1. {सृष्टि द्वारा सृष्टिकर्ता की महिमा का वर्णन} PS आकाश परमेश्वर की महिमा वर्णन करता है;
और आकाश मण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट करता है। |
4. फिर भी उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूँज गया है,
और उनका वचन जगत की छोर तक पहुँच गया है। उनमें उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, |
5. जो दुल्हे के समान अपने कक्ष से निकलता है।
वह शूरवीर के समान अपनी दौड़ दौड़ने में हर्षित होता है*। |
6. वह आकाश की एक छोर से निकलता है,
और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी से कोई नहीं बच पाता। |
7. यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है;
यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, बुद्धिहीन लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; |
8. यहोवा के उपदेश* सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं;
यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आँखों में ज्योति ले आती है; |
9. यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है;
यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। |
10. वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं;
वे मधु से और छत्ते से टपकनेवाले मधु से भी बढ़कर मधुर हैं। |
11. उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है;
उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। (2 यूह. 1:8, भज. 119:11) |
13. तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख;
वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएँ! तब मैं सिद्ध हो जाऊँगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूँगा*। (गिन. 15:30) |
14. हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करनेवाले,
मेरे मुँह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहणयोग्य हों। PE |