1. {सृष्टि द्वारा सृष्टिकर्ता की महिमा का वर्णन} [PS] आकाश परमेश्वर की महिमा वर्णन करता है; [QBR] और आकाश मण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट करता है। [QBR]
2. दिन से दिन बातें करता है, [QBR] और रात को रात ज्ञान सिखाती है। [QBR]
3. न तो कोई बोली है और न कोई भाषा; [QBR] जहाँ उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। [QBR]
4. फिर भी उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूँज गया है, [QBR] और उनका वचन जगत की छोर तक पहुँच गया है। [QBR] उनमें उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, [QBR]
5. जो दुल्हे के समान अपने कक्ष से निकलता है। [QBR] वह शूरवीर के समान अपनी दौड़ दौड़ने में हर्षित होता है*। [QBR]
6. वह आकाश की एक छोर से निकलता है, [QBR] और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; [QBR] और उसकी गर्मी से कोई नहीं बच पाता। [QBR]
7. यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; [QBR] यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, [QBR] बुद्धिहीन लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; [QBR]
8. यहोवा के उपदेश* सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; [QBR] यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आँखों में [QBR] ज्योति ले आती है; [QBR]
9. यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; [QBR] यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। [QBR]
10. वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; [QBR] वे मधु से और छत्ते से टपकनेवाले मधु से भी बढ़कर मधुर हैं। [QBR]
11. उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; [QBR] उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। (2 यूह. 1:8, भज. 119:11) [QBR]
12. अपनी गलतियों को कौन समझ सकता है? [QBR] मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। [QBR]
13. तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; [QBR] वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएँ! [QBR] तब मैं सिद्ध हो जाऊँगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूँगा*। (गिन. 15:30) [QBR]
14. हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करनेवाले, [QBR] मेरे मुँह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहणयोग्य हों। [PE]