1. {#1विनती और धन्यवाद } [QS][PS]*दाऊद का भजन *[PE][PBR]हे यहोवा, मैं तुझी को पुकारूँगा; [QE][QS]हे मेरी चट्टान, मेरी पुकार अनसुनी न कर, [QE][QS]ऐसा न हो कि तेरे चुप रहने से [QE][QS]मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ जो पाताल में चले जाते हैं*। [QE]
2. [QS]जब मैं तेरी दुहाई दूँ, [QE][QS]और तेरे पवित्रस्थान की भीतरी कोठरी [QE][QS]की ओर अपने हाथ उठाऊँ, [QE][QS]तब मेरी गिड़गिड़ाहट की बात सुन ले। [QE]
3. [QS]उन दुष्टों और अनर्थकारियों के संग मुझे न घसीट; [QE][QS]जो अपने पड़ोसियों से बातें तो मेल की बोलते हैं, [QE][QS]परन्तु हृदय में बुराई रखते हैं। [QE]
4. [QS]उनके कामों के और उनकी करनी की बुराई [QE][QS]के अनुसार उनसे बर्ताव कर, [QE][QS]उनके हाथों के काम के अनुसार उन्हें बदला दे; [QE][QS]उनके कामों का पलटा उन्हें दे। (मत्ती 16:27, प्रका. 18:6,13 प्रका. 22:12) [QE]
5. [QS]क्योंकि वे यहोवा के मार्गों को [QE][QS]और उसके हाथ के कामों को नहीं समझते, [QE][QS]इसलिए वह उन्हें पछाड़ेगा और फिर न उठाएगा*। [QE]
6. [QS]यहोवा धन्य है; [QE][QS]क्योंकि उसने मेरी गिड़गिड़ाहट को सुना है। [QE]
7. [QS]यहोवा मेरा बल और मेरी ढाल है; [QE][QS]उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहायता मिली है; [QE][QS]इसलिए मेरा हृदय प्रफुल्लित है; [QE][QS]और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूँगा। [QE]
8. [QS]यहोवा अपने लोगों की सामर्थ्य है, [QE][QS]वह अपने अभिषिक्त के लिये उद्धार का दृढ़ गढ़ है। [QE]
9. [QS]हे यहोवा अपनी प्रजा का उद्धार कर, [QE][QS]और अपने निज भाग के लोगों को आशीष दे; [QE][QS]और उनकी चरवाही कर और सदैव उन्हें सम्भाले रह। [QE]