1. [QS]“फिर इस बात पर भी मेरा हृदय काँपता है, [QE][QS]और अपने स्थान से उछल पड़ता है। [QE]
2. [QS]उसके बोलने का शब्द तो सुनो, [QE][QS]और उस शब्द को जो उसके मुँह से निकलता है सुनो। [QE]
3. [QS]वह उसको सारे आकाश के तले, [QE][QS]और अपनी बिजली को पृथ्वी की छोर तक भेजता है। [QE]
4. [QS]उसके पीछे गरजने का शब्द होता है; [QE][QS]वह अपने प्रतापी शब्द से गरजता है, [QE][QS]और जब उसका शब्द सुनाई देता है तब बिजली लगातार चमकने लगती है। [QE]
5. [QS]परमेश्वर गरजकर अपना शब्द अद्भुत रीति से सुनाता है*, [QE][QS]और बड़े-बड़े काम करता है जिनको हम नहीं समझते। [QE]
6. [QS]वह तो हिम से कहता है, पृथ्वी पर गिर, [QE][QS]और इसी प्रकार मेंह को भी [QE][QS]और मूसलाधार वर्षा को भी ऐसी ही आज्ञा देता है। [QE]
7. [QS]वह सब मनुष्यों के हाथ पर मुहर कर देता है, [QE][QS]जिससे उसके बनाए हुए सब मनुष्य उसको पहचानें। [QE]
8. [QS]तब वन पशु गुफाओं में घुस जाते, [QE][QS]और अपनी-अपनी माँदों में रहते हैं। [QE]
9. [QS]दक्षिण दिशा से बवण्डर [QE][QS]और उत्तर दिशा से जाड़ा आता है। [QE]
10. [QS]परमेश्वर की श्वास की फूँक से बर्फ पड़ता है, [QE][QS]तब जलाशयों का पाट जम जाता है। [QE]
11. [QS]फिर वह घटाओं को भाप से लादता, [QE][QS]और अपनी बिजली से भरे हुए उजियाले का बादल दूर तक फैलाता है। [QE]
12. [QS]वे उसकी बुद्धि की युक्ति से इधर-उधर फिराए जाते हैं, [QE][QS]इसलिए कि जो आज्ञा वह उनको दे*, [QE][QS]उसी को वे बसाई हुई पृथ्वी के ऊपर पूरी करें। [QE]
13. [QS]चाहे ताड़ना देने के लिये, चाहे अपनी पृथ्वी की भलाई के लिये [QE][QS]या मनुष्यों पर करुणा करने के लिये वह उसे भेजे। [QE]
14. [QS]“हे अय्यूब! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, [QE][QS]और परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों का विचार कर। [QE]
15. [QS]क्या तू जानता है, कि परमेश्वर क्यों अपने बादलों को आज्ञा देता, [QE][QS]और अपने बादल की बिजली को चमकाता है? [QE]
16. [QS]क्या तू घटाओं का तौलना, [QE][QS]या सर्वज्ञानी के आश्चर्यकर्मों को जानता है? [QE]
17. [QS]जब पृथ्वी पर दक्षिणी हवा ही के कारण से सन्नाटा रहता है [QE][QS]तब तेरे वस्त्र गर्म हो जाते हैं? [QE]
18. [QS]फिर क्या तू उसके साथ आकाशमण्डल को तान सकता है, [QE][QS]जो ढाले हुए दर्पण के तुल्य दृढ़ है? [QE]
19. [QS]तू हमें यह सिखा कि उससे क्या कहना चाहिये? [QE][QS]क्योंकि हम अंधियारे के कारण अपना व्याख्यान ठीक नहीं रच सकते। [QE]
20. [QS]क्या उसको बताया जाए कि मैं बोलना चाहता हूँ? [QE][QS]क्या कोई अपना सत्यानाश चाहता है? [QE]
21. [QS]“अभी तो आकाशमण्डल में का बड़ा प्रकाश देखा नहीं जाता [QE][QS]जब वायु चलकर उसको शुद्ध करती है। [QE]
22. [QS]उत्तर दिशा से सुनहरी ज्योति आती है [QE][QS]परमेश्वर भययोग्य तेज से विभूषित है। [QE]
23. [QS]सर्वशक्तिमान जो अति सामर्थी है, [QE][QS]और जिसका भेद हम पा नहीं सकते, [QE][QS]वह न्याय और पूर्ण धर्म को छोड़ अत्याचार नहीं कर सकता। [QE]
24. [QS]इसी कारण सज्जन उसका भय मानते हैं, [QE][QS]और जो अपनी दृष्टि में बुद्धिमान हैं, उन पर वह दृष्टि नहीं करता।” [QE]