पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यिर्मयाह
1. {यिर्मयाह को विवाह करने से रोका जाना} [PS] यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
2. “इस स्थान में विवाह करके बेटे-बेटियाँ मत जन्मा*।
3. क्योंकि जो बेटे-बेटियाँ इस स्थान में उत्‍पन्‍न हों और जो माताएँ उन्हें जनें और जो पिता उन्हें इस देश में जन्माएँ,
4. उनके विषय यहोवा यह कहता है, वे बुरी-बुरी बीमारियों से मरेंगे। उनके लिये कोई छाती न पीटेगा, न उनको मिट्टी देगा; वे भूमि के ऊपर खाद के समान पड़े रहेंगे। वे तलवार और अकाल से मर मिटेंगे, और उनकी लोथें आकाश के पक्षियों और मैदान के पशुओं का आहार होंगी। [PE][PS]
5. “यहोवा ने कहा: जिस घर में रोना पीटना हो उसमें न जाना, न छाती पीटने के लिये कहीं जाना और न इन लोगों के लिये शोक करना; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है कि मैंने अपनी शान्ति और करुणा और दया इन लोगों पर से उठा ली है।
6. इस कारण इस देश के छोटे-बड़े सब मरेंगे, न तो इनको मिट्टी दी जाएगी, न लोग छाती पीटेंगे, न अपना शरीर चीरेंगे, और न सिर मुंडाएँगे। इनके लिये कोई शोक करनेवालों को रोटी न बाटेंगे कि शोक में उन्हें शान्ति दें;
7. और न लोग पिता या माता के मरने पर किसी को शान्ति के लिये कटोरे में दाखमधु पिलाएँगे।
8. तू भोज के घर में इनके साथ खाने-पीने के लिये न जाना।
9. क्योंकि सेनाओं का यहोवा, इस्राएल का परमेश्‍वर यह कहता है: देख, तुम लोगों के देखते और तुम्हारे ही दिनों में मैं ऐसा करूँगा कि इस स्थान में न तो हर्ष और न आनन्द का शब्द सुनाई पड़ेगा, न दुल्हे और न दुल्हिन का शब्द। (प्रका. 18:23) व्यवस्था और परमेश्‍वर का त्यागा जाना [PE][PS]
10. “जब तू इन लोगों से ये सब बातें कहे, और वे तुझसे पूछें कि 'यहोवा ने हमारे ऊपर यह सारी बड़ी विपत्ति डालने के लिये क्यों कहा है? हमारा अधर्म क्या है और हमने अपने परमेश्‍वर यहोवा के विरुद्ध कौन सा पाप किया है?'
11. तो तू इन लोगों से कहना, 'यहोवा की यह वाणी है, क्योंकि तुम्हारे पुरखा मुझे त्याग कर दूसरे देवताओं के पीछे चले, और उनकी उपासना करके उनको दण्डवत् की, और मुझको त्याग दिया और मेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया,
12. और जितनी बुराई तुम्हारे पुरखाओं ने की थी, उससे भी अधिक तुम करते हो*, क्योंकि तुम अपने बुरे मन के हठ पर चलते हो और मेरी नहीं सुनते;
13. इस कारण मैं तुमको इस देश से उखाड़कर ऐसे देश में फेंक दूँगा, जिसको न तो तुम जानते हो और न तुम्हारे पुरखा जानते थे; और वहाँ तुम रात-दिन दूसरे देवताओं की उपासना करते रहोगे, क्योंकि वहाँ मैं तुम पर कुछ अनुग्रह न करूँगा।'” [PS]
14. {बँधुवाई से वापसी} [PS] फिर यहोवा की यह वाणी हुई, “देखो, ऐसे दिन आनेवाले हैं जिनमें फिर यह न कहा जाएगा, 'यहोवा जो इस्राएलियों को मिस्र देश से छुड़ा ले आया उसके जीवन की सौगन्ध,'
15. वरन् यह कहा जाएगा, 'यहोवा जो इस्राएलियों को उत्तर के देश से और उन सब देशों से जहाँ उसने उनको बँधुआ कर दिया था छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध।' क्योंकि मैं उनको उनके निज देश में जो मैंने उनके पूर्वजों को दिया था, लौटा ले आऊँगा। [PS]
16. {आनेवाला दण्ड} [PS] “देखो, यहोवा की यह वाणी है कि मैं बहुत से मछुओं को बुलवा भेजूँगा कि वे इन लोगों को पकड़ लें, और, फिर मैं बहुत से बहेलियों को बुलवा भेजूँगा कि वे इनको अहेर करके सब पहाड़ों और पहाड़ियों पर से और चट्टानों की दरारों में से निकालें।
17. क्योंकि उनका पूरा चाल-चलन मेरी आँखों के सामने प्रगट है*; वह मेरी दृष्टि से छिपा नहीं है, न उनका अधर्म मेरी आँखों से गुप्त है। इसलिए मैं उनके अधर्म और पाप का दूना दण्ड दूँगा,
18. क्योंकि उन्होंने मेरे देश को अपनी घृणित वस्तुओं की लोथों से अशुद्ध किया, और मेरे निज भाग को अपनी अशुद्धता से भर दिया है।” [PS]
19. {यिर्मयाह की प्रार्थना} [PS] हे यहोवा, हे मेरे बल और दृढ़ गढ़, संकट के समय मेरे शरणस्थान, जाति-जाति के लोग पृथ्वी की चारों ओर से तेरे पास आकर कहेंगे, “निश्चय हमारे पुरखा झूठी, व्यर्थ और निष्फल वस्तुओं को अपनाते आए हैं। (रोम. 1:25)
20. क्या मनुष्य ईश्वरों को बनाए? नहीं, वे ईश्वर नहीं हो सकते!”
21. “इस कारण, इस एक बार, मैं इन लोगों को अपना भुजबल और पराक्रम दिखाऊँगा, और वे जानेंगे कि मेरा नाम यहोवा है।” [PE]

Notes

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यिर्मयाह 16:62
1. {यिर्मयाह को विवाह करने से रोका जाना} PS यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
2. “इस स्थान में विवाह करके बेटे-बेटियाँ मत जन्मा*।
3. क्योंकि जो बेटे-बेटियाँ इस स्थान में उत्‍पन्‍न हों और जो माताएँ उन्हें जनें और जो पिता उन्हें इस देश में जन्माएँ,
4. उनके विषय यहोवा यह कहता है, वे बुरी-बुरी बीमारियों से मरेंगे। उनके लिये कोई छाती पीटेगा, उनको मिट्टी देगा; वे भूमि के ऊपर खाद के समान पड़े रहेंगे। वे तलवार और अकाल से मर मिटेंगे, और उनकी लोथें आकाश के पक्षियों और मैदान के पशुओं का आहार होंगी। PEPS
5. “यहोवा ने कहा: जिस घर में रोना पीटना हो उसमें जाना, छाती पीटने के लिये कहीं जाना और इन लोगों के लिये शोक करना; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है कि मैंने अपनी शान्ति और करुणा और दया इन लोगों पर से उठा ली है।
6. इस कारण इस देश के छोटे-बड़े सब मरेंगे, तो इनको मिट्टी दी जाएगी, लोग छाती पीटेंगे, अपना शरीर चीरेंगे, और सिर मुंडाएँगे। इनके लिये कोई शोक करनेवालों को रोटी बाटेंगे कि शोक में उन्हें शान्ति दें;
7. और लोग पिता या माता के मरने पर किसी को शान्ति के लिये कटोरे में दाखमधु पिलाएँगे।
8. तू भोज के घर में इनके साथ खाने-पीने के लिये जाना।
9. क्योंकि सेनाओं का यहोवा, इस्राएल का परमेश्‍वर यह कहता है: देख, तुम लोगों के देखते और तुम्हारे ही दिनों में मैं ऐसा करूँगा कि इस स्थान में तो हर्ष और आनन्द का शब्द सुनाई पड़ेगा, दुल्हे और दुल्हिन का शब्द। (प्रका. 18:23) व्यवस्था और परमेश्‍वर का त्यागा जाना PEPS
10. “जब तू इन लोगों से ये सब बातें कहे, और वे तुझसे पूछें कि 'यहोवा ने हमारे ऊपर यह सारी बड़ी विपत्ति डालने के लिये क्यों कहा है? हमारा अधर्म क्या है और हमने अपने परमेश्‍वर यहोवा के विरुद्ध कौन सा पाप किया है?'
11. तो तू इन लोगों से कहना, 'यहोवा की यह वाणी है, क्योंकि तुम्हारे पुरखा मुझे त्याग कर दूसरे देवताओं के पीछे चले, और उनकी उपासना करके उनको दण्डवत् की, और मुझको त्याग दिया और मेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया,
12. और जितनी बुराई तुम्हारे पुरखाओं ने की थी, उससे भी अधिक तुम करते हो*, क्योंकि तुम अपने बुरे मन के हठ पर चलते हो और मेरी नहीं सुनते;
13. इस कारण मैं तुमको इस देश से उखाड़कर ऐसे देश में फेंक दूँगा, जिसको तो तुम जानते हो और तुम्हारे पुरखा जानते थे; और वहाँ तुम रात-दिन दूसरे देवताओं की उपासना करते रहोगे, क्योंकि वहाँ मैं तुम पर कुछ अनुग्रह करूँगा।'” PS
14. {बँधुवाई से वापसी} PS फिर यहोवा की यह वाणी हुई, “देखो, ऐसे दिन आनेवाले हैं जिनमें फिर यह कहा जाएगा, 'यहोवा जो इस्राएलियों को मिस्र देश से छुड़ा ले आया उसके जीवन की सौगन्ध,'
15. वरन् यह कहा जाएगा, 'यहोवा जो इस्राएलियों को उत्तर के देश से और उन सब देशों से जहाँ उसने उनको बँधुआ कर दिया था छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध।' क्योंकि मैं उनको उनके निज देश में जो मैंने उनके पूर्वजों को दिया था, लौटा ले आऊँगा। PS
16. {आनेवाला दण्ड} PS “देखो, यहोवा की यह वाणी है कि मैं बहुत से मछुओं को बुलवा भेजूँगा कि वे इन लोगों को पकड़ लें, और, फिर मैं बहुत से बहेलियों को बुलवा भेजूँगा कि वे इनको अहेर करके सब पहाड़ों और पहाड़ियों पर से और चट्टानों की दरारों में से निकालें।
17. क्योंकि उनका पूरा चाल-चलन मेरी आँखों के सामने प्रगट है*; वह मेरी दृष्टि से छिपा नहीं है, उनका अधर्म मेरी आँखों से गुप्त है। इसलिए मैं उनके अधर्म और पाप का दूना दण्ड दूँगा,
18. क्योंकि उन्होंने मेरे देश को अपनी घृणित वस्तुओं की लोथों से अशुद्ध किया, और मेरे निज भाग को अपनी अशुद्धता से भर दिया है।” PS
19. {यिर्मयाह की प्रार्थना} PS हे यहोवा, हे मेरे बल और दृढ़ गढ़, संकट के समय मेरे शरणस्थान, जाति-जाति के लोग पृथ्वी की चारों ओर से तेरे पास आकर कहेंगे, “निश्चय हमारे पुरखा झूठी, व्यर्थ और निष्फल वस्तुओं को अपनाते आए हैं। (रोम. 1:25)
20. क्या मनुष्य ईश्वरों को बनाए? नहीं, वे ईश्वर नहीं हो सकते!”
21. “इस कारण, इस एक बार, मैं इन लोगों को अपना भुजबल और पराक्रम दिखाऊँगा, और वे जानेंगे कि मेरा नाम यहोवा है।” PE
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