पवित्र बाइबिल

इंडियन रिवाइज्ड वर्शन (ISV)
यहोशू
1. {#1यहूदा के साथ में शिमोन के कुल का भाग } [PS]दूसरी चिट्ठी शिमोन के नाम पर, अर्थात् शिमोनियों के कुलों के अनुसार उनके गोत्र के नाम पर निकली*; और उनका भाग यहूदियों के भाग के बीच में ठहरा।
2. उनके भाग में ये नगर हैं, अर्थात् बेर्शेबा, शेबा, मोलादा,
3. हसर्शूआल, बाला, एसेम,
4. एलतोलद, बतूल, होर्मा,
5. सिकलग, बेत्मर्काबोत, हसर्शूसा,
6. बेतलबाओत, और शारूहेन; ये तेरह नगर और इनके गाँव उन्हें मिले।
7. फिर ऐन, रिम्मोन, एतेर, और आशान, ये चार नगर गाँवों समेत;
8. और बालत्बेर जो दक्षिण देश का रामाह भी कहलाता है, वहाँ तक इन नगरों के चारों ओर के सब गाँव भी उन्हें मिले। शिमोनियों के गोत्र का भाग उनके कुलों के अनुसार यही ठहरा।
9. शिमोनियों का भाग तो यहूदियों के अंश में से दिया गया; क्योंकि यहूदियों का भाग उनके लिये बहुत था, इस कारण शिमोनियों का भाग उन्हीं के भाग के बीच ठहरा।।
10. तीसरी चिट्ठी जबूलूनियों के कुलों के अनुसार उनके नाम पर निकली। और उनके भाग की सीमा सारीद तक पहुँची;
11. और उनकी सीमा पश्चिम की ओर मरला को चढ़कर दब्बेशेत को पहुँची; और योकनाम के सामने के नाले तक पहुँच गई;
12. फिर सारीद से वह सूर्योदय की ओर मुड़कर किसलोत्ताबोर की सीमा तक पहुँची, और वहाँ से बढ़ते-बढ़ते दाबरात में निकली, और यापी की ओर जा निकली;
13. वहाँ से वह पूर्व की ओर आगे बढ़कर गथेपेर और इत्कासीन को गई, और उस रिम्मोन में निकली जो नेआ तक फैला हुआ है;
14. वहाँ से वह सीमा उसके उत्तर की ओर से मुड़कर हन्नातोन पर पहुँची, और यिप्तहेल की तराई में जा निकली;
15. कत्तात, नहलाल, शिम्रोन, यिदला, और बैतलहम; ये बारह नगर उनके गाँवों समेत उसी भाग के ठहरे।
16. जबूलूनियों का भाग उनके कुलों के अनुसार यही ठहरा; और उसमें अपने-अपने गाँवों समेत ये ही नगर हैं।
17. चौथी चिट्ठी इस्साकारियों के कुलों के अनुसार उनके नाम पर निकली।
18. और उनकी सीमा यिज्रेल, कसुल्लोत, शूनेम
19. हपारैम, शीओन, अनाहरत,
20. रब्बीत, किश्योन, एबेस,
21. रेमेत, एनगन्नीम, एनहद्दा, और बेत्पस्सेस तक पहुँची।
22. फिर वह सीमा ताबोर, शहसूमा और बेतशेमेश तक पहुँची, और उनकी सीमा यरदन नदी पर जा निकली; इस प्रकार उनको सोलह नगर अपने-अपने गाँवों समेत मिले।
23. कुलों के अनुसार इस्साकारियों के गोत्र का भाग नगरों और गाँवों समेत यही ठहरा।।
24. पाँचवीं चिट्ठी आशेरियों के गोत्र के कुलों के अनुसार उनके नाम पर निकली।
25. उनकी सीमा में हेल्कात, हली, बेतेन, अक्षाप,
26. अलाम्मेल्लेक, अमाद, और मिशाल थे; और वह पश्चिम की ओर कर्मेल तक और शीहोर्लिब्नात तक पहुँची;
27. फिर वह सूर्योदय की ओर मुड़कर बेतदागोन को गई, और जबूलून के भाग तक, और यिप्तहेल की तराई में उत्तर की ओर होकर बेतेमेक और नीएल तक पहुँची और उत्तर की ओर जाकर काबूल पर निकली,
28. और वह एब्रोन, रहोब, हम्मोन, और काना से होकर बड़े सीदोन को पहुँची;
29. वहाँ से वह सीमा मुड़कर रामाह से होते हुए सोर नामक गढ़वाले नगर तक चली गई; फिर सीमा होसा की ओर मुड़कर और अकजीब के पास के देश में होकर समुद्र पर निकली,
30. उम्मा, अपेक, और रहोब भी उनके भाग में ठहरे; इस प्रकार बाईस नगर अपने-अपने गाँवों समेत उनको मिले।
31. कुलों के अनुसार आशेरियों के गोत्र का भाग नगरों और गाँवों समेत यही ठहरा।।
32. छठवीं चिट्ठी नप्तालियों के कुलों के अनुसार उनके नाम पर निकली।
33. और उनकी सीमा हेलेप से, और सानन्‍नीम के बांज वृक्ष से, अदामीनेकेब और यब्नेल से होकर, और लक्कूम को जाकर यरदन पर निकली;
34. वहाँ से वह सीमा पश्चिम की ओर मुड़कर अजनोत्ताबोर को गई, और वहाँ से हुक्कोक को गई, और दक्षिण, और जबूलून के भाग तक, और पश्चिम की ओर आशेर के भाग तक, और सूर्योदय की ओर यहूदा के भाग के पास की यरदन नदी पर पहुँची।
35. और उनके गढ़वाले नगर ये हैं, अर्थात् सिद्दीम, सेर, हम्मत, रक्कत, किन्नेरेत,
36. अदामा, रामाह, हासोर,
37. केदेश, एद्रेई, एन्हासोर,
38. यिरोन, मिगदलेल, होरेम, बेतनात, और बेतशेमेश; ये उन्नीस नगर गाँवों समेत उनको मिले।
39. कुलों के अनुसार नप्तालियों के गोत्र का भाग नगरों और उनके गाँवों समेत यही ठहरा।।
40. सातवीं चिट्ठी कुलों के अनुसार दान के गोत्र के नाम पर निकली।
41. और उनके भाग की सीमा में सोरा, एश्‍ताओल, ईरशेमेश,
42. शालब्बीन, अय्यालोन, यितला,
43. एलोन, तिम्‍नाह, एक्रोन,
44. एलतके, गिब्बतोन, बालात,
45. यहूद, बनेबराक, गत्रिम्मोन,
46. मेयर्कोन, और रक्कोन ठहरे, और याफा के सामने की सीमा भी उनकी थी।
47. और दानियों का भाग इससे* अधिक हो गया, अर्थात् दानी लेशेम पर चढ़कर उससे लड़े, और उसे लेकर तलवार से मार डाला, और उसको अपने अधिकार में करके उसमें बस गए, और अपने मूलपुरुष के नाम पर लेशेम का नाम दान रखा।
48. कुलों के अनुसार दान के गोत्र का भाग नगरों और गाँवों समेत यही ठहरा।।
49. जब देश का बाँटा जाना सीमाओं के अनुसार पूरा हो गया, तब इस्राएलियों ने नून के पुत्र यहोशू को भी अपने बीच में एक भाग दिया।
50. यहोवा के कहने के अनुसार उन्होंने उसको उसका मांगा हुआ नगर दिया, यह एप्रैम के पहाड़ी देश में का तिम्नत्सेरह है; और वह उस नगर को बसाकर उसमें रहने लगा।।
51. जो-जो भाग एलीआजर याजक, और नून के पुत्र यहोशू, और इस्राएलियों के गोत्रों के घरानों के पूर्वजों के मुख्य-मुख्य पुरुषों ने शीलो में, मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के सामने चिट्ठी डाल डालके बाँट दिए वे ये ही हैं। इस प्रकार उन्होंने देश विभाजन का काम पूरा किया।। [PE]
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यहूदा के साथ में शिमोन के कुल का भाग 1 दूसरी चिट्ठी शिमोन के नाम पर, अर्थात् शिमोनियों के कुलों के अनुसार उनके गोत्र के नाम पर निकली*; और उनका भाग यहूदियों के भाग के बीच में ठहरा। 2 उनके भाग में ये नगर हैं, अर्थात् बेर्शेबा, शेबा, मोलादा, 3 हसर्शूआल, बाला, एसेम, 4 एलतोलद, बतूल, होर्मा, 5 सिकलग, बेत्मर्काबोत, हसर्शूसा, 6 बेतलबाओत, और शारूहेन; ये तेरह नगर और इनके गाँव उन्हें मिले। 7 फिर ऐन, रिम्मोन, एतेर, और आशान, ये चार नगर गाँवों समेत; 8 और बालत्बेर जो दक्षिण देश का रामाह भी कहलाता है, वहाँ तक इन नगरों के चारों ओर के सब गाँव भी उन्हें मिले। शिमोनियों के गोत्र का भाग उनके कुलों के अनुसार यही ठहरा। 9 शिमोनियों का भाग तो यहूदियों के अंश में से दिया गया; क्योंकि यहूदियों का भाग उनके लिये बहुत था, इस कारण शिमोनियों का भाग उन्हीं के भाग के बीच ठहरा।। 10 तीसरी चिट्ठी जबूलूनियों के कुलों के अनुसार उनके नाम पर निकली। और उनके भाग की सीमा सारीद तक पहुँची; 11 और उनकी सीमा पश्चिम की ओर मरला को चढ़कर दब्बेशेत को पहुँची; और योकनाम के सामने के नाले तक पहुँच गई; 12 फिर सारीद से वह सूर्योदय की ओर मुड़कर किसलोत्ताबोर की सीमा तक पहुँची, और वहाँ से बढ़ते-बढ़ते दाबरात में निकली, और यापी की ओर जा निकली; 13 वहाँ से वह पूर्व की ओर आगे बढ़कर गथेपेर और इत्कासीन को गई, और उस रिम्मोन में निकली जो नेआ तक फैला हुआ है; 14 वहाँ से वह सीमा उसके उत्तर की ओर से मुड़कर हन्नातोन पर पहुँची, और यिप्तहेल की तराई में जा निकली; 15 कत्तात, नहलाल, शिम्रोन, यिदला, और बैतलहम; ये बारह नगर उनके गाँवों समेत उसी भाग के ठहरे। 16 जबूलूनियों का भाग उनके कुलों के अनुसार यही ठहरा; और उसमें अपने-अपने गाँवों समेत ये ही नगर हैं। 17 चौथी चिट्ठी इस्साकारियों के कुलों के अनुसार उनके नाम पर निकली। 18 और उनकी सीमा यिज्रेल, कसुल्लोत, शूनेम 19 हपारैम, शीओन, अनाहरत, 20 रब्बीत, किश्योन, एबेस, 21 रेमेत, एनगन्नीम, एनहद्दा, और बेत्पस्सेस तक पहुँची। 22 फिर वह सीमा ताबोर, शहसूमा और बेतशेमेश तक पहुँची, और उनकी सीमा यरदन नदी पर जा निकली; इस प्रकार उनको सोलह नगर अपने-अपने गाँवों समेत मिले। 23 कुलों के अनुसार इस्साकारियों के गोत्र का भाग नगरों और गाँवों समेत यही ठहरा।। 24 पाँचवीं चिट्ठी आशेरियों के गोत्र के कुलों के अनुसार उनके नाम पर निकली। 25 उनकी सीमा में हेल्कात, हली, बेतेन, अक्षाप, 26 अलाम्मेल्लेक, अमाद, और मिशाल थे; और वह पश्चिम की ओर कर्मेल तक और शीहोर्लिब्नात तक पहुँची; 27 फिर वह सूर्योदय की ओर मुड़कर बेतदागोन को गई, और जबूलून के भाग तक, और यिप्तहेल की तराई में उत्तर की ओर होकर बेतेमेक और नीएल तक पहुँची और उत्तर की ओर जाकर काबूल पर निकली, 28 और वह एब्रोन, रहोब, हम्मोन, और काना से होकर बड़े सीदोन को पहुँची; 29 वहाँ से वह सीमा मुड़कर रामाह से होते हुए सोर नामक गढ़वाले नगर तक चली गई; फिर सीमा होसा की ओर मुड़कर और अकजीब के पास के देश में होकर समुद्र पर निकली, 30 उम्मा, अपेक, और रहोब भी उनके भाग में ठहरे; इस प्रकार बाईस नगर अपने-अपने गाँवों समेत उनको मिले।
31 कुलों के अनुसार आशेरियों के गोत्र का भाग नगरों और गाँवों समेत यही ठहरा।।
32 छठवीं चिट्ठी नप्तालियों के कुलों के अनुसार उनके नाम पर निकली। 33 और उनकी सीमा हेलेप से, और सानन्‍नीम के बांज वृक्ष से, अदामीनेकेब और यब्नेल से होकर, और लक्कूम को जाकर यरदन पर निकली; 34 वहाँ से वह सीमा पश्चिम की ओर मुड़कर अजनोत्ताबोर को गई, और वहाँ से हुक्कोक को गई, और दक्षिण, और जबूलून के भाग तक, और पश्चिम की ओर आशेर के भाग तक, और सूर्योदय की ओर यहूदा के भाग के पास की यरदन नदी पर पहुँची। 35 और उनके गढ़वाले नगर ये हैं, अर्थात् सिद्दीम, सेर, हम्मत, रक्कत, किन्नेरेत, 36 अदामा, रामाह, हासोर, 37 केदेश, एद्रेई, एन्हासोर, 38 यिरोन, मिगदलेल, होरेम, बेतनात, और बेतशेमेश; ये उन्नीस नगर गाँवों समेत उनको मिले। 39 कुलों के अनुसार नप्तालियों के गोत्र का भाग नगरों और उनके गाँवों समेत यही ठहरा।। 40 सातवीं चिट्ठी कुलों के अनुसार दान के गोत्र के नाम पर निकली। 41 और उनके भाग की सीमा में सोरा, एश्‍ताओल, ईरशेमेश, 42 शालब्बीन, अय्यालोन, यितला, 43 एलोन, तिम्‍नाह, एक्रोन, 44 एलतके, गिब्बतोन, बालात, 45 यहूद, बनेबराक, गत्रिम्मोन, 46 मेयर्कोन, और रक्कोन ठहरे, और याफा के सामने की सीमा भी उनकी थी। 47 और दानियों का भाग इससे* अधिक हो गया, अर्थात् दानी लेशेम पर चढ़कर उससे लड़े, और उसे लेकर तलवार से मार डाला, और उसको अपने अधिकार में करके उसमें बस गए, और अपने मूलपुरुष के नाम पर लेशेम का नाम दान रखा। 48 कुलों के अनुसार दान के गोत्र का भाग नगरों और गाँवों समेत यही ठहरा।। 49 जब देश का बाँटा जाना सीमाओं के अनुसार पूरा हो गया, तब इस्राएलियों ने नून के पुत्र यहोशू को भी अपने बीच में एक भाग दिया। 50 यहोवा के कहने के अनुसार उन्होंने उसको उसका मांगा हुआ नगर दिया, यह एप्रैम के पहाड़ी देश में का तिम्नत्सेरह है; और वह उस नगर को बसाकर उसमें रहने लगा।। 51 जो-जो भाग एलीआजर याजक, और नून के पुत्र यहोशू, और इस्राएलियों के गोत्रों के घरानों के पूर्वजों के मुख्य-मुख्य पुरुषों ने शीलो में, मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के सामने चिट्ठी डाल डालके बाँट दिए वे ये ही हैं। इस प्रकार उन्होंने देश विभाजन का काम पूरा किया।।
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