पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूँगा; [QBR] उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी। [QBR]
2. मैं यहोवा पर घमण्ड करूँगा; [QBR] नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे। [QBR]
3. मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, [QBR] और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें; [QBR]
4. मैं यहोवा के पास गया, [QBR] तब उसने मेरी सुन ली, [QBR] और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया। [QBR]
5. जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की, [QBR] उन्होंने ज्योति पाई; [QBR] और उनका मुँह कभी काला न होने पाया। [QBR]
6. इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, [QBR] और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया। [QBR]
7. यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत [QBR] छावनी किए हुए उनको बचाता है। (इब्रा. 1:14, दान. 6: 22) [QBR]
8. चखकर देखो* कि यहोवा कैसा भला है! [QBR] क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो उसकी शरण लेता है। (1 पत. 2:3) [QBR]
9. हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, [QBR] क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती! [QBR]
10. जवान सिंहों को तो घटी होती [QBR] और वे भूखे भी रह जाते हैं; [QBR] परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली [QBR] वस्तु की घटी न होगी। [QBR]
11. हे बच्चों, आओ मेरी सुनो, [QBR] मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊँगा। [QBR]
12. वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, [QBR] और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे? [QBR]
13. अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, [QBR] और अपने मुँह की चौकसी कर कि [QBR] उससे छल की बात न निकले। (याकू. 1:26) [QBR]
14. बुराई को छोड़ और भलाई कर; [QBR] मेल को ढूँढ़ और उसी का पीछा कर। (इब्रा. 12:14) [QBR]
15. यहोवा की आँखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, [QBR] और उसके कान भी उनकी दुहाई की [QBR] ओर लगे रहते हैं। (यूह. 9:31) [QBR]
16. यहोवा बुराई करनेवालों के विमुख रहता है, [QBR] ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। (1 पत. 3:10-12) [QBR]
17. धर्मी दुहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, [QBR] और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है। [QBR]
18. यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है*, [QBR] और पिसे हुओं का उद्धार करता है। [QBR]
19. धर्मी पर बहुत सी विपत्तियाँ पड़ती तो हैं, [QBR] परन्तु यहोवा उसको उन सबसे [QBR] मुक्त करता है। (नीति. 24:16, 2 तीम. 3:11) [QBR]
20. वह उसकी हड्डी-हड्डी की रक्षा करता है; [QBR] और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाता। (यूह. 19:36) [QBR]
21. दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा; [QBR] और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे। [QBR]
22. यहोवा अपने दासों का प्राण मोल लेकर बचा लेता है; [QBR] और जितने उसके शरणागत हैं [QBR] उनमें से कोई भी दोषी न ठहरेगा। [PE]

Notes

No Verse Added

Total 150 Chapters, Current Chapter 34 of Total Chapters 150
भजन संहिता 34:17
1. मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूँगा;
उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।
2. मैं यहोवा पर घमण्ड करूँगा;
नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।
3. मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो,
और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें;
4. मैं यहोवा के पास गया,
तब उसने मेरी सुन ली,
और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
5. जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की,
उन्होंने ज्योति पाई;
और उनका मुँह कभी काला होने पाया।
6. इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया,
और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
7. यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत
छावनी किए हुए उनको बचाता है। (इब्रा. 1:14, दान. 6: 22)
8. चखकर देखो* कि यहोवा कैसा भला है!
क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो उसकी शरण लेता है। (1 पत. 2:3)
9. हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो,
क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!
10. जवान सिंहों को तो घटी होती
और वे भूखे भी रह जाते हैं;
परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली
वस्तु की घटी होगी।
11. हे बच्चों, आओ मेरी सुनो,
मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊँगा।
12. वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता,
और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?
13. अपनी जीभ को बुराई से रोक रख,
और अपने मुँह की चौकसी कर कि
उससे छल की बात निकले। (याकू. 1:26)
14. बुराई को छोड़ और भलाई कर;
मेल को ढूँढ़ और उसी का पीछा कर। (इब्रा. 12:14)
15. यहोवा की आँखें धर्मियों पर लगी रहती हैं,
और उसके कान भी उनकी दुहाई की
ओर लगे रहते हैं। (यूह. 9:31)
16. यहोवा बुराई करनेवालों के विमुख रहता है,
ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। (1 पत. 3:10-12)
17. धर्मी दुहाई देते हैं और यहोवा सुनता है,
और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है।
18. यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है*,
और पिसे हुओं का उद्धार करता है।
19. धर्मी पर बहुत सी विपत्तियाँ पड़ती तो हैं,
परन्तु यहोवा उसको उन सबसे
मुक्त करता है। (नीति. 24:16, 2 तीम. 3:11)
20. वह उसकी हड्डी-हड्डी की रक्षा करता है;
और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाता। (यूह. 19:36)
21. दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा;
और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे।
22. यहोवा अपने दासों का प्राण मोल लेकर बचा लेता है;
और जितने उसके शरणागत हैं
उनमें से कोई भी दोषी ठहरेगा। PE
Total 150 Chapters, Current Chapter 34 of Total Chapters 150
×

Alert

×

hindi Letters Keypad References