1. {बचाव और समृद्धि के लिए प्रार्थना} PS धन्य है यहोवा, जो मेरी चट्टान है,
वह युद्ध के लिए मेरे हाथों को और लड़ाई के लिए मेरी उँगलियों को अभ्यास कराता है। |
2. वह मेरे लिये करुणानिधान और गढ़,
ऊँचा स्थान और छुड़ानेवाला है, वह मेरी ढाल और शरणस्थान है, जो जातियों को मेरे वश में कर देता है। |
9. हे परमेश्वर, मैं तेरी स्तुति का नया गीत गाऊँगा;
मैं दस तारवाली सारंगी बजाकर तेरा भजन गाऊँगा। (प्रका. 5:9, प्रका. 14:3) |
11. मुझ को उबार और परदेशियों के वश से छुड़ा ले,
जिनके मुँह से झूठी बातें निकलती हैं, और जिनका दाहिना हाथ झूठ का दाहिना हाथ है। |
12. हमारे बेटे जवानी के समय पौधों के समान बढ़े हुए हों*,
और हमारी बेटियाँ उन कोनेवाले खम्भों के समान हों, जो महल के लिये बनाए जाएँ; |
13. हमारे खत्ते भरे रहें, और उनमें भाँति-भाँति का अन्न रखा जाए,
और हमारी भेड़-बकरियाँ हमारे मैदानों में हजारों हजार बच्चे जनें; |
14. तब हमारे बैल खूब लदे हुए हों;
हमें न विघ्न हो और न हमारा कहीं जाना हो, और न हमारे चौकों में रोना-पीटना हो*, |
15. तो इस दशा में जो राज्य हो वह क्या ही धन्य होगा!
जिस राज्य का परमेश्वर यहोवा है, वह क्या ही धन्य है! PE |