पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
1. [QS]जब तू किसी हाकिम के संग भोजन करने को बैठे, [QE][QS]तब इस बात को मन लगाकर सोचना कि मेरे सामने कौन है? [QE]
2. [QS]और यदि तू अधिक खानेवाला हो, [QE][QS]तो थोड़ा खाकर भूखा उठ जाना। [QE]
3. [QS]उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा न करना, [QE][QS]क्योंकि वह धोखे का भोजन है। [QE]
4. [QS]धनी होने के लिये परिश्रम न करना; [QE][QS]अपनी समझ का भरोसा छोड़ना। (1 तीमु. 6:9) [QE]
5. [QS]जब तू अपनी दृष्टि धन पर लगाएगा, [QE][QS]वह चला जाएगा, [QE][QS]वह उकाब पक्षी के समान पंख लगाकर, निःसन्देह आकाश की ओर उड़ जाएगा। [QE]
6. [QS]जो डाह से देखता है, उसकी रोटी न खाना, [QE][QS]और न उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा करना; [QE]
7. [QS]क्योंकि वह ऐसा व्यक्ति है, [QE][QS]जो भोजन के कीमत की गणना करता है। वह तुझ से कहता तो है, खा और पी, [QE][QS]परन्तु उसका मन तुझ से लगा नहीं है। [QE]
8. [QS]जो कौर तूने खाया हो, उसे उगलना पड़ेगा, [QE][QS]और तू अपनी मीठी बातों का फल खोएगा। [QE]
9. [QS]मूर्ख के सामने न बोलना, [QE][QS]नहीं तो वह तेरे बुद्धि के वचनों को तुच्छ जानेगा। [QE]
10. [QS]पुरानी सीमाओं को न बढ़ाना, [QE][QS]और न अनाथों के खेत में घुसना; [QE]
11. [QS]क्योंकि उनका छुड़ानेवाला सामर्थी है; [QE][QS]उनका मुकद्दमा तेरे संग वही लड़ेगा। [QE]
12. [QS]अपना हृदय शिक्षा की ओर, [QE][QS]और अपने कान ज्ञान की बातों की ओर लगाना। [QE]
13. [QS]लड़के की ताड़ना न छोड़ना*; [QE][QS]क्योंकि यदि तू उसको छड़ी से मारे, तो वह न मरेगा। [QE]
14. [QS]तू उसको छड़ी से मारकर उसका प्राण अधोलोक से बचाएगा। [QE]
15. [QS]हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, [QE][QS]तो मेरा ही मन आनन्दित होगा। [QE]
16. [QS]और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्‍न होगा। [QE]
17. [QS]तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, [QE][QS]दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। [QE]
18. [QS]क्योंकि अन्त में फल होगा, [QE][QS]और तेरी आशा न टूटेगी। [QE]
19. [QS]हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, [QE][QS]और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला। [QE]
20. [QS]दाखमधु के पीनेवालों में न होना, [QE][QS]न माँस के अधिक खानेवालों की संगति करना; [QE]
21. [QS]क्योंकि पियक्कड़ और पेटू दरिद्र हो जाएँगे, [QE][QS]और उनका क्रोध उन्हें चिथड़े पहनाएगी। [QE]
22. [QS]अपने जन्मानेवाले पिता की सुनना, [QE][QS]और जब तेरी माता बुढ़िया हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना। [QE]
23. [QS]सच्चाई को मोल लेना, बेचना नहीं; [QE][QS]और बुद्धि और शिक्षा और समझ को भी मोल लेना। [QE]
24. [QS]धर्मी का पिता बहुत मगन होता है; [QE][QS]और बुद्धिमान का जन्मानेवाला उसके कारण आनन्दित होता है। [QE]
25. [QS]तेरे कारण माता-पिता आनन्दित और तेरी जननी मगन होए। [QE]
26. [QS]हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा, [QE][QS]और तेरी दृष्टि मेरे चालचलन पर लगी रहे। [QE]
27. [QS]वेश्या गहरा गड्ढा ठहरती है; [QE][QS]और पराई स्त्री सकेत कुएँ के समान है। [QE]
28. [QS]वह डाकू के समान घात लगाती है, [QE][QS]और बहुत से मनुष्यों को विश्वासघाती बना देती है। [QE]
29. [QS]कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय, हाय? कौन झगड़े रगड़े में फँसता है? [QE][QS]कौन बक-बक करता है? किसके अकारण घाव होते हैं? किसकी आँखें लाल हो जाती हैं? [QE]
30. [QS]उनकी जो दाखमधु देर तक पीते हैं, [QE][QS]और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु* ढूँढ़ने को जाते हैं। [QE]
31. [QS]जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, [QE][QS]और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, [QE][QS]तब उसको न देखना। (इफिसियों 5:18) [QE]
32. [QS]क्योंकि अन्त में वह सर्प के समान डसता है, [QE][QS]और करैत के समान काटता है। [QE]
33. [QS]तू विचित्र वस्तुएँ देखेगा, [QE][QS]और उलटी-सीधी बातें बकता रहेगा। [QE]
34. [QS]और तू समुद्र के बीच लेटनेवाले [QE][QS]या मस्तूल के सिरे पर सोनेवाले के समान रहेगा। [QE]
35. [QS]तू कहेगा कि मैंने मार तो खाई, परन्तु दुःखित न हुआ; [QE][QS]मैं पिट तो गया, परन्तु मुझे कुछ सुधि न थी। [QE][QS]मैं होश में कब आऊँ? मैं तो फिर मदिरा ढूँढ़ूगा। [QE]
Total 31 अध्याय, Selected अध्याय 23 / 31
1 जब तू किसी हाकिम के संग भोजन करने को बैठे, तब इस बात को मन लगाकर सोचना कि मेरे सामने कौन है? 2 और यदि तू अधिक खानेवाला हो, तो थोड़ा खाकर भूखा उठ जाना। 3 उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा न करना, क्योंकि वह धोखे का भोजन है। 4 धनी होने के लिये परिश्रम न करना; अपनी समझ का भरोसा छोड़ना। (1 तीमु. 6:9) 5 जब तू अपनी दृष्टि धन पर लगाएगा, वह चला जाएगा, वह उकाब पक्षी के समान पंख लगाकर, निःसन्देह आकाश की ओर उड़ जाएगा। 6 जो डाह से देखता है, उसकी रोटी न खाना, और न उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा करना; 7 क्योंकि वह ऐसा व्यक्ति है, जो भोजन के कीमत की गणना करता है। वह तुझ से कहता तो है, खा और पी, परन्तु उसका मन तुझ से लगा नहीं है। 8 जो कौर तूने खाया हो, उसे उगलना पड़ेगा, और तू अपनी मीठी बातों का फल खोएगा। 9 मूर्ख के सामने न बोलना, नहीं तो वह तेरे बुद्धि के वचनों को तुच्छ जानेगा। 10 पुरानी सीमाओं को न बढ़ाना, और न अनाथों के खेत में घुसना; 11 क्योंकि उनका छुड़ानेवाला सामर्थी है; उनका मुकद्दमा तेरे संग वही लड़ेगा। 12 अपना हृदय शिक्षा की ओर, और अपने कान ज्ञान की बातों की ओर लगाना। 13 लड़के की ताड़ना न छोड़ना*; क्योंकि यदि तू उसको छड़ी से मारे, तो वह न मरेगा। 14 तू उसको छड़ी से मारकर उसका प्राण अधोलोक से बचाएगा। 15 हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो मेरा ही मन आनन्दित होगा। 16 और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्‍न होगा। 17 तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। 18 क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी। 19 हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला। 20 दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न माँस के अधिक खानेवालों की संगति करना; 21 क्योंकि पियक्कड़ और पेटू दरिद्र हो जाएँगे, और उनका क्रोध उन्हें चिथड़े पहनाएगी। 22 अपने जन्मानेवाले पिता की सुनना, और जब तेरी माता बुढ़िया हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना। 23 सच्चाई को मोल लेना, बेचना नहीं; और बुद्धि और शिक्षा और समझ को भी मोल लेना। 24 धर्मी का पिता बहुत मगन होता है; और बुद्धिमान का जन्मानेवाला उसके कारण आनन्दित होता है। 25 तेरे कारण माता-पिता आनन्दित और तेरी जननी मगन होए। 26 हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा, और तेरी दृष्टि मेरे चालचलन पर लगी रहे। 27 वेश्या गहरा गड्ढा ठहरती है; और पराई स्त्री सकेत कुएँ के समान है। 28 वह डाकू के समान घात लगाती है, और बहुत से मनुष्यों को विश्वासघाती बना देती है। 29 कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय, हाय? कौन झगड़े रगड़े में फँसता है? कौन बक-बक करता है? किसके अकारण घाव होते हैं? किसकी आँखें लाल हो जाती हैं? 30 उनकी जो दाखमधु देर तक पीते हैं, और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु* ढूँढ़ने को जाते हैं। 31 जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, तब उसको न देखना। (इफिसियों 5:18) 32 क्योंकि अन्त में वह सर्प के समान डसता है, और करैत के समान काटता है। 33 तू विचित्र वस्तुएँ देखेगा, और उलटी-सीधी बातें बकता रहेगा। 34 और तू समुद्र के बीच लेटनेवाले या मस्तूल के सिरे पर सोनेवाले के समान रहेगा। 35 तू कहेगा कि मैंने मार तो खाई, परन्तु दुःखित न हुआ; मैं पिट तो गया, परन्तु मुझे कुछ सुधि न थी। मैं होश में कब आऊँ? मैं तो फिर मदिरा ढूँढ़ूगा।
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