1. {मार्गदर्शन और उद्धार के लिए प्रार्थना} [PS] हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन; [QBR] मेरे गिड़गिड़ाने की ओर कान लगा! [QBR] तू जो सच्चा और धर्मी है, इसलिए मेरी सुन ले, [QBR]
2. और अपने दास से मुकद्दमा न चला! [QBR] क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता। (रोम 3:20, 1 कुरि. 4:4, गला 2:16) [QBR]
3. शत्रु तो मेरे प्राण का गाहक हुआ है; [QBR] उसने मुझे चूर करके मिट्टी में मिलाया है, [QBR] और मुझे बहुत दिन के मरे हुओं के समान अंधेरे स्थान में डाल दिया है। [QBR]
4. मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है [QBR] मेरा मन विकल है। [QBR]
5. मुझे प्राचीनकाल के दिन स्मरण आते हैं, [QBR] मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूँ, [QBR] और तेरे हाथों के कामों को सोचता हूँ। [QBR]
6. मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हूए हूँ; [QBR] सूखी भूमि के समान मैं तेरा प्यासा हूँ। (सेला) [QBR]
7. हे यहोवा, फुर्ती करके मेरी सुन ले; [QBR] क्योंकि मेरे प्राण निकलने ही पर हैं! [QBR] मुझसे अपना मुँह न छिपा, ऐसा न हो कि मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ। [QBR]
8. प्रातःकाल को अपनी करुणा की बात मुझे सुना, [QBR] क्योंकि मैंने तुझी पर भरोसा रखा है। [QBR] जिस मार्ग पर मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, [QBR] क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूँ। [QBR]
9. हे यहोवा, मुझे शत्रुओं से बचा ले; [QBR] मैं तेरी ही आड़ में आ छिपा हूँ। [QBR]
10. मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा कैसे पूरी करूँ, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है! [QBR] तेरी भली आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले*! [QBR]
11. हे यहोवा, मुझे अपने नाम के निमित्त जिला! [QBR] तू जो धर्मी है, मुझ को संकट से छुड़ा ले! [QBR]
12. और करुणा करके मेरे शत्रुओं का सत्यानाश कर, [QBR] और मेरे सब सतानेवालों का नाश कर डाल, [QBR] क्योंकि मैं तेरा दास हूँ। [PE]