इन अन्तिम दिनों में हम से अपने पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि भी रची है। (1 कुरि. 8:6, यूह. 1:3)
3. वह उसकी महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊँचे स्थानों पर महामहिमन् के दाहिने जा बैठा। [PE]
4.
5. [PS]और स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम ठहरा*, जितना उसने उनसे बड़े पद का वारिस होकर उत्तम नाम पाया। [PE]{#1यीशु स्वर्गदूतों से श्रेष्ठ } [PS]क्योंकि स्वर्गदूतों में से उसने कब किसी से कहा, [PE][QS]“तू मेरा पुत्र है; [QE][QS]आज मैं ही ने तुझे जन्माया है?” [QE][QS]और फिर यह, [QE][QS]“मैं उसका पिता हूँगा, [QE][QS]और वह मेरा पुत्र होगा?” (2 शमू. 7:14, 1 इति. 17:13, भज. 2:7) [QE]
6. [PS]और जब पहलौठे को जगत में फिर लाता है, तो कहता है, “परमेश्‍वर के सब स्वर्गदूत उसे दण्डवत् करें।” (व्य. 32:43, 1 पत. 3:22)
7. और स्वर्गदूतों के विषय में यह कहता है, [PE][QS]“वह अपने दूतों को पवन, [QE][QS]और अपने सेवकों को धधकती आग बनाता है।” (भज. 104:4) [QE]
8. [PS]परन्तु पुत्र के विषय में कहता है, [PE][QS]“हे परमेश्‍वर, तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा, [QE][QS]तेरे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड है। [QE]
9. [QS]तूने धार्मिकता से प्रेम और अधर्म से बैर रखा; [QE][QS]इस कारण परमेश्‍वर, तेरे परमेश्‍वर, ने [QE][QS]तेरे साथियों से बढ़कर हर्षरूपी तेल से तेरा अभिषेक किया।” (भज. 45:7) [QE]
10. [QS]और यह कि, “हे प्रभु, आदि में तूने पृथ्वी की नींव डाली, [QE][QS]और स्वर्ग तेरे हाथों की कारीगरी है। (भज. 102:25, उत्प. 1:1) [QE]
11. [QS]वे तो नाश हो जाएँगे*; परन्तु तू बना रहेगा और [QE][QS]वे सब वस्त्र के समान पुराने हो जाएँगे। [QE]
12. [QS]और तू उन्हें चादर के समान लपेटेगा, [QE][QS]और वे वस्त्र के समान बदल जाएँगे: [QE][QS]पर तू वही है [QE][QS]और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।” (इब्रा. 13:8, भज. 102:25-26) [QE]
13. [PS]और स्वर्गदूतों में से उसने किस से कभी कहा, [QE][QS]“तू मेरे दाहिने बैठ, [QE][QS]जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे की चौकी न कर दूँ?” (मत्ती 22:44, भज. 110:1) [QE]
14. [PS]क्या वे सब परमेश्‍वर की सेवा टहल करनेवाली आत्माएँ नहीं; जो उद्धार पानेवालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं? (भज. 103:20-21) [QE]
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पुत्र का स्वभाव 1 पूर्व युग में परमेश्‍वर ने पूर्वजों से थोड़ा-थोड़ा करके और भाँति-भाँति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें की, 2 पर इन अन्तिम दिनों में हम से अपने पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि भी रची है। (1 कुरि. 8:6, यूह. 1:3) 3 वह उसकी महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊँचे स्थानों पर महामहिमन् के दाहिने जा बैठा। 4 5 और स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम ठहरा*, जितना उसने उनसे बड़े पद का वारिस होकर उत्तम नाम पाया। यीशु स्वर्गदूतों से श्रेष्ठ क्योंकि स्वर्गदूतों में से उसने कब किसी से कहा, “तू मेरा पुत्र है; आज मैं ही ने तुझे जन्माया है?” और फिर यह, “मैं उसका पिता हूँगा, और वह मेरा पुत्र होगा?” (2 शमू. 7:14, 1 इति. 17:13, भज. 2:7) 6 और जब पहलौठे को जगत में फिर लाता है, तो कहता है, “परमेश्‍वर के सब स्वर्गदूत उसे दण्डवत् करें।” (व्य. 32:43, 1 पत. 3:22) 7 और स्वर्गदूतों के विषय में यह कहता है, “वह अपने दूतों को पवन, और अपने सेवकों को धधकती आग बनाता है।” (भज. 104:4) 8 परन्तु पुत्र के विषय में कहता है, “हे परमेश्‍वर, तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा, तेरे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड है। 9 तूने धार्मिकता से प्रेम और अधर्म से बैर रखा; इस कारण परमेश्‍वर, तेरे परमेश्‍वर, ने तेरे साथियों से बढ़कर हर्षरूपी तेल से तेरा अभिषेक किया।” (भज. 45:7) 10 और यह कि, “हे प्रभु, आदि में तूने पृथ्वी की नींव डाली, और स्वर्ग तेरे हाथों की कारीगरी है। (भज. 102:25, उत्प. 1:1) 11 वे तो नाश हो जाएँगे*; परन्तु तू बना रहेगा और वे सब वस्त्र के समान पुराने हो जाएँगे। 12 और तू उन्हें चादर के समान लपेटेगा, और वे वस्त्र के समान बदल जाएँगे: पर तू वही है और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।” (इब्रा. 13:8, भज. 102:25-26) 13 और स्वर्गदूतों में से उसने किस से कभी कहा, “तू मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे की चौकी न कर दूँ?” (मत्ती 22:44, भज. 110:1) 14 क्या वे सब परमेश्‍वर की सेवा टहल करनेवाली आत्माएँ नहीं; जो उद्धार पानेवालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं? (भज. 103:20-21)
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