पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. {विनती और धन्यवाद} [PS] हे यहोवा, मैं तुझी को पुकारूँगा; [QBR] हे मेरी चट्टान, मेरी पुकार अनसुनी न कर, [QBR] ऐसा न हो कि तेरे चुप रहने से [QBR] मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ जो पाताल में चले जाते हैं*। [QBR]
2. जब मैं तेरी दुहाई दूँ, [QBR] और तेरे पवित्रस्‍थान की भीतरी कोठरी [QBR] की ओर अपने हाथ उठाऊँ, [QBR] तब मेरी गिड़गिड़ाहट की बात सुन ले। [QBR]
3. उन दुष्टों और अनर्थकारियों के संग मुझे न घसीट; [QBR] जो अपने पड़ोसियों से बातें तो मेल की बोलते हैं, [QBR] परन्तु हृदय में बुराई रखते हैं। [QBR]
4. उनके कामों के और उनकी करनी की बुराई [QBR] के अनुसार उनसे बर्ताव कर, [QBR] उनके हाथों के काम के अनुसार उन्हें बदला दे; [QBR] उनके कामों का पलटा उन्हें दे। (मत्ती 16:27, प्रका. 18:6,13 प्रका. 22:12) [QBR]
5. क्योंकि वे यहोवा के मार्गों को [QBR] और उसके हाथ के कामों को नहीं समझते, [QBR] इसलिए वह उन्हें पछाड़ेगा और फिर न उठाएगा*। [QBR]
6. यहोवा धन्य है; [QBR] क्योंकि उसने मेरी गिड़गिड़ाहट को सुना है। [QBR]
7. यहोवा मेरा बल और मेरी ढाल है; [QBR] उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहायता मिली है; [QBR] इसलिए मेरा हृदय प्रफुल्लित है; [QBR] और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूँगा। [QBR]
8. यहोवा अपने लोगों की सामर्थ्य है, [QBR] वह अपने अभिषिक्त के लिये उद्धार का दृढ़ गढ़ है। [QBR]
9. हे यहोवा अपनी प्रजा का उद्धार कर, [QBR] और अपने निज भाग के लोगों को आशीष दे; [QBR] और उनकी चरवाही कर और सदैव उन्हें सम्भाले रह। [PE]

Notes

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भजन संहिता 28:150
1. {विनती और धन्यवाद} PS हे यहोवा, मैं तुझी को पुकारूँगा;
हे मेरी चट्टान, मेरी पुकार अनसुनी कर,
ऐसा हो कि तेरे चुप रहने से
मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ जो पाताल में चले जाते हैं*।
2. जब मैं तेरी दुहाई दूँ,
और तेरे पवित्रस्‍थान की भीतरी कोठरी
की ओर अपने हाथ उठाऊँ,
तब मेरी गिड़गिड़ाहट की बात सुन ले।
3. उन दुष्टों और अनर्थकारियों के संग मुझे घसीट;
जो अपने पड़ोसियों से बातें तो मेल की बोलते हैं,
परन्तु हृदय में बुराई रखते हैं।
4. उनके कामों के और उनकी करनी की बुराई
के अनुसार उनसे बर्ताव कर,
उनके हाथों के काम के अनुसार उन्हें बदला दे;
उनके कामों का पलटा उन्हें दे। (मत्ती 16:27, प्रका. 18:6,13 प्रका. 22:12)
5. क्योंकि वे यहोवा के मार्गों को
और उसके हाथ के कामों को नहीं समझते,
इसलिए वह उन्हें पछाड़ेगा और फिर उठाएगा*।
6. यहोवा धन्य है;
क्योंकि उसने मेरी गिड़गिड़ाहट को सुना है।
7. यहोवा मेरा बल और मेरी ढाल है;
उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहायता मिली है;
इसलिए मेरा हृदय प्रफुल्लित है;
और मैं गीत गाकर उसका धन्यवाद करूँगा।
8. यहोवा अपने लोगों की सामर्थ्य है,
वह अपने अभिषिक्त के लिये उद्धार का दृढ़ गढ़ है।
9. हे यहोवा अपनी प्रजा का उद्धार कर,
और अपने निज भाग के लोगों को आशीष दे;
और उनकी चरवाही कर और सदैव उन्हें सम्भाले रह। PE
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