1. जब तू किसी हाकिम के संग भोजन करने को बैठे, [QBR] तब इस बात को मन लगाकर सोचना कि मेरे सामने कौन है? [QBR]
2. और यदि तू अधिक खानेवाला हो, [QBR] तो थोड़ा खाकर भूखा उठ जाना। [QBR]
3. उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा न करना, [QBR] क्योंकि वह धोखे का भोजन है। [QBR]
4. धनी होने के लिये परिश्रम न करना; [QBR] अपनी समझ का भरोसा छोड़ना। (1 तीमु. 6:9) [QBR]
5. जब तू अपनी दृष्टि धन पर लगाएगा, [QBR] वह चला जाएगा, [QBR] वह उकाब पक्षी के समान पंख लगाकर, निःसन्देह आकाश की ओर उड़ जाएगा। [QBR]
6. जो डाह से देखता है, उसकी रोटी न खाना, [QBR] और न उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा करना; [QBR]
7. क्योंकि वह ऐसा व्यक्ति है, [QBR] जो भोजन के कीमत की गणना करता है। वह तुझ से कहता तो है, खा और पी, [QBR] परन्तु उसका मन तुझ से लगा नहीं है। [QBR]
8. जो कौर तूने खाया हो, उसे उगलना पड़ेगा, [QBR] और तू अपनी मीठी बातों का फल खोएगा। [QBR]
9. मूर्ख के सामने न बोलना, [QBR] नहीं तो वह तेरे बुद्धि के वचनों को तुच्छ जानेगा। [QBR]
10. पुरानी सीमाओं को न बढ़ाना, [QBR] और न अनाथों के खेत में घुसना; [QBR]
11. क्योंकि उनका छुड़ानेवाला सामर्थी है; [QBR] उनका मुकद्दमा तेरे संग वही लड़ेगा। [QBR]
12. अपना हृदय शिक्षा की ओर, [QBR] और अपने कान ज्ञान की बातों की ओर लगाना। [QBR]
13. लड़के की ताड़ना न छोड़ना*; [QBR] क्योंकि यदि तू उसको छड़ी से मारे, तो वह न मरेगा। [QBR]
14. तू उसको छड़ी से मारकर उसका प्राण अधोलोक से बचाएगा। [QBR]
15. हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, [QBR] तो मेरा ही मन आनन्दित होगा। [QBR]
16. और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा। [QBR]
17. तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, [QBR] दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। [QBR]
18. क्योंकि अन्त में फल होगा, [QBR] और तेरी आशा न टूटेगी। [QBR]
19. हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, [QBR] और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला। [QBR]
20. दाखमधु के पीनेवालों में न होना, [QBR] न माँस के अधिक खानेवालों की संगति करना; [QBR]
21. क्योंकि पियक्कड़ और पेटू दरिद्र हो जाएँगे, [QBR] और उनका क्रोध उन्हें चिथड़े पहनाएगी। [QBR]
22. अपने जन्मानेवाले पिता की सुनना, [QBR] और जब तेरी माता बुढ़िया हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना। [QBR]
23. सच्चाई को मोल लेना, बेचना नहीं; [QBR] और बुद्धि और शिक्षा और समझ को भी मोल लेना। [QBR]
24. धर्मी का पिता बहुत मगन होता है; [QBR] और बुद्धिमान का जन्मानेवाला उसके कारण आनन्दित होता है। [QBR]
25. तेरे कारण माता-पिता आनन्दित और तेरी जननी मगन होए। [QBR]
26. हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा, [QBR] और तेरी दृष्टि मेरे चालचलन पर लगी रहे। [QBR]
27. वेश्या गहरा गड्ढा ठहरती है; [QBR] और पराई स्त्री सकेत कुएँ के समान है। [QBR]
28. वह डाकू के समान घात लगाती है, [QBR] और बहुत से मनुष्यों को विश्वासघाती बना देती है। [QBR]
29. कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय, हाय? कौन झगड़े रगड़े में फँसता है? [QBR] कौन बक-बक करता है? किसके अकारण घाव होते हैं? किसकी आँखें लाल हो जाती हैं? [QBR]
30. उनकी जो दाखमधु देर तक पीते हैं, [QBR] और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु* ढूँढ़ने को जाते हैं। [QBR]
31. जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, [QBR] और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, [QBR] तब उसको न देखना। (इफिसियों 5:18) [QBR]
32. क्योंकि अन्त में वह सर्प के समान डसता है, [QBR] और करैत के समान काटता है। [QBR]
33. तू विचित्र वस्तुएँ देखेगा, [QBR] और उलटी-सीधी बातें बकता रहेगा। [QBR]
34. और तू समुद्र के बीच लेटनेवाले [QBR] या मस्तूल के सिरे पर सोनेवाले के समान रहेगा। [QBR]
35. तू कहेगा कि मैंने मार तो खाई, परन्तु दुःखित न हुआ; [QBR] मैं पिट तो गया, परन्तु मुझे कुछ सुधि न थी। [QBR] मैं होश में कब आऊँ? मैं तो फिर मदिरा ढूँढ़ूगा। [PE]