पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
अय्यूब
1. {#1अय्यूब सोपर को उत्तर देता है }
2. [PS]तब अय्यूब ने कहा; [PE][QS]“निःसन्देह मनुष्य तो तुम ही हो [QE][QS]और जब तुम मरोगे तब बुद्धि भी जाती रहेगी। [QE]
3. [QS]परन्तु तुम्हारे समान मुझ में भी समझ है, [QE][QS]मैं तुम लोगों से कुछ नीचा नहीं हूँ [QE][QS]कौन ऐसा है जो ऐसी बातें न जानता हो? [QE]
4. [QS]मैं परमेश्‍वर से प्रार्थना करता था, [QE][QS]और वह मेरी सुन लिया करता था; [QE][QS]परन्तु अब मेरे दोस्त मुझ पर हँसते हैं; [QE][QS]जो धर्मी और खरा मनुष्य है, वह हँसी का कारण हो गया है। [QE]
5. [QS]दुःखी लोग तो सुखी लोगों की समझ में तुच्छ जाने जाते हैं; [QE][QS]और जिनके पाँव फिसलते हैं उनका अपमान अवश्य ही होता है। [QE]
6. [QS]डाकुओं के डेरे कुशल क्षेम से रहते हैं, [QE][QS]और जो परमेश्‍वर को क्रोध दिलाते हैं, वह बहुत ही निडर रहते हैं; [QE][QS]अर्थात् उनका ईश्वर उनकी मुट्ठी में रहता हैं; [QE]
7. [QS]“पशुओं से तो पूछ और वे तुझे सिखाएँगे; [QE][QS]और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। [QE]
8. [QS]पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उससे तुझे शिक्षा मिलेगी; [QE][QS]और समुद्र की मछलियाँ भी तुझ से वर्णन करेंगी। [QE]
9. [QS]कौन इन बातों को नहीं जानता, [QE][QS]कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है? (रोम. 1:20) [QE]
10. [QS]उसके हाथ में एक-एक जीवधारी का प्राण*, और [QE][QS]एक-एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है। [QE]
11. [QS]जैसे जीभ से भोजन चखा जाता है, [QE][QS]क्या वैसे ही कान से वचन नहीं परखे जाते? [QE]
12. [QS]बूढ़ों में बुद्धि पाई जाती है, [QE][QS]और लम्बी आयु वालों में समझ होती तो है। [QE]
13. [QS]“परमेश्‍वर में पूरी बुद्धि और पराक्रम पाए जाते हैं; [QE][QS]युक्ति और समझ उसी में हैं। [QE]
14. [QS]देखो, जिसको वह ढा दे, वह फिर बनाया नहीं जाता; [QE][QS]जिस मनुष्य को वह बन्द करे, वह फिर खोला नहीं जाता। (प्रका. 3:7) [QE]
15. [QS]देखो, जब वह वर्षा को रोक रखता है तो जल सूख जाता है; [QE][QS]फिर जब वह जल छोड़ देता है तब पृथ्वी उलट जाती है। [QE]
16. [QS]उसमें सामर्थ्य और खरी बुद्धि पाई जाती है; [QE][QS]धोखा देनेवाला और धोखा खानेवाला दोनों उसी के हैं*। [QE]
17. [QS]वह मंत्रियों को लूटकर बँधुआई में ले जाता, [QE][QS]और न्यायियों को मूर्ख बना देता है। [QE]
18. [QS]वह राजाओं का अधिकार तोड़ देता है; [QE][QS]और उनकी कमर पर बन्धन बन्धवाता है। [QE]
19. [QS]वह याजकों को लूटकर बँधुआई में ले जाता [QE][QS]और सामर्थियों को उलट देता है। [QE]
20. [QS]वह विश्वासयोग्य पुरुषों से बोलने की शक्ति [QE][QS]और पुरनियों से विवेक की शक्ति हर लेता है। [QE]
21. [QS]वह हाकिमों को अपमान से लादता, [QE][QS]और बलवानों के हाथ ढीले कर देता है। [QE]
22. [QS]वह अंधियारे की गहरी बातें प्रगट करता, [QE][QS]और मृत्यु की छाया को भी प्रकाश में ले आता है। [QE]
23. [QS]वह जातियों को बढ़ाता, और उनको नाश करता है; [QE][QS]वह उनको फैलाता, और बँधुआई में ले जाता है। [QE]
24. [QS]वह पृथ्वी के मुख्य लोगों की बुद्धि उड़ा देता, [QE][QS]और उनको निर्जन स्थानों में जहाँ रास्ता नहीं है, भटकाता है। [QE]
25. [QS]वे बिन उजियाले के अंधेरे में टटोलते फिरते हैं*; [QE][QS]और वह उन्हें ऐसा बना देता है कि वे मतवाले [QE][QS]के समान डगमगाते हुए चलते हैं। [QE]

Notes

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अय्यूब 12:8
1 #1अय्यूब सोपर को उत्तर देता है 2 तब अय्यूब ने कहा; “निःसन्देह मनुष्य तो तुम ही हो और जब तुम मरोगे तब बुद्धि भी जाती रहेगी। 3 परन्तु तुम्हारे समान मुझ में भी समझ है, मैं तुम लोगों से कुछ नीचा नहीं हूँ कौन ऐसा है जो ऐसी बातें न जानता हो? 4 मैं परमेश्‍वर से प्रार्थना करता था, और वह मेरी सुन लिया करता था; परन्तु अब मेरे दोस्त मुझ पर हँसते हैं; जो धर्मी और खरा मनुष्य है, वह हँसी का कारण हो गया है। 5 दुःखी लोग तो सुखी लोगों की समझ में तुच्छ जाने जाते हैं; और जिनके पाँव फिसलते हैं उनका अपमान अवश्य ही होता है। 6 डाकुओं के डेरे कुशल क्षेम से रहते हैं, और जो परमेश्‍वर को क्रोध दिलाते हैं, वह बहुत ही निडर रहते हैं; अर्थात् उनका ईश्वर उनकी मुट्ठी में रहता हैं; 7 “पशुओं से तो पूछ और वे तुझे सिखाएँगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। 8 पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उससे तुझे शिक्षा मिलेगी; और समुद्र की मछलियाँ भी तुझ से वर्णन करेंगी। 9 कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है? (रोम. 1:20) 10 उसके हाथ में एक-एक जीवधारी का प्राण*, और एक-एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है। 11 जैसे जीभ से भोजन चखा जाता है, क्या वैसे ही कान से वचन नहीं परखे जाते? 12 बूढ़ों में बुद्धि पाई जाती है, और लम्बी आयु वालों में समझ होती तो है। 13 “परमेश्‍वर में पूरी बुद्धि और पराक्रम पाए जाते हैं; युक्ति और समझ उसी में हैं। 14 देखो, जिसको वह ढा दे, वह फिर बनाया नहीं जाता; जिस मनुष्य को वह बन्द करे, वह फिर खोला नहीं जाता। (प्रका. 3:7) 15 देखो, जब वह वर्षा को रोक रखता है तो जल सूख जाता है; फिर जब वह जल छोड़ देता है तब पृथ्वी उलट जाती है। 16 उसमें सामर्थ्य और खरी बुद्धि पाई जाती है; धोखा देनेवाला और धोखा खानेवाला दोनों उसी के हैं*। 17 वह मंत्रियों को लूटकर बँधुआई में ले जाता, और न्यायियों को मूर्ख बना देता है। 18 वह राजाओं का अधिकार तोड़ देता है; और उनकी कमर पर बन्धन बन्धवाता है। 19 वह याजकों को लूटकर बँधुआई में ले जाता और सामर्थियों को उलट देता है। 20 वह विश्वासयोग्य पुरुषों से बोलने की शक्ति और पुरनियों से विवेक की शक्ति हर लेता है। 21 वह हाकिमों को अपमान से लादता, और बलवानों के हाथ ढीले कर देता है। 22 वह अंधियारे की गहरी बातें प्रगट करता, और मृत्यु की छाया को भी प्रकाश में ले आता है। 23 वह जातियों को बढ़ाता, और उनको नाश करता है; वह उनको फैलाता, और बँधुआई में ले जाता है। 24 वह पृथ्वी के मुख्य लोगों की बुद्धि उड़ा देता, और उनको निर्जन स्थानों में जहाँ रास्ता नहीं है, भटकाता है। 25 वे बिन उजियाले के अंधेरे में टटोलते फिरते हैं*; और वह उन्हें ऐसा बना देता है कि वे मतवाले के समान डगमगाते हुए चलते हैं।
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