पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
अय्यूब
1. {शूही बिल्दद का वचन} [PS] तब शूही बिल्दद ने कहा, [QBR]
2. “प्रभुता करना और डराना यह उसी का काम है*; [QBR] वह अपने ऊँचे-ऊँचे स्थानों में शान्ति रखता है। [QBR]
3. क्या उसकी सेनाओं की गिनती हो सकती? [QBR] और कौन है जिस पर उसका प्रकाश नहीं पड़ता? [QBR]
4. फिर मनुष्य परमेश्‍वर की दृष्टि में धर्मी कैसे ठहर सकता है? [QBR] और जो स्त्री से उत्‍पन्‍न हुआ है वह कैसे निर्मल हो सकता है? [QBR]
5. देख, उसकी दृष्टि में चन्द्रमा भी अंधेरा ठहरता, [QBR] और तारे भी निर्मल नहीं ठहरते। [QBR]
6. फिर मनुष्य की क्या गिनती जो कीड़ा है, [QBR] और आदमी कहाँ रहा जो केंचुआ है!” [PE]

Notes

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अय्यूब 25:6
शूही बिल्दद का वचन 1 तब शूही बिल्दद ने कहा, 2 “प्रभुता करना और डराना यह उसी का काम है*; वह अपने ऊँचे-ऊँचे स्थानों में शान्ति रखता है। 3 क्या उसकी सेनाओं की गिनती हो सकती? और कौन है जिस पर उसका प्रकाश नहीं पड़ता? 4 फिर मनुष्य परमेश्‍वर की दृष्टि में धर्मी कैसे ठहर सकता है? और जो स्त्री से उत्‍पन्‍न हुआ है वह कैसे निर्मल हो सकता है? 5 देख, उसकी दृष्टि में चन्द्रमा भी अंधेरा ठहरता, और तारे भी निर्मल नहीं ठहरते। 6 फिर मनुष्य की क्या गिनती जो कीड़ा है, और आदमी कहाँ रहा जो केंचुआ है!”
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