1. {अय्यूब की प्रार्थना} [PS] “मेरा प्राण निकलने पर है, मेरे दिन पूरे हो चुके हैं; [QBR] मेरे लिये कब्र तैयार है। [QBR]
2. निश्चय जो मेरे संग हैं वह ठट्ठा करनेवाले हैं, [QBR] और उनका झगड़ा-रगड़ा मुझे लगातार दिखाई देता है। [QBR]
3. “जमानत दे, अपने और मेरे बीच में तू ही जामिन हो; [QBR] कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे? [QBR]
4. तूने उनका मन समझने से रोका है*, [QBR] इस कारण तू उनको प्रबल न करेगा। [QBR]
5. जो अपने मित्रों को चुगली खाकर लूटा देता, [QBR] उसके बच्चों की आँखें रह जाएँगी। [QBR]
6. “उसने ऐसा किया कि सब लोग मेरी उपमा देते हैं; [QBR] और लोग मेरे मुँह पर थूकते हैं। [QBR]
7. खेद के मारे मेरी आँखों में धुंधलापन छा गया है, [QBR] और मेरे सब अंग छाया के समान हो गए हैं। [QBR]
8. इसे देखकर सीधे लोग चकित होते हैं, [QBR] और जो निर्दोष हैं, वह भक्तिहीन के विरुद्ध भड़क उठते हैं। [QBR]
9. तो भी धर्मी लोग अपना मार्ग पकड़े रहेंगे, [QBR] और शुद्ध काम करनेवाले सामर्थ्य पर सामर्थ्य पाते जाएँगे। [QBR]
10. तुम सब के सब मेरे पास आओ तो आओ, [QBR] परन्तु मुझे तुम लोगों में एक भी बुद्धिमान न मिलेगा। [QBR]
11. मेरे दिन तो बीत चुके, और मेरी मनसाएँ मिट गई, [QBR] और जो मेरे मन में था, वह नाश हुआ है। [QBR]
12. वे रात को दिन ठहराते; [QBR] वे कहते हैं, अंधियारे के निकट उजियाला है। [QBR]
13. यदि मेरी आशा यह हो कि अधोलोक मेरा धाम होगा, [QBR] यदि मैंने अंधियारे में अपना बिछौना बिछा लिया है, [QBR]
14. यदि मैंने सड़ाहट से कहा, 'तू मेरा पिता है,' [QBR] और कीड़े से, 'तू मेरी माँ,' और 'मेरी बहन है,' [QBR]
15. तो मेरी आशा कहाँ रही? [QBR] और मेरी आशा किस के देखने में आएगी? [QBR]
16. वह तो अधोलोक में उतर जाएगी*, [QBR] और उस समेत मुझे भी मिट्टी में विश्राम मिलेगा।” [PE]