1. बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है, [QBR] और सोने चाँदी से औरों की प्रसन्नता उत्तम है। [QBR]
2. धनी और निर्धन दोनों में एक समानता है; [QBR] यहोवा उन दोनों का कर्त्ता है। [QBR]
3. चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; [QBR] परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं। [QBR]
4. नम्रता और यहोवा के भय* मानने का फल धन, [QBR] महिमा और जीवन होता है। [QBR]
5. टेढ़े मनुष्य के मार्ग में काँटे और फंदे रहते हैं; [QBR] परन्तु जो अपने प्राणों की रक्षा करता, वह उनसे दूर रहता है। [QBR]
6. लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिये, [QBR] और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा। (इफिसियों. 6:4) [QBR]
7. धनी, निर्धन लोगों पर प्रभुता करता है, [QBR] और उधार लेनेवाला उधार देनेवाले का दास होता है। [QBR]
8. जो कुटिलता का बीज बोता है, वह अनर्थ ही काटेगा, [QBR] और उसके रोष का सोंटा टूटेगा। [QBR]
9. दया करनेवाले पर आशीष फलती है, [QBR] क्योंकि वह कंगाल को अपनी रोटी में से देता है। (2 कुरिन्थियों. 9:10) [QBR]
10. ठट्ठा करनेवाले को निकाल दे, तब झगड़ा मिट जाएगा, [QBR] और वाद-विवाद और अपमान दोनों टूट जाएँगे। [QBR]
11. जो मन की शुद्धता से प्रीति रखता है, [QBR] और जिसके वचन मनोहर होते हैं, राजा उसका मित्र होता है। [QBR]
12. यहोवा ज्ञानी पर दृष्टि करके, उसकी रक्षा करता है, [QBR] परन्तु विश्वासघाती की बातें उलट देता है। [QBR]
13. आलसी कहता है, बाहर तो सिंह होगा! [QBR] मैं चौक के बीच घात किया जाऊँगा। [QBR]
14. व्यभिचारिणी का मुँह गहरा गड्ढा है; [QBR] जिससे यहोवा क्रोधित होता है, वही उसमें गिरता है। [QBR]
15. लड़के के मन में मूर्खता की गाँठ बंधी रहती है, [QBR] परन्तु अनुशासन की छड़ी के द्वारा वह खोलकर उससे दूर की जाती है। [QBR]
16. जो अपने लाभ के निमित्त कंगाल पर अंधेर करता है, [QBR] और जो धनी को भेंट देता, वे दोनों केवल हानि ही उठाते हैं।
17. {बुद्धिमान की बातें} [PS] कान लगाकर बुद्धिमानों के वचन सुन, [QBR] और मेरी ज्ञान की बातों की ओर मन लगा; [QBR]
18. यदि तू उसको अपने मन में रखे, [QBR] और वे सब तेरे मुँह से निकला भी करें, तो यह मनभावनी बात होगी। [QBR]
19. मैंने आज इसलिए ये बातें तुझको बताई है, [QBR] कि तेरा भरोसा यहोवा पर हो। [QBR]
20. मैं बहुत दिनों से तेरे हित के उपदेश [QBR] और ज्ञान की बातें लिखता आया हूँ, [QBR]
21. कि मैं तुझे सत्य वचनों का निश्चय करा दूँ, [QBR] जिससे जो तुझे काम में लगाएँ, उनको सच्चा उत्तर दे सके। [QBR]
22. कंगाल पर इस कारण अंधेर न करना* कि वह कंगाल है, [QBR] और न दीन जन को कचहरी में पीसना; [QBR]
23. क्योंकि यहोवा उनका मुकद्दमा लड़ेगा, [QBR] और जो लोग उनका धन हर लेते हैं, उनका प्राण भी वह हर लेगा। [QBR]
24. क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना, [QBR] और झट क्रोध करनेवाले के संग न चलना, [QBR]
25. कहीं ऐसा न हो कि तू उसकी चाल सीखे, [QBR] और तेरा प्राण फंदे में फंस जाए। [QBR]
26. जो लोग हाथ पर हाथ मारते हैं, [QBR] और कर्जदार के उत्तरदायी होते हैं, उनमें तू न होना। [QBR]
27. यदि तेरे पास भुगतान करने के साधन की कमी हो, [QBR] तो क्यों न साहूकार तेरे नीचे से खाट खींच ले जाए? [QBR]
28. जो सीमा तेरे पुरखाओं ने बाँधी हो, उस पुरानी सीमा को न बढ़ाना। [QBR]
29. यदि तू ऐसा पुरुष देखे जो काम-काज में निपुण हो, [QBR] तो वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा; छोटे लोगों के सम्मुख नहीं। [PE]