1. {#1अय्यूब का वचन }
2. [PS]तब अय्यूब ने कहा, [PE][QS]“मेरी कुड़कुड़ाहट अब भी नहीं रुक सकती, [QE][QS]मेरे कष्ट मेरे कराहने से भारी है। [QE]
3. [QS]भला होता, कि मैं जानता कि वह कहाँ मिल सकता है, [QE][QS]तब मैं उसके विराजने के स्थान तक जा सकता! [QE]
4. [QS]मैं उसके सामने अपना मुकद्दमा पेश करता, [QE][QS]और बहुत से* प्रमाण देता। [QE]
5. [QS]मैं जान लेता कि वह मुझसे उत्तर में क्या कह सकता है, [QE][QS]और जो कुछ वह मुझसे कहता वह मैं समझ लेता। [QE]
6. [QS]क्या वह अपना बड़ा बल दिखाकर मुझसे मुकद्दमा लड़ता? [QE][QS]नहीं, वह मुझ पर ध्यान देता। [QE]
7. [QS]सज्जन उससे विवाद कर सकते, [QE][QS]और इस रीति मैं अपने न्यायी के हाथ से सदा के लिये छूट जाता। [QE]
8. [QS]“देखो, मैं आगे जाता हूँ परन्तु वह नहीं मिलता; [QE][QS]मैं पीछे हटता हूँ, परन्तु वह दिखाई नहीं पड़ता; [QE]
9. [QS]जब वह बाईं ओर काम करता है तब वह मुझे दिखाई नहीं देता; [QE][QS]वह तो दाहिनी ओर ऐसा छिप जाता है, कि मुझे वह दिखाई ही नहीं पड़ता। [QE]
10. [QS]परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; [QE][QS]और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूँगा। (1 पत. 1:7) [QE]
11. [QS]मेरे पैर उसके मार्गों में स्थिर रहे; [QE][QS]और मैं उसी का मार्ग बिना मुड़ें थामे रहा। [QE]
12. [QS]उसकी आज्ञा का पालन करने से मैं न हटा, [QE][QS]और मैंने उसके वचन अपनी इच्छा से [QE][QS]कहीं अधिक काम के जानकर सुरक्षित रखे। [QE]
13. [QS]परन्तु वह एक ही बात पर अड़ा रहता है, [QE][QS]और कौन उसको उससे फिरा सकता है? [QE][QS]जो कुछ उसका जी चाहता है वही वह करता है*। [QE]
14. [QS]जो कुछ मेरे लिये उसने ठाना है, [QE][QS]उसी को वह पूरा करता है; [QE][QS]और उसके मन में ऐसी-ऐसी बहुत सी बातें हैं। [QE]
15. [QS]इस कारण मैं उसके सम्मुख घबरा जाता हूँ; [QE][QS]जब मैं सोचता हूँ तब उससे थरथरा उठता हूँ। [QE]
16. [QS]क्योंकि मेरा मन परमेश्वर ही ने कच्चा कर दिया, [QE][QS]और सर्वशक्तिमान ही ने मुझ को घबरा दिया है। [QE]
17. [QS]क्योंकि मैं अंधकार से घिरा हुआ हूँ, [QE][QS]और घोर अंधकार ने मेरे मुँह को ढाँप लिया है। [QE]