1. [QS]जो बार-बार डाँटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नष्ट हो जाएगा* [QE][QS]और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा। [QE]
2. [QS]जब धर्मी लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है; [QE][QS]परन्तु जब दुष्ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाय-हाय करती है। [QE]
3. [QS]जो बुद्धि से प्रीति रखता है, वह अपने पिता को आनन्दित करता है, [QE][QS]परन्तु वेश्याओं की संगति करनेवाला धन को उड़ा देता है। (लूका 15:13) [QE]
4. [QS]राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, [QE][QS]परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है। [QE]
5. [QS]जो पुरुष किसी से चिकनी चुपड़ी बातें करता है, [QE][QS]वह उसके पैरों के लिये जाल लगाता है। [QE]
6. [QS]बुरे मनुष्य का अपराध उसके लिए फंदा होता है, [QE][QS]परन्तु धर्मी आनन्दित होकर जयजयकार करता है। [QE]
7. [QS]धर्मी पुरुष कंगालों के मकद्दमें में मन लगाता है; [QE][QS]परन्तु दुष्ट जन उसे जानने की समझ नहीं रखता। [QE]
8. [QS]ठट्ठा करनेवाले लोग नगर को फूँक देते हैं, [QE][QS]परन्तु बुद्धिमान लोग क्रोध को ठण्डा करते हैं। [QE]
9. [QS]जब बुद्धिमान मूर्ख के साथ वाद-विवाद करता है, [QE][QS]तब वह मूर्ख क्रोधित होता और ठट्ठा करता है, और वहाँ शान्ति नहीं रहती। [QE]
10. [QS]हत्यारे लोग खरे पुरुष से बैर रखते हैं, [QE][QS]और सीधे लोगों के प्राण की खोज करते हैं। [QE]
11. [QS]मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, [QE][QS]परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है। [QE]
12. [QS]जब हाकिम झूठी बात की ओर कान लगाता है, [QE][QS]तब उसके सब सेवक दुष्ट हो जाते हैं*। [QE]
13. [QS]निर्धन और अंधेर करनेवाले व्यक्तियों में एक समानता है; [QE][QS]यहोवा दोनों की आँखों में ज्योति देता है। [QE]
14. [QS]जो राजा कंगालों का न्याय सच्चाई से चुकाता है, [QE][QS]उसकी गद्दी सदैव स्थिर रहती है। [QE]
15. [QS]छड़ी और डाँट से बुद्धि प्राप्त होती है, [QE][QS]परन्तु जो लड़का ऐसे ही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण होता है। [QE]
16. [QS]दुष्टों के बढ़ने से अपराध भी बढ़ता है; [QE][QS]परन्तु अन्त में धर्मी लोग उनका गिरना देख लेते हैं। [QE]
17. [QS]अपने बेटे की ताड़ना कर, तब उससे तुझे चैन मिलेगा; [QE][QS]और तेरा मन सुखी हो जाएगा। [QE]
18. [QS]जहाँ दर्शन की बात नहीं होती, वहाँ लोग निरंकुश हो जाते हैं, [QE][QS]परन्तु जो व्यवस्था को मानता है वह धन्य होता है। [QE]
19. [QS]दास बातों ही के द्वारा सुधारा नहीं जाता, [QE][QS]क्योंकि वह समझकर भी नहीं मानता। [QE]
20. [QS]क्या तू बातें करने में उतावली करनेवाले मनुष्य को देखता है? [QE][QS]उससे अधिक तो मूर्ख ही से आशा है। [QE]
21. [QS]जो अपने दास को उसके लड़कपन से ही लाड़-प्यार से पालता है, [QE][QS]वह दास अन्त में उसका बेटा बन बैठता है। [QE]
22. [QS]क्रोध करनेवाला मनुष्य झगड़ा मचाता है [QE][QS]और अत्यन्त क्रोध करनेवाला अपराधी भी होता है। [QE]
23. [QS]मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है, [QE][QS]परन्तु नम्र आत्मावाला महिमा का अधिकारी होता है। (मत्ती 23:12) [QE]
24. [QS]जो चोर की संगति करता है वह अपने प्राण का बैरी होता है; [QE][QS]शपथ खाने पर भी वह बात को प्रगट नहीं करता। [QE]
25. [QS]मनुष्य का भय खाना फंदा हो जाता है, [QE][QS]परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है उसका स्थान ऊँचा किया जाएगा। [QE]
26. [QS]हाकिम से भेंट करना बहुत लोग चाहते हैं, [QE][QS]परन्तु मनुष्य का न्याय यहोवा ही करता है*। [QE]
27. [QS]धर्मी लोग कुटिल मनुष्य से घृणा करते हैं [QE][QS]और दुष्ट जन भी सीधी चाल चलनेवाले से घृणा करता है। [QE]