पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
1. जो बार-बार डाँटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नष्ट हो जाएगा* [QBR] और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा। [QBR]
2. जब धर्मी लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है; [QBR] परन्तु जब दुष्ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाय-हाय करती है। [QBR]
3. जो बुद्धि से प्रीति रखता है, वह अपने पिता को आनन्दित करता है, [QBR] परन्तु वेश्याओं की संगति करनेवाला धन को उड़ा देता है। (लूका 15:13) [QBR]
4. राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, [QBR] परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है। [QBR]
5. जो पुरुष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है, [QBR] वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है। [QBR]
6. बुरे मनुष्य का अपराध उसके लिए फंदा होता है, [QBR] परन्तु धर्मी आनन्दित होकर जयजयकार करता है। [QBR]
7. धर्मी पुरुष कंगालों के मकद्दमें में मन लगाता है; [QBR] परन्तु दुष्ट जन उसे जानने की समझ नहीं रखता। [QBR]
8. ठट्ठा करनेवाले लोग नगर को फूँक देते हैं, [QBR] परन्तु बुद्धिमान लोग क्रोध को ठण्डा करते हैं। [QBR]
9. जब बुद्धिमान मूर्ख के साथ वाद-विवाद करता है, [QBR] तब वह मूर्ख क्रोधित होता और ठट्ठा करता है, और वहाँ शान्ति नहीं रहती। [QBR]
10. हत्यारे लोग खरे पुरुष से बैर रखते हैं, [QBR] और सीधे लोगों के प्राण की खोज करते हैं। [QBR]
11. मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, [QBR] परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है। [QBR]
12. जब हाकिम झूठी बात की ओर कान लगाता है, [QBR] तब उसके सब सेवक दुष्ट हो जाते हैं*। [QBR]
13. निर्धन और अंधेर करनेवाले व्यक्तियों में एक समानता है; [QBR] यहोवा दोनों की आँखों में ज्योति देता है। [QBR]
14. जो राजा कंगालों का न्याय सच्चाई से चुकाता है, [QBR] उसकी गद्दी सदैव स्थिर रहती है। [QBR]
15. छड़ी और डाँट से बुद्धि प्राप्त होती है, [QBR] परन्तु जो लड़का ऐसे ही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण होता है। [QBR]
16. दुष्टों के बढ़ने से अपराध भी बढ़ता है; [QBR] परन्तु अन्त में धर्मी लोग उनका गिरना देख लेते हैं। [QBR]
17. अपने बेटे की ताड़ना कर, तब उससे तुझे चैन मिलेगा; [QBR] और तेरा मन सुखी हो जाएगा। [QBR]
18. जहाँ दर्शन की बात नहीं होती, वहाँ लोग निरंकुश हो जाते हैं, [QBR] परन्तु जो व्यवस्था को मानता है वह धन्य होता है। [QBR]
19. दास बातों ही के द्वारा सुधारा नहीं जाता, [QBR] क्योंकि वह समझकर भी नहीं मानता। [QBR]
20. क्या तू बातें करने में उतावली करनेवाले मनुष्य को देखता है? [QBR] उससे अधिक तो मूर्ख ही से आशा है। [QBR]
21. जो अपने दास को उसके लड़कपन से ही लाड़-प्यार से पालता है, [QBR] वह दास अन्त में उसका बेटा बन बैठता है। [QBR]
22. क्रोध करनेवाला मनुष्य झगड़ा मचाता है [QBR] और अत्यन्त क्रोध करनेवाला अपराधी भी होता है। [QBR]
23. मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है, [QBR] परन्तु नम्र आत्मावाला महिमा का अधिकारी होता है। (मत्ती 23:12) [QBR]
24. जो चोर की संगति करता है वह अपने प्राण का बैरी होता है; [QBR] शपथ खाने पर भी वह बात को प्रगट नहीं करता। [QBR]
25. मनुष्य का भय खाना फंदा हो जाता है, [QBR] परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है उसका स्थान ऊँचा किया जाएगा। [QBR]
26. हाकिम से भेंट करना बहुत लोग चाहते हैं, [QBR] परन्तु मनुष्य का न्याय यहोवा ही करता है*। [QBR]
27. धर्मी लोग कुटिल मनुष्य से घृणा करते हैं [QBR] और दुष्ट जन भी सीधी चाल चलनेवाले से घृणा करता है। [PE]

Notes

No Verse Added

Total 31 Chapters, Current Chapter 29 of Total Chapters 31
नीतिवचन 29:14
1. जो बार-बार डाँटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नष्ट हो जाएगा*
और उसका कोई भी उपाय काम आएगा।
2. जब धर्मी लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है;
परन्तु जब दुष्ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाय-हाय करती है।
3. जो बुद्धि से प्रीति रखता है, वह अपने पिता को आनन्दित करता है,
परन्तु वेश्याओं की संगति करनेवाला धन को उड़ा देता है। (लूका 15:13)
4. राजा न्याय से देश को स्थिर करता है,
परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है।
5. जो पुरुष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है,
वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है।
6. बुरे मनुष्य का अपराध उसके लिए फंदा होता है,
परन्तु धर्मी आनन्दित होकर जयजयकार करता है।
7. धर्मी पुरुष कंगालों के मकद्दमें में मन लगाता है;
परन्तु दुष्ट जन उसे जानने की समझ नहीं रखता।
8. ठट्ठा करनेवाले लोग नगर को फूँक देते हैं,
परन्तु बुद्धिमान लोग क्रोध को ठण्डा करते हैं।
9. जब बुद्धिमान मूर्ख के साथ वाद-विवाद करता है,
तब वह मूर्ख क्रोधित होता और ठट्ठा करता है, और वहाँ शान्ति नहीं रहती।
10. हत्यारे लोग खरे पुरुष से बैर रखते हैं,
और सीधे लोगों के प्राण की खोज करते हैं।
11. मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है,
परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है।
12. जब हाकिम झूठी बात की ओर कान लगाता है,
तब उसके सब सेवक दुष्ट हो जाते हैं*।
13. निर्धन और अंधेर करनेवाले व्यक्तियों में एक समानता है;
यहोवा दोनों की आँखों में ज्योति देता है।
14. जो राजा कंगालों का न्याय सच्चाई से चुकाता है,
उसकी गद्दी सदैव स्थिर रहती है।
15. छड़ी और डाँट से बुद्धि प्राप्त होती है,
परन्तु जो लड़का ऐसे ही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण होता है।
16. दुष्टों के बढ़ने से अपराध भी बढ़ता है;
परन्तु अन्त में धर्मी लोग उनका गिरना देख लेते हैं।
17. अपने बेटे की ताड़ना कर, तब उससे तुझे चैन मिलेगा;
और तेरा मन सुखी हो जाएगा।
18. जहाँ दर्शन की बात नहीं होती, वहाँ लोग निरंकुश हो जाते हैं,
परन्तु जो व्यवस्था को मानता है वह धन्य होता है।
19. दास बातों ही के द्वारा सुधारा नहीं जाता,
क्योंकि वह समझकर भी नहीं मानता।
20. क्या तू बातें करने में उतावली करनेवाले मनुष्य को देखता है?
उससे अधिक तो मूर्ख ही से आशा है।
21. जो अपने दास को उसके लड़कपन से ही लाड़-प्यार से पालता है,
वह दास अन्त में उसका बेटा बन बैठता है।
22. क्रोध करनेवाला मनुष्य झगड़ा मचाता है
और अत्यन्त क्रोध करनेवाला अपराधी भी होता है।
23. मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है,
परन्तु नम्र आत्मावाला महिमा का अधिकारी होता है। (मत्ती 23:12)
24. जो चोर की संगति करता है वह अपने प्राण का बैरी होता है;
शपथ खाने पर भी वह बात को प्रगट नहीं करता।
25. मनुष्य का भय खाना फंदा हो जाता है,
परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है उसका स्थान ऊँचा किया जाएगा।
26. हाकिम से भेंट करना बहुत लोग चाहते हैं,
परन्तु मनुष्य का न्याय यहोवा ही करता है*।
27. धर्मी लोग कुटिल मनुष्य से घृणा करते हैं
और दुष्ट जन भी सीधी चाल चलनेवाले से घृणा करता है। PE
Total 31 Chapters, Current Chapter 29 of Total Chapters 31
×

Alert

×

hindi Letters Keypad References