पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यशायाह
1. {शान्ति का शहर} [PS] आमोत्‍स के पुत्र यशायाह का वचन, जो उसने यहूदा और यरूशलेम के विषय में दर्शन में पाया। [QBR]
2. अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, [QBR] और सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; [QBR] और हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे। [QBR]
3. और बहुत देशों के लोग आएँगे, और आपस में कहेंगे: [QBR] “आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्‍वर के भवन में जाएँ; [QBR] तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।” [QBR] क्योंकि यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा। (जक. 8:20-23) [QBR]
4. वह जाति-जाति का न्याय करेगा, और देश-देश के लोगों के झगड़ों को मिटाएगा; [QBR] और वे अपनी तलवारें पीट कर हल के फाल और अपने भालों को हँसिया बनाएँगे; [QBR] तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, [QBR] न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे। अहंकार नष्ट किया जाएगा (भज. 46:9, मीका. 4:3) [QBR]
5. हे याकूब के घराने, आ, हम यहोवा के प्रकाश में चलें*। (इफि. 5:8, 1 यूह. 1:7) [QBR]
6. तूने अपनी प्रजा याकूब के घराने को त्याग दिया है, [QBR] क्योंकि वे पूर्वजों के व्यवहार पर तन मन से चलते और पलिश्तियों के समान टोना करते हैं, [QBR] और परदेशियों के साथ हाथ मिलाते हैं। [QBR]
7. उनका देश चाँदी और सोने से भरपूर है*, और उनके रखे हुए धन की सीमा नहीं; [QBR] उनका देश घोड़ों से भरपूर है, और उनके रथ अनगिनत हैं। [QBR]
8. उनका देश मूरतों से भरा है; [QBR] वे अपने हाथों की बनाई हुई वस्तुओं को जिन्हें उन्होंने अपनी उँगलियों से संवारा है, दण्डवत् करते हैं। [QBR]
9. इससे मनुष्य झुकते, और बड़े मनुष्य नीचे किए गए है, इस कारण उनको क्षमा न कर! [QBR]
10. यहोवा के भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टान में घुस जा, [QBR] और मिट्टी में छिप जा। (प्रका. 6:15, यशा. 15-16, लूका 23:30) [QBR]
11. क्योंकि आदमियों की घमण्ड भरी आँखें नीची की जाएँगी और मनुष्यों का घमण्ड दूर किया जाएगा; [QBR] और उस दिन केवल यहोवा ही ऊँचे पर विराजमान रहेगा। (2 थिस्स. 1:9) [QBR]
12. क्योंकि सेनाओं के यहोवा का दिन सब घमण्डियों [QBR] और ऊँची गर्दनवालों पर और उन्नति से फूलनेवालों पर आएगा; और वे झुकाए जाएँगे; [QBR]
13. और लबानोन के सब देवदारों पर जो ऊँचे और बड़े हैं; [QBR]
14. बाशान के सब बांज वृक्षों पर; [QBR] और सब ऊँचे पहाड़ों और सब ऊँची पहाड़ियों पर; [QBR]
15. सब ऊँचे गुम्मटों और सब दृढ़ शहरपनाहों पर; [QBR]
16. तर्शीश के सब जहाजों और सब सुन्दर चित्रकारी पर वह दिन आता है। [QBR]
17. मनुष्य का गर्व मिटाया जाएगा, और मनुष्यों का घमण्ड नीचा किया जाएगा; [QBR] और उस दिन केवल यहोवा ही ऊँचे पर विराजमान रहेगा। [QBR]
18. मूरतें सब की सब नष्ट हो जाएँगी। [QBR]
19. जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिये उठेगा, [QBR] तब उसके भय के कारण और उसके प्रताप के मारे लोग चट्टानों की गुफाओं और भूमि के बिलों में जा घुसेंगे। [QBR]
20. उस दिन लोग अपनी चाँदी-सोने की मूरतों को जिन्हें उन्होंने दण्डवत् करने के लिये बनाया था, [QBR] छछून्दरों और चमगादड़ों के आगे फेकेंगे, [QBR]
21. और जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिये उठेगा [QBR] तब वे उसके भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टानों की दरारों और पहाड़ियों के छेदों में घुसेंगे। [QBR]
22. इसलिए तुम मनुष्य से परे रहो जिसकी श्‍वास उसके नथनों में है*, [QBR] क्योंकि उसका मूल्य है ही क्या? [PE]

Notes

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यशायाह 2:18
शान्ति का शहर 1 आमोत्‍स के पुत्र यशायाह का वचन, जो उसने यहूदा और यरूशलेम के विषय में दर्शन में पाया। 2 अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे। 3 और बहुत देशों के लोग आएँगे, और आपस में कहेंगे: “आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्‍वर के भवन में जाएँ; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।” क्योंकि यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा। (जक. 8:20-23) 4 वह जाति-जाति का न्याय करेगा, और देश-देश के लोगों के झगड़ों को मिटाएगा; और वे अपनी तलवारें पीट कर हल के फाल और अपने भालों को हँसिया बनाएँगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे। अहंकार नष्ट किया जाएगा (भज. 46:9, मीका. 4:3) 5 हे याकूब के घराने, आ, हम यहोवा के प्रकाश में चलें*। (इफि. 5:8, 1 यूह. 1:7) 6 तूने अपनी प्रजा याकूब के घराने को त्याग दिया है, क्योंकि वे पूर्वजों के व्यवहार पर तन मन से चलते और पलिश्तियों के समान टोना करते हैं, और परदेशियों के साथ हाथ मिलाते हैं। 7 उनका देश चाँदी और सोने से भरपूर है*, और उनके रखे हुए धन की सीमा नहीं; उनका देश घोड़ों से भरपूर है, और उनके रथ अनगिनत हैं। 8 उनका देश मूरतों से भरा है; वे अपने हाथों की बनाई हुई वस्तुओं को जिन्हें उन्होंने अपनी उँगलियों से संवारा है, दण्डवत् करते हैं। 9 इससे मनुष्य झुकते, और बड़े मनुष्य नीचे किए गए है, इस कारण उनको क्षमा न कर! 10 यहोवा के भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टान में घुस जा, और मिट्टी में छिप जा। (प्रका. 6:15, यशा. 15-16, लूका 23:30) 11 क्योंकि आदमियों की घमण्ड भरी आँखें नीची की जाएँगी और मनुष्यों का घमण्ड दूर किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊँचे पर विराजमान रहेगा। (2 थिस्स. 1:9) 12 क्योंकि सेनाओं के यहोवा का दिन सब घमण्डियों और ऊँची गर्दनवालों पर और उन्नति से फूलनेवालों पर आएगा; और वे झुकाए जाएँगे; 13 और लबानोन के सब देवदारों पर जो ऊँचे और बड़े हैं; 14 बाशान के सब बांज वृक्षों पर; और सब ऊँचे पहाड़ों और सब ऊँची पहाड़ियों पर; 15 सब ऊँचे गुम्मटों और सब दृढ़ शहरपनाहों पर; 16 तर्शीश के सब जहाजों और सब सुन्दर चित्रकारी पर वह दिन आता है। 17 मनुष्य का गर्व मिटाया जाएगा, और मनुष्यों का घमण्ड नीचा किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊँचे पर विराजमान रहेगा। 18 मूरतें सब की सब नष्ट हो जाएँगी। 19 जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिये उठेगा, तब उसके भय के कारण और उसके प्रताप के मारे लोग चट्टानों की गुफाओं और भूमि के बिलों में जा घुसेंगे। 20 उस दिन लोग अपनी चाँदी-सोने की मूरतों को जिन्हें उन्होंने दण्डवत् करने के लिये बनाया था, छछून्दरों और चमगादड़ों के आगे फेकेंगे, 21 और जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिये उठेगा तब वे उसके भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टानों की दरारों और पहाड़ियों के छेदों में घुसेंगे। 22 इसलिए तुम मनुष्य से परे रहो जिसकी श्‍वास उसके नथनों में है*, क्योंकि उसका मूल्य है ही क्या?
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