पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
गिनती
1. {कनानी राजा पर विजय} [PS] तब अराद का कनानी राजा, जो दक्षिण देश में रहता था, यह सुनकर कि जिस मार्ग से वे भेदिये आए थे उसी मार्ग से अब इस्राएली आ रहे हैं, इस्राएल से लड़ा, और उनमें से कुछ को बन्धुआ कर लिया।
2. तब इस्राएलियों ने यहोवा से यह कहकर मन्नत मानी, “यदि तू सचमुच उन लोगों को हमारे वश में कर दे, तो हम उनके नगरों को सत्यानाश कर देंगे।”
3. इस्राएल की यह बात सुनकर यहोवा ने कनानियों को उनके वश में कर दिया; अतः उन्होंने उनके नगरों समेत उनको भी सत्यानाश किया; इससे उस स्थान का नाम होर्मा रखा गया। [PS]
4. {पीतल का बना सर्प} [PS] फिर उन्होंने होर पहाड़ से कूच करके लाल समुद्र का मार्ग लिया कि एदोम देश से बाहर-बाहर घूमकर जाएँ; और लोगों का मन मार्ग के कारण बहुत व्याकुल हो गया।
5. इसलिए वे परमेश्‍वर के विरुद्ध बात करने लगे, और मूसा से कहा, “तुम लोग हमको मिस्र से जंगल में मरने के लिये क्यों ले आए हो? यहाँ न तो रोटी है, और न पानी, और हमारे प्राण इस निकम्मी रोटी से दुःखित हैं।”
6. अतः यहोवा ने उन लोगों में तेज विषवाले साँप *भेजे, जो उनको डसने लगे, और बहुत से इस्राएली मर गए। (1 कुरि. 10:9)
7. तब लोग मूसा के पास जाकर कहने लगे, “हमने पाप किया है, कि हमने यहोवा के और तेरे विरुद्ध बातें की हैं; यहोवा से प्रार्थना कर कि वह साँपों को हम से दूर करे।” तब मूसा ने उनके लिये प्रार्थना की।
8. यहोवा ने मूसा से कहा, “एक तेज विषवाले साँप की प्रतिमा बनवाकर* खम्भे पर लटका; तब जो साँप से डसा हुआ उसको देख ले वह जीवित बचेगा।”
9. अतः मूसा ने पीतल को एक साँप बनवाकर खम्भे पर लटकाया; तब साँप के डसे हुओं में से जिस-जिस ने उस पीतल के साँप की ओर को देखा वह जीवित बच गया। (यूह. 3:14) [PS]
10. {होर पर्वत से मोआब की ओर} [PS] फिर इस्राएलियों ने कूच करके ओबोत में डेरे डालें।
11. और ओबोत से कूच करके अबारीम में डेरे डालें, जो पूर्व की ओर मोआब के सामने के जंगल में है।
12. वहाँ से कूच करके उन्होंने जेरेद नामक नाले में डेरे डालें।
13. वहाँ से कूच करके उन्होंने अर्नोन नदी, जो जंगल में बहती और एमोरियों के देश से निकलती है, उसकी दूसरी ओर डेरे खड़े किए; क्योंकि अर्नोन मोआबियों और एमोरियों के बीच होकर मोआब देश की सीमा ठहरी है।
14. इस कारण यहोवा के संग्राम नामक पुस्तक में इस प्रकार लिखा है, [QBR] “सूपा में वाहेब, [QBR] और अर्नोन की घाटी, [QBR]
15. और उन घाटियों की ढलान जो आर नामक नगर की ओर है, [QBR] और जो मोआब की सीमा पर है।”
16. फिर वहाँ से कूच करके वे बैर तक गए; वहाँ वही कुआँ है जिसके विषय में यहोवा ने मूसा से कहा था, “उन लोगों को इकट्ठा कर, और मैं उन्हें पानी दूँगा।” [PE][PS]
17. उस समय इस्राएल ने यह गीत गया, [QBR] “हे कुएँ, उमड़ आ, उस कुएँ के विषय में गाओ! [QBR]
18. जिसको हाकिमों ने खोदा, [QBR] और इस्राएल के रईसों ने अपने सोंटों और लाठियों से खोद लिया।” फिर वे जंगल से मत्ताना को,
19. और मत्ताना से नहलीएल को, और नहलीएल से बामोत को,
20. और बामोत से कूच करके उस तराई तक जो मोआब के मैदान में है, और पिसगा के उस सिरे तक भी जो यशीमोन की ओर झुका है पहुँच गए। [PS]
21. {एमोरियों के राजा सीहोन पर विजय} [PS] तब इस्राएल ने एमोरियों के राजा सीहोन के पास दूतों से यह कहला भेजा,
22. “हमें अपने देश में होकर जाने दे; हम मुड़कर किसी खेत या दाख की बारी में तो न जाएँगे; न किसी कुएँ का पानी पीएँगे; और जब तक तेरे देश से बाहर न हो जाएँ तब तक सड़क ही से चले जाएँगे।”
23. फिर भी सीहोन ने इस्राएल को अपने देश से होकर जाने न दिया; वरन् अपनी सारी सेना को इकट्ठा करके इस्राएल का सामना करने को जंगल में निकल आया, और यहस को आकर उनसे लड़ा।
24. तब इस्राएलियों ने उसको तलवार से मार दिया, और अर्नोन से *यब्बोक नदी तक, जो अम्मोनियों की सीमा थी, उसके देश के अधिकारी हो गए; अम्मोनियों की सीमा तो दृढ़ थी।
25. इसलिए इस्राएल ने एमोरियों के सब नगरों को ले लिया, और उनमें, अर्थात् हेशबोन* और उसके आस-पास के नगरों में रहने लगे।
26. हेशबोन एमोरियों के राजा सीहोन का नगर था; उसने मोआब के पिछले राजा से लड़कर उसका सारा देश अर्नोन तक उसके हाथ से छीन लिया था।
27. इस कारण गूढ़ बात के कहनेवाले कहते हैं, [QBR] “हेशबोन में आओ, [QBR] सीहोन का नगर बसे, और दृढ़ किया जाए। [QBR]
28. क्योंकि हेशबोन से आग, [QBR] सीहोन के नगर से लौ निकली; [QBR] जिससे मोआब देश का आर नगर, और अर्नोन के ऊँचे स्थानों के स्वामी भस्म हुए। [QBR]
29. हे मोआब, तुझ पर हाय! [QBR] कमोश देवता की प्रजा नाश हुई, [QBR] उसने अपने बेटों को भगोड़ा, [QBR] और अपनी बेटियों को एमोरी राजा सीहोन की दासी कर दिया। [QBR]
30. हमने उन्हें गिरा दिया है, [QBR] हेशबोन दीबोन तक नष्ट हो गया है, [QBR] और हमने नोपह और मेदबा तक भी उजाड़ दिया है।” [PE][PS]
31. इस प्रकार इस्राएल एमोरियों के देश में रहने लगा।
32. तब मूसा ने याजेर नगर का भेद लेने को भेजा; और उन्होंने उसके गाँवों को ले लिया, और वहाँ के एमोरियों को उस देश से निकाल दिया। [PS]
33. {बाशान के राजा ओग पर विजय} [PS] तब वे मुड़कर बाशान के मार्ग से जाने लगे; और बाशान के राजा ओग ने उनका सामना किया, वह लड़ने को अपनी सारी सेना समेत एद्रेई में निकल आया।
34. तब यहोवा ने मूसा से कहा, “उससे मत डर; क्योंकि मैं उसको सारी सेना और देश समेत तेरे हाथ में कर देता हूँ; और जैसा तूने एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन के साथ किया है, वैसा ही उसके साथ भी करना।”
35. तब उन्होंने उसको, और उसके पुत्रों और सारी प्रजा को यहाँ तक मारा कि उसका कोई भी न बचा; और वे उसके देश के अधिकारी को गए। [PE]

Notes

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गिनती 21:39
1. {कनानी राजा पर विजय} PS तब अराद का कनानी राजा, जो दक्षिण देश में रहता था, यह सुनकर कि जिस मार्ग से वे भेदिये आए थे उसी मार्ग से अब इस्राएली रहे हैं, इस्राएल से लड़ा, और उनमें से कुछ को बन्धुआ कर लिया।
2. तब इस्राएलियों ने यहोवा से यह कहकर मन्नत मानी, “यदि तू सचमुच उन लोगों को हमारे वश में कर दे, तो हम उनके नगरों को सत्यानाश कर देंगे।”
3. इस्राएल की यह बात सुनकर यहोवा ने कनानियों को उनके वश में कर दिया; अतः उन्होंने उनके नगरों समेत उनको भी सत्यानाश किया; इससे उस स्थान का नाम होर्मा रखा गया। PS
4. {पीतल का बना सर्प} PS फिर उन्होंने होर पहाड़ से कूच करके लाल समुद्र का मार्ग लिया कि एदोम देश से बाहर-बाहर घूमकर जाएँ; और लोगों का मन मार्ग के कारण बहुत व्याकुल हो गया।
5. इसलिए वे परमेश्‍वर के विरुद्ध बात करने लगे, और मूसा से कहा, “तुम लोग हमको मिस्र से जंगल में मरने के लिये क्यों ले आए हो? यहाँ तो रोटी है, और पानी, और हमारे प्राण इस निकम्मी रोटी से दुःखित हैं।”
6. अतः यहोवा ने उन लोगों में तेज विषवाले साँप *भेजे, जो उनको डसने लगे, और बहुत से इस्राएली मर गए। (1 कुरि. 10:9)
7. तब लोग मूसा के पास जाकर कहने लगे, “हमने पाप किया है, कि हमने यहोवा के और तेरे विरुद्ध बातें की हैं; यहोवा से प्रार्थना कर कि वह साँपों को हम से दूर करे।” तब मूसा ने उनके लिये प्रार्थना की।
8. यहोवा ने मूसा से कहा, “एक तेज विषवाले साँप की प्रतिमा बनवाकर* खम्भे पर लटका; तब जो साँप से डसा हुआ उसको देख ले वह जीवित बचेगा।”
9. अतः मूसा ने पीतल को एक साँप बनवाकर खम्भे पर लटकाया; तब साँप के डसे हुओं में से जिस-जिस ने उस पीतल के साँप की ओर को देखा वह जीवित बच गया। (यूह. 3:14) PS
10. {होर पर्वत से मोआब की ओर} PS फिर इस्राएलियों ने कूच करके ओबोत में डेरे डालें।
11. और ओबोत से कूच करके अबारीम में डेरे डालें, जो पूर्व की ओर मोआब के सामने के जंगल में है।
12. वहाँ से कूच करके उन्होंने जेरेद नामक नाले में डेरे डालें।
13. वहाँ से कूच करके उन्होंने अर्नोन नदी, जो जंगल में बहती और एमोरियों के देश से निकलती है, उसकी दूसरी ओर डेरे खड़े किए; क्योंकि अर्नोन मोआबियों और एमोरियों के बीच होकर मोआब देश की सीमा ठहरी है।
14. इस कारण यहोवा के संग्राम नामक पुस्तक में इस प्रकार लिखा है,
“सूपा में वाहेब,
और अर्नोन की घाटी,
15. और उन घाटियों की ढलान जो आर नामक नगर की ओर है,
और जो मोआब की सीमा पर है।”
16. फिर वहाँ से कूच करके वे बैर तक गए; वहाँ वही कुआँ है जिसके विषय में यहोवा ने मूसा से कहा था, “उन लोगों को इकट्ठा कर, और मैं उन्हें पानी दूँगा।” PEPS
17. उस समय इस्राएल ने यह गीत गया,
“हे कुएँ, उमड़ आ, उस कुएँ के विषय में गाओ!
18. जिसको हाकिमों ने खोदा,
और इस्राएल के रईसों ने अपने सोंटों और लाठियों से खोद लिया।” फिर वे जंगल से मत्ताना को,
19. और मत्ताना से नहलीएल को, और नहलीएल से बामोत को,
20. और बामोत से कूच करके उस तराई तक जो मोआब के मैदान में है, और पिसगा के उस सिरे तक भी जो यशीमोन की ओर झुका है पहुँच गए। PS
21. {एमोरियों के राजा सीहोन पर विजय} PS तब इस्राएल ने एमोरियों के राजा सीहोन के पास दूतों से यह कहला भेजा,
22. “हमें अपने देश में होकर जाने दे; हम मुड़कर किसी खेत या दाख की बारी में तो जाएँगे; किसी कुएँ का पानी पीएँगे; और जब तक तेरे देश से बाहर हो जाएँ तब तक सड़क ही से चले जाएँगे।”
23. फिर भी सीहोन ने इस्राएल को अपने देश से होकर जाने दिया; वरन् अपनी सारी सेना को इकट्ठा करके इस्राएल का सामना करने को जंगल में निकल आया, और यहस को आकर उनसे लड़ा।
24. तब इस्राएलियों ने उसको तलवार से मार दिया, और अर्नोन से *यब्बोक नदी तक, जो अम्मोनियों की सीमा थी, उसके देश के अधिकारी हो गए; अम्मोनियों की सीमा तो दृढ़ थी।
25. इसलिए इस्राएल ने एमोरियों के सब नगरों को ले लिया, और उनमें, अर्थात् हेशबोन* और उसके आस-पास के नगरों में रहने लगे।
26. हेशबोन एमोरियों के राजा सीहोन का नगर था; उसने मोआब के पिछले राजा से लड़कर उसका सारा देश अर्नोन तक उसके हाथ से छीन लिया था।
27. इस कारण गूढ़ बात के कहनेवाले कहते हैं,
“हेशबोन में आओ,
सीहोन का नगर बसे, और दृढ़ किया जाए।
28. क्योंकि हेशबोन से आग,
सीहोन के नगर से लौ निकली;
जिससे मोआब देश का आर नगर, और अर्नोन के ऊँचे स्थानों के स्वामी भस्म हुए।
29. हे मोआब, तुझ पर हाय!
कमोश देवता की प्रजा नाश हुई,
उसने अपने बेटों को भगोड़ा,
और अपनी बेटियों को एमोरी राजा सीहोन की दासी कर दिया।
30. हमने उन्हें गिरा दिया है,
हेशबोन दीबोन तक नष्ट हो गया है,
और हमने नोपह और मेदबा तक भी उजाड़ दिया है।” PEPS
31. इस प्रकार इस्राएल एमोरियों के देश में रहने लगा।
32. तब मूसा ने याजेर नगर का भेद लेने को भेजा; और उन्होंने उसके गाँवों को ले लिया, और वहाँ के एमोरियों को उस देश से निकाल दिया। PS
33. {बाशान के राजा ओग पर विजय} PS तब वे मुड़कर बाशान के मार्ग से जाने लगे; और बाशान के राजा ओग ने उनका सामना किया, वह लड़ने को अपनी सारी सेना समेत एद्रेई में निकल आया।
34. तब यहोवा ने मूसा से कहा, “उससे मत डर; क्योंकि मैं उसको सारी सेना और देश समेत तेरे हाथ में कर देता हूँ; और जैसा तूने एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन के साथ किया है, वैसा ही उसके साथ भी करना।”
35. तब उन्होंने उसको, और उसके पुत्रों और सारी प्रजा को यहाँ तक मारा कि उसका कोई भी बचा; और वे उसके देश के अधिकारी को गए। PE
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