1. हे स्वर्ग में विराजमान [QBR] मैं अपनी आँखें तेरी ओर उठाता हूँ! [QBR]
2. देख, जैसे दासों की आँखें अपने स्वामियों के हाथ की ओर, [QBR] और जैसे दासियों की आँखें अपनी स्वामिनी के हाथ की ओर लगी रहती है, [QBR] वैसे ही हमारी आँखें हमारे परमेश्वर यहोवा की ओर उस समय तक लगी रहेंगी, [QBR] जब तक वह हम पर दया न करे। [QBR]
3. हम पर दया कर, हे यहोवा, हम पर कृपा कर, [QBR] क्योंकि हम अपमान से बहुत ही भर गए हैं। [QBR]
4. हमारा जीव सुखी लोगों के उपहास से, [QBR] और अहंकारियों के अपमान से* बहुत ही भर गया है। [PE]