1. {पुत्र का राज्याभिषेक} [PS] जाति-जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं, [QBR] और देश-देश के लोग क्यों षड्यंत्र रचते हैं? [QBR]
2. यहोवा के और उसके अभिषिक्त के विरुद्ध पृथ्वी के राजागण मिलकर, [QBR] और हाकिम आपस में षड्यंत्र रचकर, कहते हैं, (प्रका. 11:18, प्रेरि. 4:25,26, प्रका. 19:19) [QBR]
3. “आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें*, [QBR] और उनकी रस्सियों को अपने ऊपर से उतार फेंके।” [QBR]
4. वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हँसेगा*, [QBR] प्रभु उनको उपहास में उड़ाएगा। [QBR]
5. तब वह उनसे क्रोध में बातें करेगा, [QBR] और क्रोध में यह कहकर उन्हें भयभीत कर देगा, [QBR]
6. “मैंने तो अपने चुने हुए राजा को, [QBR] अपने पवित्र पर्वत सिय्योन की राजगद्दी पर नियुक्त किया है।” [QBR]
7. मैं उस वचन का प्रचार करूँगा: [QBR] जो यहोवा ने मुझसे कहा, “तू मेरा पुत्र है; [QBR] आज मैं ही ने तुझे जन्माया है।” (मत्ती 3:17, मत्ती 17:5, मर. 1:11, मर. 9:7, लूका 3:22, लूका 9:35, यूह. 1:49, प्रेरि. 13:33, इब्रा. 1:5, इब्रा. 5:5, 2 पत. 1:17) [QBR]
8. मुझसे माँग, और मैं जाति-जाति के लोगों को तेरी सम्पत्ति होने के लिये, [QBR] और दूर-दूर के देशों को तेरी निज भूमि बनने के लिये दे दूँगा*। (इब्रा. 1:2) [QBR]
9. तू उन्हें लोहे के डण्डे से टुकड़े-टुकड़े करेगा। [QBR] तू कुम्हार के बर्तन के समान उन्हें चकना चूर कर डालेगा।” (प्रका. 2:27, प्रका. 12:5, प्रका. 19:15) [QBR]
10. इसलिए अब, हे राजाओं, बुद्धिमान बनो; [QBR] हे पृथ्वी के शासकों, सावधान हो जाओ। [QBR]
11. डरते हुए यहोवा की उपासना करो, [QBR] और काँपते हुए मगन हो। (फिलि. 2:12) [QBR]
12. पुत्र को चूमो ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, [QBR] और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ, [QBR] क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है। [QBR] धन्य है वे जो उसमें शरण लेते है। [PE]