1. {#1ज्ञान का मार्ग } [QS]बुद्धि ने अपना घर बनाया [QE][QS]और उसके सातों खम्भे* गढ़े हुए हैं। [QE]
2. [QS]उसने भोज के लिए अपने पशु काटे, अपने दाखमधु में मसाला मिलाया [QE][QS]और अपनी मेज लगाई है। [QE]
3. [QS]उसने अपनी सेविकाओं को आमंत्रित करने भेजा है; [QE][QS]और वह नगर के सबसे ऊँचे स्थानों से पुकारती है, [QE]
4. [QS]“जो कोई भोला है वह मुड़कर यहीं आए!” [QE][QS]और जो निर्बुद्धि है, उससे वह कहती है, [QE]
5. [QS]“आओ, मेरी रोटी खाओ, [QE][QS]और मेरे मसाला मिलाए हुए दाखमधु को पीओ। [QE]
6. [QS]मूर्खों का साथ छोड़ो, [QE][QS]और जीवित रहो, समझ के मार्ग में सीधे चलो।” [QE]
7. [QS]जो ठट्ठा करनेवाले को शिक्षा देता है, अपमानित होता है, [QE][QS]और जो दुष्ट जन को डाँटता है वह कलंकित होता है। [QE]
8. [QS]ठट्ठा करनेवाले को न डाँट, ऐसा न हो कि वह तुझ से बैर रखे, [QE][QS]बुद्धिमान को डाँट, वह तो तुझ से प्रेम रखेगा। [QE]
9. [QS]बुद्धिमान को शिक्षा दे, वह अधिक बुद्धिमान होगा; [QE][QS]धर्मी को चिता दे, वह अपनी विद्या बढ़ाएगा। [QE]
10. [QS]यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, [QE][QS]और परमपवित्र परमेश्वर को जानना ही समझ है। [QE]
11. [QS]मेरे द्वारा तो तेरी आयु बढ़ेगी, [QE][QS]और तेरे जीवन के वर्ष अधिक होंगे। [QE]
12. [QS]यदि तू बुद्धिमान है, तो बुद्धि का फल तू ही भोगेगा; [QE][QS]और यदि तू ठट्ठा करे, तो दण्ड केवल तू ही भोगेगा।। [QE]
13. {#1मूर्खता का मार्ग } [QS]मूर्खता बक-बक करनेवाली स्त्री के समान है; वह तो निर्बुद्धि है, [QE][QS]और कुछ नहीं जानती। [QE]
14. [QS]वह अपने घर के द्वार में, [QE][QS]और नगर के ऊँचे स्थानों में अपने आसन पर बैठी हुई [QE]
15. [QS]वह उन लोगों को जो अपने मार्गों पर सीधे-सीधे चलते हैं यह कहकर पुकारती है, [QE]
16. [QS]“जो कोई भोला है, वह मुड़कर यहीं आए;” [QE][QS]जो निर्बुद्धि है, उससे वह कहती है, [QE]
17. [QS]“चोरी का पानी मीठा होता है*, [QE][QS]और लुके-छिपे की रोटी अच्छी लगती है।” [QE]
18. [QS]और वह नहीं जानता है, कि वहाँ मरे हुए पड़े हैं, [QE][QS]और उस स्त्री के निमंत्रित अधोलोक के निचले स्थानों में पहुँचे हैं। [QE]