1. {सोपर का वचन} [PS] तब नामाती सोपर ने कहा, [QBR]
2. “मेरा जी चाहता है कि उत्तर दूँ, [QBR] और इसलिए बोलने में फुर्ती करता हूँ। [QBR]
3. मैंने ऐसी डाँट सुनी जिससे मेरी निन्दा हुई, [QBR] और मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुझे उत्तर देती है। [QBR]
4. क्या तू यह नियम नहीं जानता जो प्राचीन [QBR] और उस समय का है*, [QBR] जब मनुष्य पृथ्वी पर बसाया गया, [QBR]
5. दुष्टों की विजय क्षणभर का होता है,, [QBR] और भक्तिहीनों का आनन्द पल भर का होता है? [QBR]
6. चाहे ऐसे मनुष्य का माहात्म्य आकाश तक पहुँच जाए, [QBR] और उसका सिर बादलों तक पहुँचे, [QBR]
7. तो भी वह अपनी विष्ठा के समान सदा के लिये नाश हो जाएगा; [QBR] और जो उसको देखते थे वे पूछेंगे कि वह कहाँ रहा? [QBR]
8. वह स्वप्न के समान लोप हो जाएगा और किसी को फिर न मिलेगा; [QBR] रात में देखे हुए रूप के समान वह रहने न पाएगा। [QBR]
9. जिस ने उसको देखा हो फिर उसे न देखेगा, [QBR] और अपने स्थान पर उसका कुछ पता न रहेगा। [QBR]
10. उसके बच्चे कंगालों से भी विनती करेंगे, [QBR] और वह अपना छीना हुआ माल फेर देगा। [QBR]
11. उसकी हड्डियों में जवानी का बल भरा हुआ है [QBR] परन्तु वह उसी के साथ मिट्टी में मिल जाएगा। [QBR]
12. “चाहे बुराई उसको मीठी लगे*, [QBR] और वह उसे अपनी जीभ के नीचे छिपा रखे, [QBR]
13. और वह उसे बचा रखे और न छोड़े, [QBR] वरन् उसे अपने तालू के बीच दबा रखे, [QBR]
14. तो भी उसका भोजन उसके पेट में पलटेगा, [QBR] वह उसके अन्दर नाग का सा विष बन जाएगा। [QBR]
15. उसने जो धन निगल लिया है उसे वह फिर उगल देगा; [QBR] परमेश्वर उसे उसके पेट में से निकाल देगा। [QBR]
16. वह नागों का विष चूस लेगा, [QBR] वह करैत के डसने से मर जाएगा। [QBR]
17. वह नदियों अर्थात् मधु [QBR] और दही की नदियों को देखने न पाएगा। [QBR]
18. जिसके लिये उसने परिश्रम किया, उसको उसे लौटा देना पड़ेगा, और वह उसे निगलने न पाएगा; [QBR] उसकी मोल ली हुई वस्तुओं से जितना आनन्द होना चाहिये, उतना तो उसे न मिलेगा। [QBR]
19. क्योंकि उसने कंगालों को पीसकर छोड़ दिया, [QBR] उसने घर को छीन लिया, जिसे उसने नहीं बनाया। [QBR]
20. “लालसा के मारे उसको कभी शान्ति नहीं मिलती थी, [QBR] इसलिए वह अपनी कोई मनभावनी वस्तु बचा न सकेगा। [QBR]
21. कोई वस्तु उसका कौर बिना हुए न बचती थी; [QBR] इसलिए उसका कुशल बना न रहेगा [QBR]
22. पूरी सम्पत्ति रहते भी वह सकेती में पड़ेगा; [QBR] तब सब दुःखियों के हाथ उस पर उठेंगे। [QBR]
23. ऐसा होगा, कि उसका पेट भरने पर होगा, [QBR] परमेश्वर अपना क्रोध उस पर भड़काएगा, [QBR] और रोटी खाने के समय वह उस पर पड़ेगा। [QBR]
24. वह लोहे के हथियार से भागेगा, [QBR] और पीतल के धनुष से मारा जाएगा। [QBR]
25. वह उस तीर को खींचकर अपने पेट से निकालेगा, [QBR] उसकी चमकीली नोंक उसके पित्त से होकर निकलेगी, भय उसमें समाएगा। [QBR]
26. उसके गड़े हुए धन पर घोर अंधकार छा जाएगा। [QBR] वह ऐसी आग से भस्म होगा, जो मनुष्य की फूंकी हुई न हो; [QBR] और उसी से उसके डेरे में जो बचा हो वह भी भस्म हो जाएगा। [QBR]
27. आकाश उसका अधर्म प्रगट करेगा, [QBR] और पृथ्वी उसके विरुद्ध खड़ी होगी। [QBR]
28. उसके घर की बढ़ती जाती रहेगी, [QBR] वह उसके क्रोध के दिन बह जाएगी। [QBR]
29. परमेश्वर की ओर से दुष्ट मनुष्य का अंश, [QBR] और उसके लिये परमेश्वर का ठहराया हुआ भाग यही है।” (अय्यू. 27:13) [PE]