1. {परमेश्वर धर्मी का उद्धारकर्ता } [QS][PS]*दाऊद का भजन जब वह अबीमेलेक के सामने बौरहा बना, और अबीमेलेक ने उसे निकाल दिया, और वह चला गया *[PE][PBR]मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूँगा; [QE][QS]उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी। [QE]
2. [QS]मैं यहोवा पर घमण्ड करूँगा; [QE][QS]नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे। [QE]
3. [QS]मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, [QE][QS]और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें; [QE]
4. [QS]मैं यहोवा के पास गया, [QE][QS]तब उसने मेरी सुन ली, [QE][QS]और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया। [QE]
5. [QS]जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की, [QE][QS]उन्होंने ज्योति पाई; [QE][QS]और उनका मुँह कभी काला न होने पाया। [QE]
6. [QS]इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, [QE][QS]और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया। [QE]
7. [QS]यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत [QE][QS]छावनी किए हुए उनको बचाता है। (इब्रा. 1:14, दान. 6: 22) [QE]
8. [QS]चखकर देखो* कि यहोवा कैसा भला है! [QE][QS]क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो उसकी शरण लेता है। (1 पत. 2:3) [QE]
9. [QS]हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, [QE][QS]क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती! [QE]
10. [QS]जवान सिंहों को तो घटी होती [QE][QS]और वे भूखे भी रह जाते हैं; [QE][QS]परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली [QE][QS]वस्तु की घटी न होगी। [QE]
11. [QS]हे बच्चों, आओ मेरी सुनो, [QE][QS]मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊँगा। [QE]
12. [QS]वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, [QE][QS]और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे? [QE]
13. [QS]अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, [QE][QS]और अपने मुँह की चौकसी कर कि [QE][QS]उससे छल की बात न निकले। (याकू. 1:26) [QE]
14. [QS]बुराई को छोड़ और भलाई कर; [QE][QS]मेल को ढूँढ़ और उसी का पीछा कर। (इब्रा. 12:14) [QE]
15. [QS]यहोवा की आँखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, [QE][QS]और उसके कान भी उनकी दुहाई की [QE][QS]ओर लगे रहते हैं। (यूह. 9:31) [QE]
16. [QS]यहोवा बुराई करनेवालों के विमुख रहता है, [QE][QS]ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। (1 पत. 3:10-12) [QE]
17. [QS]धर्मी दुहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, [QE][QS]और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है। [QE]
18. [QS]यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है*, [QE][QS]और पिसे हुओं का उद्धार करता है। [QE]
19. [QS]धर्मी पर बहुत सी विपत्तियाँ पड़ती तो हैं, [QE][QS]परन्तु यहोवा उसको उन सबसे [QE][QS]मुक्त करता है। (नीति. 24:16, 2 तीम. 3:11) [QE]
20. [QS]वह उसकी हड्डी-हड्डी की रक्षा करता है; [QE][QS]और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाता। (यूह. 19:36) [QE]
21. [QS]दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा; [QE][QS]और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे। [QE]
22. [QS]यहोवा अपने दासों का प्राण मोल लेकर बचा लेता है; [QE][QS]और जितने उसके शरणागत हैं [QE][QS]उनमें से कोई भी दोषी न ठहरेगा। [QE]