1. {#1अय्यूब का वचन }
2. [PS]तब अय्यूब ने कहा, [PE][QS]“चित्त लगाकर मेरी बात सुनो; [QE][QS]और तुम्हारी शान्ति यही ठहरे। [QE]
3. [QS]मेरी कुछ तो सहो, कि मैं भी बातें करूँ*; [QE][QS]और जब मैं बातें कर चुकूँ, तब पीछे ठट्ठा करना। [QE]
4. [QS]क्या मैं किसी मनुष्य की दुहाई देता हूँ? [QE][QS]फिर मैं अधीर क्यों न होऊँ? [QE]
5. [QS]मेरी ओर चित्त लगाकर चकित हो, [QE][QS]और अपनी-अपनी उँगली दाँत तले दबाओ। [QE]
6. [QS]जब मैं कष्टों को स्मरण करता तब मैं घबरा जाता हूँ, [QE][QS]और मेरी देह काँपने लगती है। [QE]
7. [QS]क्या कारण है कि दुष्ट लोग जीवित रहते हैं, [QE][QS]वरन् बूढ़े भी हो जाते, और उनका धन बढ़ता जाता है? (अय्यू. 12:6) [QE]
8. [QS]उनकी सन्तान उनके संग, [QE][QS]और उनके बाल-बच्चे उनकी आँखों के सामने बने रहते हैं। [QE]
9. [QS]उनके घर में भयरहित कुशल रहता है, [QE][QS]और परमेश्वर की छड़ी उन पर नहीं पड़ती। [QE]
10. [QS]उनका सांड गाभिन करता और चूकता नहीं, [QE][QS]उनकी गायें बियाती हैं और बच्चा कभी नहीं गिराती। (निर्ग. 23:26) [QE]
11. [QS]वे अपने लड़कों को झुण्ड के झुण्ड बाहर जाने देते हैं, [QE][QS]और उनके बच्चे नाचते हैं। [QE]
12. [QS]वे डफ और वीणा बजाते हुए गाते, [QE][QS]और बांसुरी के शब्द से आनन्दित होते हैं। [QE]
13. [QS]वे अपने दिन सुख से बिताते, [QE][QS]और पल भर ही में अधोलोक में उतर जाते हैं। [QE]
14. [QS]तो भी वे परमेश्वर से कहते थे, 'हम से दूर हो! [QE][QS]तेरी गति जानने की हमको इच्छा नहीं है। [QE]
15. [QS]सर्वशक्तिमान क्या है, कि हम उसकी सेवा करें? [QE][QS]और यदि हम उससे विनती भी करें तो हमें क्या लाभ होगा?' [QE]
16. [QS]देखो, उनका कुशल उनके हाथ में नहीं रहता, [QE][QS]दुष्ट लोगों का विचार मुझसे दूर रहे। [QE]
17. [QS]“कितनी बार ऐसे होता है कि दुष्टों का दीपक बुझ जाता है, [QE][QS]या उन पर विपत्ति आ पड़ती है; [QE][QS]और परमेश्वर क्रोध करके उनके हिस्से में शोक देता है, [QE]
18. [QS]वे वायु से उड़ाए हुए भूसे की, [QE][QS]और बवण्डर से उड़ाई हुई भूसी के समान होते हैं। [QE]
19. [QS]'परमेश्वर उसके अधर्म का दण्ड उसके बच्चों के लिये रख छोड़ता है,' [QE][QS]वह उसका बदला उसी को दे, ताकि वह जान ले। [QE]
20. [QS]दुष्ट अपना नाश अपनी ही आँखों से देखे, [QE][QS]और सर्वशक्तिमान की जलजलाहट में से आप पी ले। (भज. 75:8) [QE]
21. [QS]क्योंकि जब उसके महीनों की गिनती कट चुकी, [QE][QS]तो अपने बादवाले घराने से उसका क्या काम रहा। [QE]
22. [QS]क्या परमेश्वर को कोई ज्ञान सिखाएगा? [QE][QS]वह तो ऊँचे पद पर रहनेवालों का भी न्याय करता है। [QE]
23. [QS]कोई तो अपने पूरे बल में [QE][QS]बड़े चैन और सुख से रहता हुआ मर जाता है। [QE]
24. [QS]उसकी देह दूध से [QE][QS]और उसकी हड्डियाँ गूदे से भरी रहती हैं। [QE]
25. [QS]और कोई अपने जीव में कुढ़कुढ़कर बिना सुख [QE][QS]भोगे मर जाता है। [QE]
26. [QS]वे दोनों बराबर मिट्टी में मिल जाते हैं, [QE][QS]और कीड़े उन्हें ढांक लेते हैं। [QE]
27. [QS]“देखो, मैं तुम्हारी कल्पनाएँ जानता हूँ, [QE][QS]और उन युक्तियों को भी, जो तुम मेरे विषय में अन्याय से करते हो। [QE]
28. [QS]तुम कहते तो हो, 'रईस का घर कहाँ रहा? [QE][QS]दुष्टों के निवास के डेरे कहाँ रहे?' [QE]
29. [QS]परन्तु क्या तुम ने बटोहियों से कभी नहीं पूछा? [QE][QS]क्या तुम उनके इस विषय के प्रमाणों से अनजान हो, [QE]
30. [QS]कि विपत्ति के दिन के लिये दुर्जन सुरक्षित रखा जाता है; [QE][QS]और महाप्रलय के समय के लिये ऐसे लोग बचाए जाते हैं? (अय्यू. 20:29) [QE]
31. [QS]उसकी चाल उसके मुँह पर कौन कहेगा? और [QE][QS]उसने जो किया है, उसका पलटा कौन देगा? [QE]
32. [QS]तो भी वह कब्र को पहुँचाया जाता है, [QE][QS]और लोग उस कब्र की रखवाली करते रहते हैं। [QE]
33. [QS]नाले के ढेले उसको सुखदायक लगते हैं; [QE][QS]और जैसे पूर्वकाल के लोग अनगिनत जा चुके, [QE][QS]वैसे ही सब मनुष्य उसके बाद भी चले जाएँगे। [QE]
34. [QS]तुम्हारे उत्तरों में तो झूठ ही पाया जाता है, [QE][QS]इसलिए तुम क्यों मुझे व्यर्थ शान्ति देते हो?” [QE]