पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. {मृत्यु से बचाव के लिए धन्यवाद} [PS] मैं प्रेम रखता हूँ, इसलिए कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है। [QBR]
2. उसने जो मेरी ओर कान लगाया है, [QBR] इसलिए मैं जीवन भर उसको पुकारा करूँगा। [QBR]
3. मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं; [QBR] मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; [QBR] मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा*। (भज. 18:4-5) [QBR]
4. तब मैंने यहोवा से प्रार्थना की, [QBR] “हे यहोवा, विनती सुनकर मेरे प्राण को बचा ले!” [QBR]
5. यहोवा करुणामय और धर्मी है; [QBR] और हमारा परमेश्‍वर दया करनेवाला है। [QBR]
6. यहोवा भोलों की रक्षा करता है; [QBR] जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया। [QBR]
7. हे मेरे प्राण, तू अपने विश्रामस्थान में लौट आ; [QBR] क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है। [QBR]
8. तूने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, [QBR] मेरी आँख को आँसू बहाने से, [QBR] और मेरे पाँव को ठोकर खाने से बचाया है। [QBR]
9. मैं जीवित रहते हुए, [QBR] अपने को यहोवा के सामने जानकर नित चलता रहूँगा। [QBR]
10. मैंने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कसकर कहा है, [QBR] “मैं तो बहुत ही दुःखित हूँ;” (2 कुरि. 4:13) [QBR]
11. मैंने उतावली से कहा, [QBR] “सब मनुष्य झूठें हैं।” (रोम. 3:4) [QBR]
12. यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, [QBR] उनके बदले मैं उसको क्या दूँ? [QBR]
13. मैं उद्धार का कटोरा उठाकर, [QBR] यहोवा से प्रार्थना करूँगा, [QBR]
14. मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें, सभी की दृष्टि में प्रगट रूप में, उसकी सारी प्रजा के सामने पूरी करूँगा। [QBR]
15. यहोवा के भक्तों की मृत्यु, [QBR] उसकी दृष्टि में अनमोल है*। [QBR]
16. हे यहोवा, सुन, मैं तो तेरा दास हूँ; [QBR] मैं तेरा दास, और तेरी दासी का पुत्र हूँ। [QBR] तूने मेरे बन्धन खोल दिए हैं। [QBR]
17. मैं तुझको धन्यवाद-बलि चढ़ाऊँगा, [QBR] और यहोवा से प्रार्थना करूँगा। [QBR]
18. मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें, [QBR] प्रगट में उसकी सारी प्रजा के सामने [QBR]
19. यहोवा के भवन के आँगनों में, [QBR] हे यरूशलेम, तेरे भीतर पूरी करूँगा। [QBR] यहोवा की स्तुति करो! [PE]

Notes

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भजन संहिता 116:46
1. {मृत्यु से बचाव के लिए धन्यवाद} PS मैं प्रेम रखता हूँ, इसलिए कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है।
2. उसने जो मेरी ओर कान लगाया है,
इसलिए मैं जीवन भर उसको पुकारा करूँगा।
3. मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं;
मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था;
मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा*। (भज. 18:4-5)
4. तब मैंने यहोवा से प्रार्थना की,
“हे यहोवा, विनती सुनकर मेरे प्राण को बचा ले!”
5. यहोवा करुणामय और धर्मी है;
और हमारा परमेश्‍वर दया करनेवाला है।
6. यहोवा भोलों की रक्षा करता है;
जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया।
7. हे मेरे प्राण, तू अपने विश्रामस्थान में लौट आ;
क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है।
8. तूने तो मेरे प्राण को मृत्यु से,
मेरी आँख को आँसू बहाने से,
और मेरे पाँव को ठोकर खाने से बचाया है।
9. मैं जीवित रहते हुए,
अपने को यहोवा के सामने जानकर नित चलता रहूँगा।
10. मैंने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कसकर कहा है,
“मैं तो बहुत ही दुःखित हूँ;” (2 कुरि. 4:13)
11. मैंने उतावली से कहा,
“सब मनुष्य झूठें हैं।” (रोम. 3:4)
12. यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं,
उनके बदले मैं उसको क्या दूँ?
13. मैं उद्धार का कटोरा उठाकर,
यहोवा से प्रार्थना करूँगा,
14. मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें, सभी की दृष्टि में प्रगट रूप में, उसकी सारी प्रजा के सामने पूरी करूँगा।
15. यहोवा के भक्तों की मृत्यु,
उसकी दृष्टि में अनमोल है*।
16. हे यहोवा, सुन, मैं तो तेरा दास हूँ;
मैं तेरा दास, और तेरी दासी का पुत्र हूँ।
तूने मेरे बन्धन खोल दिए हैं।
17. मैं तुझको धन्यवाद-बलि चढ़ाऊँगा,
और यहोवा से प्रार्थना करूँगा।
18. मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें,
प्रगट में उसकी सारी प्रजा के सामने
19. यहोवा के भवन के आँगनों में,
हे यरूशलेम, तेरे भीतर पूरी करूँगा।
यहोवा की स्तुति करो! PE
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