1. {परमेश्वर के लिये इस्राएल का अविश्वास }[PBR][QS]यहोवा की स्तुति करो! यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; [QE][QS]और उसकी करुणा सदा की है! [QE]
2. [QS]यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन कौन कर सकता है, [QE][QS]या उसका पूरा गुणानुवाद कौन सुना सकता है? [QE]
3. [QS]क्या ही धन्य हैं वे जो न्याय पर चलते, [QE][QS]और हर समय धर्म के काम करते हैं! [QE]
4. [QS]हे यहोवा, अपनी प्रजा पर की, प्रसन्नता के अनुसार मुझे स्मरण कर, [QE][QS]मेरे उद्धार के लिये मेरी सुधि ले, [QE]
5. [QS]कि मैं तेरे चुने हुओं का कल्याण देखूँ, [QE][QS]और तेरी प्रजा के आनन्द में आनन्दित हो जाऊँ; [QE][QS]और तेरे निज भाग के संग बड़ाई करने पाऊँ। [QE]
6. [QS]हमने तो अपने पुरखाओं के समान पाप किया है*; [QE][QS]हमने कुटिलता की, हमने दुष्टता की है! [QE]
7. [QS]मिस्र में हमारे पुरखाओं ने तेरे आश्चर्यकर्मों पर मन नहीं लगाया, [QE][QS]न तेरी अपार करुणा को स्मरण रखा; [QE][QS]उन्होंने समुद्र के किनारे, अर्थात् लाल समुद्र के किनारे पर बलवा किया। [QE]
8. [QS]तो भी उसने अपने नाम के निमित्त उनका उद्धार किया, [QE][QS]जिससे वह अपने पराक्रम को प्रगट करे। [QE]
9. [QS]तब उसने लाल समुद्र को घुड़का और वह सूख गया; [QE][QS]और वह उन्हें गहरे जल के बीच से मानो जंगल में से निकाल ले गया। [QE]
10. [QS]उसने उन्हें बैरी के हाथ से उबारा, [QE][QS]और शत्रु के हाथ से छुड़ा लिया। (लूका 1:71) [QE]
11. [QS]और उनके शत्रु जल में डूब गए; [QE][QS]उनमें से एक भी न बचा। [QE]
12. [QS]तब उन्होंने उसके वचनों का विश्वास किया; [QE][QS]और उसकी स्तुति गाने लगे। [QE]
13. [QS]परन्तु वे झट उसके कामों को भूल गए; [QE][QS]और उसकी युक्ति के लिये न ठहरे। [QE]
14. [QS]उन्होंने जंगल में अति लालसा की [QE][QS]और निर्जल स्थान में परमेश्वर की परीक्षा की। (1 कुरि 10:9) [QE]
15. [QS]तब उसने उन्हें मुँह माँगा वर तो दिया, [QE][QS]परन्तु उनके प्राण को सूखा दिया। [QE]
16. [QS]उन्होंने छावनी में मूसा के, [QE][QS]और यहोवा के पवित्र जन हारून के विषय में डाह की, [QE]
17. [QS]भूमि फट कर दातान को निगल गई, [QE][QS]और अबीराम के झुण्ड को निगल लिया। [QE]
18. [QS]और उनके झुण्ड में आग भड़क उठी; [QE][QS]और दुष्ट लोग लौ से भस्म हो गए। [QE]
19. [QS]उन्होंने होरेब में बछड़ा बनाया, [QE][QS]और ढली हुई मूर्ति को दण्डवत् किया। [QE]
20. [QS]उन्होंने परमेश्वर की महिमा, को घास खानेवाले बैल की प्रतिमा से बदल डाला*। (रोम. 1:23) [QE]
21. [QS]वे अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गए, [QE][QS]जिसने मिस्र में बड़े-बड़े काम किए थे। [QE]
22. [QS]उसने तो हाम के देश में आश्चर्यकर्मों [QE][QS]और लाल समुद्र के तट पर भयंकर काम किए थे। [QE]
23. [QS]इसलिए उसने कहा कि मैं इन्हें सत्यानाश कर डालता [QE][QS]यदि मेरा चुना हुआ मूसा जोखिम के स्थान में उनके लिये खड़ा न होता [QE][QS]ताकि मेरी जलजलाहट को ठण्डा करे कहीं ऐसा न हो कि मैं उन्हें नाश कर डालूँ। [QE]
24. [QS]उन्होंने मनभावने देश को निकम्मा जाना, [QE][QS]और उसके वचन पर विश्वास न किया। [QE]
25. [QS]वे अपने तम्बुओं में कुड़कुड़ाए, [QE][QS]और यहोवा का कहा न माना। [QE]
26. [QS]तब उसने उनके विषय में शपथ खाई कि मैं इनको जंगल में नाश करूँगा, [QE]
27. [QS]और इनके वंश को अन्यजातियों के सम्मुख गिरा दूँगा, [QE][QS]और देश-देश में तितर-बितर करूँगा। (भज. 44:11) [QE]
28. [QS]वे बालपोर देवता को पूजने लगे और मुर्दों को चढ़ाए हुए पशुओं का माँस खाने लगे। [QE]
29. [QS]यों उन्होंने अपने कामों से उसको क्रोध दिलाया, [QE][QS]और मरी उनमें फूट पड़ी। [QE]
30. [QS]तब पीनहास ने उठकर न्यायदण्ड दिया, [QE][QS]जिससे मरी थम गई। [QE]
31. [QS]और यह उसके लेखे पीढ़ी से पीढ़ी तक सर्वदा के लिये धर्म गिना गया। [QE]
32. [QS]उन्होंने मरीबा के सोते के पास भी यहोवा का क्रोध भड़काया, [QE][QS]और उनके कारण मूसा की हानि हुई; [QE]
33. [QS]क्योंकि उन्होंने उसकी आत्मा से बलवा किया, [QE][QS]तब मूसा बिन सोचे बोल उठा*। [QE]
34. [QS]जिन लोगों के विषय यहोवा ने उन्हें आज्ञा दी थी, [QE][QS]उनको उन्होंने सत्यानाश न किया, [QE]
35. [QS]वरन् उन्हीं जातियों से हिलमिल गए [QE][QS]और उनके व्यवहारों को सीख लिया; [QE]
36. [QS]और उनकी मूर्तियों की पूजा करने लगे, [QE][QS]और वे उनके लिये फंदा बन गई। [QE]
37. [QS]वरन् उन्होंने अपने बेटे-बेटियों को पिशाचों के लिये बलिदान किया; (1 कुरि. 10:20) [QE]
38. [QS]और अपने निर्दोष बेटे-बेटियों का लहू बहाया [QE][QS]जिन्हें उन्होंने कनान की मूर्तियों पर बलि किया, [QE][QS]इसलिए देश खून से अपवित्र हो गया। [QE]
39. [QS]और वे आप अपने कामों के द्वारा अशुद्ध हो गए, [QE][QS]और अपने कार्यों के द्वारा व्यभिचारी भी बन गए। [QE]
40. [QS]तब यहोवा का क्रोध अपनी प्रजा पर भड़का, [QE][QS]और उसको अपने निज भाग से घृणा आई; [QE]
41. [QS]तब उसने उनको अन्यजातियों के वश में कर दिया, [QE][QS]और उनके बैरियों ने उन पर प्रभुता की। [QE]
42. [QS]उनके शत्रुओं ने उन पर अत्याचार किया, [QE][QS]और वे उनके हाथों तले दब गए। [QE]
43. [QS]बारम्बार उसने उन्हें छुड़ाया, [QE][QS]परन्तु वे उसके विरुद्ध बलवा करते गए, [QE][QS]और अपने अधर्म के कारण दबते गए। [QE]
44. [QS]फिर भी जब-जब उनका चिल्लाना उसके कान में पड़ा, [QE][QS]तब-तब उसने उनके संकट पर दृष्टि की! [QE]
45. [QS]और उनके हित अपनी वाचा को स्मरण करके [QE][QS]अपनी अपार करुणा के अनुसार तरस खाया, [QE]
46. [QS]और जो उन्हें बन्दी करके ले गए थे उन सबसे उन पर दया कराई। [QE]
47. [QS]हे हमारे परमेश्वर यहोवा, हमारा उद्धार कर, [QE][QS]और हमें अन्यजातियों में से इकट्ठा कर ले, [QE][QS]कि हम तेरे पवित्र नाम का धन्यवाद करें, [QE][QS]और तेरी स्तुति करते हुए तेरे विषय में बड़ाई करें। [QE]
48. [QS]इस्राएल का परमेश्वर यहोवा [QE][QS]अनादिकाल से अनन्तकाल तक धन्य है! [QE][QS]और सारी प्रजा कहे “आमीन!” [QE][QS]यहोवा की स्तुति करो। (भज. 41:13) [QE]