1. हे यहोवा, तूने मुझे जाँच कर जान लिया है। (रोम 8:27) [QBR]
2. तू मेरा उठना और बैठना जानता है; [QBR] और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। [QBR]
3. मेरे चलने और लेटने की तू भली-भाँति छानबीन करता है, [QBR] और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। [QBR]
4. हे यहोवा, मेरे मुँह में ऐसी कोई बात नहीं [QBR] जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो। [QBR]
5. तूने मुझे आगे-पीछे घेर रखा है*, [QBR] और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है। [QBR]
6. यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; [QBR] यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है। [QBR]
7. मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊँ? [QBR] या तेरे सामने से किधर भागूँ? [QBR]
8. यदि मैं आकाश पर चढ़ूँ, तो तू वहाँ है! [QBR] यदि मैं अपना खाट अधोलोक में बिछाऊँ तो वहाँ भी तू है! [QBR]
9. यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़कर समुद्र के पार जा बसूँ, [QBR]
10. तो वहाँ भी तू अपने हाथ से मेरी अगुआई करेगा, [QBR] और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। [QBR]
11. यदि मैं कहूँ कि अंधकार में तो मैं छिप जाऊँगा, [QBR] और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अंधेरा हो जाएगा, [QBR]
12. तो भी अंधकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; [QBR] क्योंकि तेरे लिये अंधियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं। [QBR]
13. तूने मेरे अंदरूनी अंगों को बनाया है; [QBR] तूने मुझे माता के गर्भ में रचा। [QBR]
14. मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, इसलिए कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ। [QBR] तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, [QBR] और मैं इसे भली भाँति जानता हूँ। (प्रका. 15:3) [QBR]
15. जब मैं गुप्त में बनाया जाता, [QBR] और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, [QBR] तब मेरी देह तुझसे छिपी न थीं। [QBR]
16. तेरी आँखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; [QBR] और मेरे सब अंग जो दिन-दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहले [QBR] तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे। [QBR]
17. मेरे लिये तो हे परमेश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! [QBR] उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है! [QBR]
18. यदि मैं उनको गिनता तो वे रेतकणों से भी अधिक ठहरते। [QBR] जब मैं जाग उठता हूँ, तब भी तेरे संग रहता हूँ। [QBR]
19. हे परमेश्वर निश्चय तू दुष्ट को घात करेगा! [QBR] हे हत्यारों, मुझसे दूर हो जाओ। [QBR]
20. क्योंकि वे तेरे विरुद्ध बलवा करते और छल के काम करते हैं; [QBR] तेरे शत्रु तेरा नाम झूठी बात पर लेते हैं। [QBR]
21. हे यहोवा, क्या मैं तेरे बैरियों से बैर न रखूँ, [QBR] और तेरे विरोधियों से घृणा न करूँ? (प्रका. 2:6) [QBR]
22. हाँ, मैं उनसे पूर्ण बैर रखता हूँ; [QBR] मैं उनको अपना शत्रु समझता हूँ। [QBR]
23. हे परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले! [QBR] मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले! [QBR]
24. और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, [QBR] और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुआई कर! [PE]