1. {मूर्तियों की निरर्थकता और परमेश्वर की विश्वसनीयता }[PBR][QS]हे यहोवा, हमारी नहीं, हमारी नहीं, वरन् अपने ही नाम की महिमा, [QE][QS]अपनी करुणा और सच्चाई के निमित्त कर। [QE]
2. [QS]जाति-जाति के लोग क्यों कहने पाएँ, [QE][QS]“उनका परमेश्वर कहाँ रहा?” [QE]
3. [QS]हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं; [QE][QS]उसने जो चाहा वही किया है। [QE]
4. [QS]उन लोगों की मूरतें* सोने चाँदी ही की तो हैं, [QE][QS]वे मनुष्यों के हाथ की बनाई हुई हैं। [QE]
5. [QS]उनके मुँह तो रहता है परन्तु वे बोल नहीं सकती; [QE][QS]उनके आँखें तो रहती हैं परन्तु वे देख नहीं सकती। [QE]
6. [QS]उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकती; [QE][QS]उनके नाक तो रहती हैं, परन्तु वे सूंघ नहीं सकती। [QE]
7. [QS]उनके हाथ तो रहते हैं, परन्तु वे स्पर्श नहीं कर सकती; [QE][QS]उनके पाँव तो रहते हैं, परन्तु वे चल नहीं सकती; [QE][QS]और उनके कण्ठ से कुछ भी शब्द नहीं निकाल सकती। (भज. 135:16-17) [QE]
8. [QS]जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनानेवाले हैं; [QE][QS]और उन पर सब भरोसा रखनेवाले भी वैसे ही हो जाएँगे। [QE]
9. [QS]हे इस्राएल, यहोवा पर भरोसा रख! [QE][QS]तेरा सहायक और ढाल वही है। [QE]
10. [QS]हे हारून के घराने, यहोवा पर भरोसा रख! [QE][QS]तेरा सहायक और ढाल वही है। [QE]
11. [QS]हे यहोवा के डरवैयों, यहोवा पर भरोसा रखो! [QE][QS]तुम्हारा सहायक और ढाल वही है। [QE]
12. [QS]यहोवा ने हमको स्मरण किया है; वह आशीष देगा; [QE][QS]वह इस्राएल के घराने को आशीष देगा; [QE][QS]वह हारून के घराने को आशीष देगा। [QE]
13. [QS]क्या छोटे क्या बड़े* [QE][QS]जितने यहोवा के डरवैये हैं, वह उन्हें आशीष देगा। (भज. 128:1) [QE]
14. [QS]यहोवा तुम को और तुम्हारे वंश को भी अधिक बढ़ाता जाए। [QE]
15. [QS]यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, [QE][QS]उसकी ओर से तुम आशीष पाए हो। [QE]
16. [QS]स्वर्ग तो यहोवा का है, [QE][QS]परन्तु पृथ्वी उसने मनुष्यों को दी है। [QE]
17. [QS]मृतक जितने चुपचाप पड़े हैं, [QE][QS]वे तो यहोवा की स्तुति नहीं कर सकते, [QE]
18. [QS]परन्तु हम लोग यहोवा को [QE][QS]अब से लेकर सर्वदा तक धन्य कहते रहेंगे। [QE][QS]यहोवा की स्तुति करो! [QE]