1. {धन्यवाद की प्रार्थना भवन की प्रतिष्ठा के लिये} PS हे यहोवा, मैं तुझे सराहूँगा क्योंकि तूने
मुझे खींचकर निकाला है, और मेरे शत्रुओं को मुझ पर आनन्द करने नहीं दिया। |
3. हे यहोवा, तूने मेरा प्राण अधोलोक में से निकाला है,
तूने मुझ को जीवित रखा और कब्र में पड़ने से बचाया है*। |
4. तुम जो विश्वासयोग्य हो!
यहोवा की स्तुति करो, और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो। |
5. क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है,
परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है*। कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सवेरे आनन्द पहुँचेगा। |
7. हे यहोवा, अपनी प्रसन्नता से तूने मेरे पहाड़ को दृढ़
और स्थिर किया था; जब तूने अपना मुख फेर लिया तब मैं घबरा गया। |
9. जब मैं कब्र में चला जाऊँगा तब मेरी मृत्यु से
क्या लाभ होगा? क्या मिट्टी तेरा धन्यवाद कर सकती है? क्या वह तेरी विश्वसनीयता का प्रचार कर सकती है? |
11. तूने मेरे लिये विलाप को नृत्य में बदल डाला;
तूने मेरा टाट उतरवाकर मेरी कमर में आनन्द का पटुका बाँधा है*; |
12. ताकि मेरा मन तेरा भजन गाता रहे
और कभी चुप न हो। हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं सर्वदा तेरा धन्यवाद करता रहूँगा। PE |