1. {#1योना की प्रार्थना }
2. [PS]तब योना ने महा मच्छ के पेट में से अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करके कहा, [PE][QS]“मैंने संकट में पड़े हुए यहोवा की दुहाई दी, [QE][QS]और उसने मेरी सुन ली है; [QE][QS]अधोलोक के उदर में से* मैं चिल्ला उठा, [QE][QS]और तूने मेरी सुन ली। [QE]
3. [QS]तूने मुझे गहरे सागर में समुद्र की थाह तक डाल दिया; [QE][QS]और मैं धाराओं के बीच में पड़ा था, [QE][QS]तेरी सब तरंग और लहरें मेरे ऊपर से बह गईं। [QE]
4. [QS]तब मैंने कहा, 'मैं तेरे सामने से निकाल दिया गया हूँ; [QE][QS]कैसे मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर फिर ताकूँगा?” [QE]
5. [QS]मैं जल से यहाँ तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे; [QE][QS]गहरा सागर मेरे चारों ओर था, और मेरे सिर में सिवार लिपटा हुआ था। [QE]
6. [QS]मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुँच गया था; [QE][QS]मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; [QE][QS]तो भी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तूने मेरे प्राणों को गड्ढे में से उठाया है। [QE]
7. [QS]जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैंने यहोवा को स्मरण किया; [QE][QS]और मेरी प्रार्थना तेरे पास वरन् तेरे पवित्र मन्दिर में पहुँच गई। [QE]
8. [QS]जो लोग धोखे की व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, [QE][QS]वे अपने करुणानिधान को छोड़ देते हैं। [QE]
9. [QS]परन्तु मैं ऊँचे शब्द से धन्यवाद करके तुझे बलिदान चढ़ाऊँगा; [QE][QS]जो मन्नत मैंने मानी, उसको पूरी करूँगा। [QE][QS]उद्धार यहोवा ही से होता है।” [QE]
10. [PS]और यहोवा ने महा मच्छ को आज्ञा दी, और उसने योना को स्थल पर उगल दिया। [QE]