पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. {#1क्षमा प्राप्ति की आशीष } [QS][PS]*दाऊद का भजन मश्कील *[PE][PBR]क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध [QE][QS]क्षमा किया गया, [QE][QS]और जिसका पाप ढाँपा गया हो*। (रोम. 4:7) [QE]
2. [QS]क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म [QE][QS]का यहोवा लेखा न ले, [QE][QS]और जिसकी आत्मा में कपट न हो। (रोम. 4:8) [QE]
3. [QS]जब मैं चुप रहा [QE][QS]तब दिन भर कराहते-कराहते मेरी हड्डियाँ [QE][QS]पिघल गई। [QE]
4. [QS]क्योंकि रात-दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; [QE][QS]और मेरी तरावट धूपकाल की सी झुर्राहट [QE][QS]बनती गई। (सेला) [QE]
5. [QS]जब मैंने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया [QE][QS]और अपना अधर्म न छिपाया, [QE][QS]और कहा, “मैं यहोवा के सामने अपने अपराधों को मान लूँगा;” [QE][QS]तब तूने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। (सेला) (1 यूह. 1:9) [QE]
6. [QS]इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय [QE][QS]में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है*। [QE][QS]निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तो भी [QE][QS]उस भक्त के पास न पहुँचेगी। [QE]
7. [QS]तू मेरे छिपने का स्थान है; [QE][QS]तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; [QE][QS]तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर [QE][QS]लेगा। (सेला) [QE]
8. [QS]मैं तुझे बुद्धि दूँगा, और जिस मार्ग में तुझे [QE][QS]चलना होगा उसमें तेरी अगुआई करूँगा; [QE][QS]मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूँगा [QE][QS]और सम्मति दिया करूँगा। [QE]
9. [QS]तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, [QE][QS]उनकी उमंग लगाम और रास से रोकनी पड़ती है, [QE][QS]नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के। [QE]
10. [QS]दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; [QE][QS]परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है [QE][QS]वह करुणा से घिरा रहेगा। [QE]
11. [QS]हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित [QE][QS]और मगन हो, और हे सब सीधे मनवालों [QE][QS]आनन्द से जयजयकार करो! [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 32 / 150
क्षमा प्राप्ति की आशीष 1 दाऊद का भजन मश्कील क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढाँपा गया हो*। (रोम. 4:7) 2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो। (रोम. 4:8) 3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते-कराहते मेरी हड्डियाँ पिघल गई। 4 क्योंकि रात-दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूपकाल की सी झुर्राहट बनती गई। (सेला) 5 जब मैंने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, “मैं यहोवा के सामने अपने अपराधों को मान लूँगा;” तब तूने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। (सेला) (1 यूह. 1:9) 6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है*। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तो भी उस भक्त के पास न पहुँचेगी। 7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा। (सेला) 8 मैं तुझे बुद्धि दूँगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उसमें तेरी अगुआई करूँगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूँगा और सम्मति दिया करूँगा। 9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और रास से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के। 10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करुणा से घिरा रहेगा। 11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मनवालों आनन्द से जयजयकार करो!
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