1. हे द्वीपों, मेरी और कान लगाकर सुनो; हे दूर-दूर के राज्यों के लोगों, ध्यान लगाकर मेरी सुनो! यहोवा ने मुझे गर्भ ही में से बुलाया, जब मैं माता के पेट में था, तब ही उसने मेरा नाम बताया। (यिर्म. 90:8, गला. 1:15)
2. उसने मेरे मुँह को चोखी तलवार के समान बनाया* और अपने हाथ की आड़ में मुझे छिपा रखा; उसने मुझको चमकीला तीर बनाकर अपने तरकश में गुप्त रखा;
3. और मुझसे कहा, “तू मेरा दास इस्राएल है, मैं तुझमें अपनी महिमा प्रगट करूँगा।” (2 थिस्स. 1:10)
4. तब मैंने कहा, “मैंने तो व्यर्थ परिश्रम किया, मैंने व्यर्थ ही अपना बल खो दिया है; तो भी निश्चय मेरा न्याय यहोवा के पास है और मेरे परिश्रम का फल मेरे परमेश्वर के हाथ में है।”
5. और अब यहोवा जिसने मुझे जन्म ही से इसलिए रचा कि मैं उसका दास होकर याकूब को उसकी ओर वापस ले आऊँ अर्थात् इस्राएल को उसके पास इकट्ठा करूँ, क्योंकि यहोवा की दृष्टि में मैं आदर योग्य हूँ और मेरा परमेश्वर मेरा बल है,
6. उसी ने मुझसे यह भी कहा है, “यह तो हलकी सी बात है कि तू याकूब के गोत्रों का उद्धार करने और इस्राएल के रक्षित लोगों को लौटा ले आने के लिये मेरा सेवक ठहरे; मैं तुझे जाति-जाति के लिये ज्योति ठहराऊँगा कि मेरा उद्धार पृथ्वी की एक ओर से दूसरी ओर तक फैल जाए।” (लूका 2:32, प्रेरि. 13:47, भज. 98:2-3)
7. जो मनुष्यों से तुच्छ जाना जाता, जिससे जातियों को घृणा है, और जो अपराधी का दास है, इस्राएल का छुड़ानेवाला और उसका पवित्र अर्थात् यहोवा यह कहता है, “राजा उसे देखकर खड़े हो जाएँगे और हाकिम दण्डवत् करेंगे; यह यहोवा के निमित्त होगा, जो सच्चा और इस्राएल का पवित्र है और जिसने तुझे चुन लिया है।” [PS]
8. {यरूशलेम का पुनः निर्माण} [PS] यहोवा यह कहता है, “अपनी प्रसन्नता के समय* मैंने तेरी सुन ली, उद्धार करने के दिन मैंने तेरी सहायता की है; मैं तेरी रक्षा करके तुझे लोगों के लिये एक वाचा ठहराऊँगा, ताकि देश को स्थिर करे और उजड़े हुए स्थानों को उनके अधिकारियों के हाथ में दे दे; और बन्दियों से कहे, 'बन्दीगृह से निकल आओ;' (भज. 69:13, 2 कुरि. 6:2)
9. और जो अंधियारे में हैं उनसे कहे, 'अपने आपको दिखलाओ।' वे मार्गों के किनारे-किनारे पेट भरने पाएँगे, सब मुण्डे टीलों पर भी उनको चराई मिलेगी। (लूका 4:18)
10. वे भूखे और प्यासे न होंगे, न लूह और न घाम उन्हें लगेगा, क्योंकि, वह जो उन पर दया करता है, वही उनका अगुआ होगा, और जल के सोतों के पास उन्हें ले चलेगा। (प्रका. 7:16,17)
11. मैं अपने सब पहाड़ों को मार्ग बना दूँगा, और मेरे राजमार्ग ऊँचे किए जाएँगे।
12. देखो, ये दूर से आएँगे, और, ये उत्तर और पश्चिम से और सीनियों के देश से आएँगे।”
13. हे आकाश जयजयकार कर, हे पृथ्वी, मगन हो; हे पहाड़ों, गला खोलकर जयजयकार करो! क्योंकि यहोवा ने अपनी प्रजा को शान्ति दी है और अपने दीन लोगों पर दया की है। (भज. 96:11-13, यिर्म. 31:13)
14. परन्तु सिय्योन ने कहा, “यहोवा ने मुझे त्याग दिया है, मेरा प्रभु मुझे भूल गया है।”
15. “क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपीते बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हाँ, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।
16. देख, मैंने तेरा चित्र अपनी हथेलियों पर खोदकर बनाया है; तेरी शहरपनाह सदैव मेरी दृष्टि के सामने बनी रहती है।
17. तेरे लड़के फुर्ती से आ रहे हैं और खण्डहर बनानेवाले और उजाड़नेवाले तेरे बीच से निकले जा रहे हैं।
18. अपनी आँखें उठाकर चारों ओर देख, वे सबके सब इकट्ठे होकर तेरे पास आ रहे हैं। यहोवा की यह वाणी है कि मेरे जीवन की शपथ, तू निश्चय उन सभी को गहने के समान पहन लेगी, तू दुल्हन के समान अपने शरीर में उन सबको बाँध लेगी।” (रोमियों. 14:11)
19. “तेरे जो स्थान सुनसान और उजड़े हैं, और तेरे जो देश खण्डहर ही खण्डहर हैं, उनमें अब निवासी न समाएँगे, और तुझे नष्ट करनेवाले दूर हो जाएँगे।
20. तेरे पुत्र जो तुझसे ले लिए गए वे फिर तेरे कान में कहने पाएँगे, 'यह स्थान हमारे लिये छोटा है, हमें और स्थान दे कि उसमें रहें।'
21. तब तू मन में कहेगी, 'किसने इनको मेरे लिये जन्माया? मैं तो पुत्रहीन और बाँझ हो गई थीं, दासत्व में और यहाँ-वहाँ मैं घूमती रही, इनको किसने पाला? देख, मैं अकेली रह गई थी; फिर ये कहाँ थे'?”
22. प्रभु यहोवा यह कहता है, “देख, मैं अपना हाथ जाति-जाति के लोगों की ओर उठाऊँगा*, और देश-देश के लोगों के सामने अपना झण्डा खड़ा करूँगा; तब वे तेरे पुत्रों को अपनी गोद में लिए आएँगे, और तेरी पुत्रियों को अपने कंधे पर चढ़ाकर तेरे पास पहुँचाएगे।
23. राजा तेरे बच्चों के निज-सेवक और उनकी रानियाँ दूध पिलाने के लिये तेरी दाइयां होंगी। वे अपनी नाक भूमि पर रगड़कर तुझे दण्डवत् करेंगे और तेरे पाँवों की धूल चाटेंगे। तब तू यह जान लेगी कि मैं ही यहोवा हूँ; मेरी बाट जोहनेवाले कभी लज्जित न होंगे।” (भज. 72:9-11, योए. 2:27)
24. क्या वीर के हाथ से शिकार छीना जा सकता है? क्या दुष्ट के बन्दी छुड़ाए जा सकते हैं? (मत्ती 12:29)
25. तो भी यहोवा यह कहता है, “हाँ, वीर के बन्दी उससे छीन लिए जाएँगे, और दुष्ट का शिकार उसके हाथ से छुड़ा लिया जाएगा, क्योंकि जो तुझसे लड़ते हैं उनसे मैं आप मुकद्दमा लड़ूँगा, और तेरे बाल-बच्चों का मैं उद्धार करूँगा।
26. जो तुझ पर अंधेर करते हैं उनको मैं उन्हीं का माँस खिलाऊँगा, और, वे अपना लहू पीकर ऐसे मतवाले होंगे जैसे नये दाखमधु से होते हैं। तब सब प्राणी जान लेंगे कि तेरा उद्धारकर्ता यहोवा और तेरा छुड़ानेवाला, याकूब का शक्तिमान मैं ही हूँ।” (प्रका. 16:6) [PE]