1. {परमेश्वर की महिमा और प्रेम का गीत } [QS][PS]*दाऊद का भजन *[PE][PBR]हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तुझे सराहूँगा, [QE][QS]और तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहता रहूँगा। [QE]
2. [QS]प्रतिदिन मैं तुझको धन्य कहा करूँगा, [QE][QS]और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूँगा। [QE]
3. [QS]यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है, [QE][QS]और उसकी बड़ाई अगम है। [QE]
4. [QS]तेरे कामों की प्रशंसा और तेरे पराक्रम के कामों का वर्णन, [QE][QS]पीढ़ी-पीढ़ी होता चला जाएगा। [QE]
5. [QS]मैं तेरे ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप पर [QE][QS]और तेरे भाँति-भाँति के आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूँगा। [QE]
6. [QS]लोग तेरे भयानक कामों की शक्ति की चर्चा करेंगे, [QE][QS]और मैं तेरे बड़े-बड़े कामों का वर्णन करूँगा। [QE]
7. [QS]लोग तेरी बड़ी भलाई का स्मरण करके उसकी चर्चा करेंगे, [QE][QS]और तेरे धर्म का जयजयकार करेंगे। [QE]
8. [QS]यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, [QE][QS]विलम्ब से क्रोध करनेवाला और अति करुणामय है। [QE]
9. [QS]यहोवा सभी के लिये भला है, [QE][QS]और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है। [QE]
10. [QS]हे यहोवा, तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करेगी, [QE][QS]और तेरे भक्त लोग तुझे धन्य कहा करेंगे! [QE]
11. [QS]वे तेरे राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे, [QE][QS]और तेरे पराक्रम के विषय में बातें करेंगे; [QE]
12. [QS]कि वे मनुष्यों पर तेरे पराक्रम के काम [QE][QS]और तेरे राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट करें। [QE]
13. [QS]तेरा राज्य युग-युग का [QE][QS]और तेरी प्रभुता सब पीढि़यों तक बनी रहेगी। [QE]
14. [QS]यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, [QE][QS]और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है। [QE]
15. [QS]सभी की आँखें तेरी ओर लगी रहती हैं, [QE][QS]और तू उनको आहार समय पर देता है। [QE]
16. [QS]तू अपनी मुट्ठी खोलकर, [QE][QS]सब प्राणियों को आहार से तृप्त करता है। [QE]
17. [QS]यहोवा अपनी सब गति में धर्मी [QE][QS]और अपने सब कामों में करुणामय है*। (प्रका. 15:3, प्रका. 16:5) [QE]
18. [QS]जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात् जितने उसको सच्चाई से पुकारते है; [QE][QS]उन सभी के वह निकट रहता है*। [QE]
19. [QS]वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, [QE][QS]और उनकी दुहाई सुनकर उनका उद्धार करता है। [QE]
20. [QS]यहोवा अपने सब प्रेमियों की तो रक्षा करता, [QE][QS]परन्तु सब दुष्टों को सत्यानाश करता है। [QE]
21. [QS]मैं यहोवा की स्तुति करूँगा, [QE][QS]और सारे प्राणी उसके पवित्र नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें। [QE]