1. यह देखकर कि यहोवा इस्राएल को आशीष ही दिलाना चाहता है, बिलाम पहले के समान शकुन देखने को न गया, परन्तु अपना मुँह जंगल की ओर कर लिया।
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2. और बिलाम ने आँखें उठाई, और इस्राएलियों को अपने गोत्र-गोत्र के अनुसार बसे हुए देखा। और परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरा।
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3. तब उसने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा,
“बोर के पुत्र बिलाम की यह वाणी है, जिस पुरुष की आँखें बन्द थीं* उसी की यह वाणी है, |
4. परमेश्वर के वचनों का सुननेवाला, जो दण्डवत् में पड़ा हुआ खुली हुई आँखों से सर्वशक्तिमान का दर्शन पाता है, उसी की यह वाणी है कि
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6. वे तो घाटियों के समान, और नदी के तट की वाटिकाओं के समान ऐसे फैले हुए हैं,
जैसे कि यहोवा के लगाए हुए अगर के वृक्ष, और जल के निकट के देवदारू। (इब्रा. 8:2) |
7. और उसके घड़ों से जल उमण्डा करेगा,
और उसका बीज बहुत से जलभरे खेतों में पडे़गा, और उसका राजा अगाग से भी महान होगा, और उसका राज्य बढ़ता ही जाएगा। |
8. उसको मिस्र में से परमेश्वर ही निकाले लिए आ रहा है;
वह तो जंगली सांड के समान बल रखता है, जाति-जाति के लोग जो उसके द्रोही हैं उनको वह खा जाएगा, और उनकी हड्डियों को टुकड़े-टुकड़े करेगा, और अपने तीरों से उनको बेधेगा। |
9. वह घात लगाए बैठा है, वह सिंह या सिंहनी के समान लेट गया है; अब उसको कौन छेड़े?
जो कोई तुझे आशीर्वाद दे वह आशीष पाए, और जो कोई तुझे श्राप दे वह श्रापित हो।” PEPS |
10. तब बालाक का कोप बिलाम पर भड़क उठा; और उसने हाथ पर हाथ पटककर बिलाम से कहा, “मैंने तुझे अपने शत्रुओं को श्राप देने के लिये बुलवाया, परन्तु तूने तीन बार उन्हें आशीर्वाद ही आशीर्वाद दिया है।
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11. इसलिए अब तू अपने स्थान पर भाग जा; मैंने तो सोचा था कि तेरी बड़ी प्रतिष्ठा करूँगा, परन्तु अब यहोवा ने तुझे प्रतिष्ठा पाने से रोक रखा है।”
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13. कि चाहे बालाक अपने घर को सोने चाँदी से भरकर मुझे दे, तो भी मैं यहोवा की आज्ञा तोड़कर अपने मन से न तो भला कर सकता हूँ और न बुरा; जो कुछ यहोवा कहेगा वही मैं कहूँगा?
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14. “अब सुन, मैं अपने लोगों के पास लौटकर जाता हूँ; परन्तु पहले मैं तुझे चेतावनी देता हूँ कि आनेवाले दिनों में वे लोग तेरी प्रजा से क्या-क्या करेंगे।” PS
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15. {बिलाम की चौथी भविष्यद्वाणी} PS फिर वह अपनी गूढ़ बात आरम्भ करके कहने लगा,
“बोर के पुत्र बिलाम की यह वाणी है, जिस पुरुष की आँखें बन्द थीं उसी की यह वाणी है, |
16. परमेश्वर के वचनों का सुननेवाला, और परमप्रधान के ज्ञान का जाननेवाला,
जो दण्डवत् में पड़ा हुआ खुली हुई आँखों से सर्वशक्तिमान का दर्शन पाता है, उसी की यह वाणी है: |
17. मैं उसको देखूँगा तो सही, परन्तु अभी नहीं;
मैं उसको निहारूँगा तो सही, परन्तु समीप होकर नहीं याकूब में से एक तारा उदय होगा, और इस्राएल में से एक राजदण्ड उठेगा; जो मोआब की सीमाओं को चूर कर देगा, और सब शेत के पुत्रों का नाश कर देगा। (मत्ती 2:2) |
18. तब एदोम और सेईर भी, जो उसके शत्रु हैं,
दोनों उसके वश में पड़ेंगे, और इस्राएल वीरता दिखाता जाएगा। |
19. और याकूब ही में से एक अधिपति आएगा जो प्रभुता करेगा,
और नगर में से बचे हुओं को भी सत्यानाश करेगा।” |
20. फिर उसने अमालेक पर दृष्टि करके अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा,
“अमालेक अन्यजातियों में श्रेष्ठ तो था, परन्तु उसका अन्त विनाश ही है।” |
21. फिर उसने केनियों* पर दृष्टि करके अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा,
“तेरा निवास-स्थान अति दृढ़ तो है, और तेरा बसेरा चट्टान पर तो है; |
24. तो भी कित्तियों के पास से जहाज वाले आकर अश्शूर को और एबेर को भी दुःख देंगे;
और अन्त में उसका भी विनाश हो जाएगा।” PEPS |