पवित्र बाइबिल

इंडियन रिवाइज्ड वर्शन (ISV)
भजन संहिता
1. {परमेश्‍वर की सच्चाई और न्याय के लिये स्तुतिगान }[PBR][QS]यहोवा की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में [QE][QS]और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूँगा। [QE]
2. [QS]यहोवा के काम बड़े हैं, [QE][QS]जितने उनसे प्रसन्‍न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं। (भज. 143:5) [QE]
3. [QS]उसके काम वैभवशाली और ऐश्वर्यमय होते हैं, [QE][QS]और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा। [QE]
4. [QS]उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है; [QE][QS]यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है। (भज. 86:5) [QE]
5. [QS]उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; [QE][QS]वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा। [QE]
6. [QS]उसने अपनी प्रजा को जाति-जाति का भाग देने के लिये, [QE][QS]अपने कामों का प्रताप दिखाया है*। [QE]
7. [QS]सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; [QE][QS]उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं, [QE]
8. [QS]वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे, [QE][QS]वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं। [QE]
9. [QS]उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है; [QE][QS]उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है। [QE][QS]उसका नाम पवित्र और भययोग्य है। (लूका 1:49,68) [QE]
10. [QS]बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; [QE][QS]जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, [QE][QS]उनकी समझ अच्छी होती है। [QE][QS]उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी। [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 111 / 150
1 {परमेश्‍वर की सच्चाई और न्याय के लिये स्तुतिगान }यहोवा की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूँगा। 2 यहोवा के काम बड़े हैं, जितने उनसे प्रसन्‍न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं। (भज. 143:5) 3 उसके काम वैभवशाली और ऐश्वर्यमय होते हैं, और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा। 4 उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है; यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है। (भज. 86:5) 5 उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा। 6 उसने अपनी प्रजा को जाति-जाति का भाग देने के लिये, अपने कामों का प्रताप दिखाया है*। 7 सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं, 8 वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे, वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं। 9 उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है; उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है। उसका नाम पवित्र और भययोग्य है। (लूका 1:49,68) 10 बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी समझ अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी।
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