1. {एलीहू का वचन} PS तब उन तीनों पुरुषों ने यह देखकर कि अय्यूब अपनी दृष्टि में निर्दोष है* उसको उत्तर देना छोड़ दिया।
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2. और बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू* जो राम के कुल का था, उसका क्रोध भड़क उठा। अय्यूब पर उसका क्रोध इसलिए भड़क उठा, कि उसने परमेश्वर को नहीं, अपने ही को निर्दोष ठहराया।
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3. फिर अय्यूब के तीनों मित्रों के विरुद्ध भी उसका क्रोध इस कारण भड़का, कि वे अय्यूब को उत्तर न दे सके, तो भी उसको दोषी ठहराया।
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6. तब बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू कहने लगा,
“मैं तो जवान हूँ, और तुम बहुत बूढ़े हो; इस कारण मैं रुका रहा, और अपना विचार तुम को बताने से डरता था। |
8. परन्तु मनुष्य में आत्मा तो है ही,
और सर्वशक्तिमान अपनी दी हुई साँस से उन्हें समझने की शक्ति देता है। |
11. “मैं तो तुम्हारी बातें सुनने को ठहरा रहा,
मैं तुम्हारे प्रमाण सुनने के लिये ठहरा रहा; जब कि तुम कहने के लिये शब्द ढूँढ़ते रहे। |
12. मैं चित्त लगाकर तुम्हारी सुनता रहा।
परन्तु किसी ने अय्यूब के पक्ष का खण्डन नहीं किया, और न उसकी बातों का उत्तर दिया। |
14. जो बातें उसने कहीं वह मेरे विरुद्ध तो नहीं कहीं,
और न मैं तुम्हारी सी बातों से उसको उत्तर दूँगा। |