1. मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूँगा; [QBR] उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी। [QBR]
2. मैं यहोवा पर घमण्ड करूँगा; [QBR] नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे। [QBR]
3. मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, [QBR] और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें; [QBR]
4. मैं यहोवा के पास गया, [QBR] तब उसने मेरी सुन ली, [QBR] और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया। [QBR]
5. जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की, [QBR] उन्होंने ज्योति पाई; [QBR] और उनका मुँह कभी काला न होने पाया। [QBR]
6. इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, [QBR] और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया। [QBR]
7. यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत [QBR] छावनी किए हुए उनको बचाता है। (इब्रा. 1:14, दान. 6: 22) [QBR]
8. चखकर देखो* कि यहोवा कैसा भला है! [QBR] क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो उसकी शरण लेता है। (1 पत. 2:3) [QBR]
9. हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, [QBR] क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती! [QBR]
10. जवान सिंहों को तो घटी होती [QBR] और वे भूखे भी रह जाते हैं; [QBR] परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली [QBR] वस्तु की घटी न होगी। [QBR]
11. हे बच्चों, आओ मेरी सुनो, [QBR] मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊँगा। [QBR]
12. वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, [QBR] और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे? [QBR]
13. अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, [QBR] और अपने मुँह की चौकसी कर कि [QBR] उससे छल की बात न निकले। (याकू. 1:26) [QBR]
14. बुराई को छोड़ और भलाई कर; [QBR] मेल को ढूँढ़ और उसी का पीछा कर। (इब्रा. 12:14) [QBR]
15. यहोवा की आँखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, [QBR] और उसके कान भी उनकी दुहाई की [QBR] ओर लगे रहते हैं। (यूह. 9:31) [QBR]
16. यहोवा बुराई करनेवालों के विमुख रहता है, [QBR] ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। (1 पत. 3:10-12) [QBR]
17. धर्मी दुहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, [QBR] और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है। [QBR]
18. यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है*, [QBR] और पिसे हुओं का उद्धार करता है। [QBR]
19. धर्मी पर बहुत सी विपत्तियाँ पड़ती तो हैं, [QBR] परन्तु यहोवा उसको उन सबसे [QBR] मुक्त करता है। (नीति. 24:16, 2 तीम. 3:11) [QBR]
20. वह उसकी हड्डी-हड्डी की रक्षा करता है; [QBR] और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाता। (यूह. 19:36) [QBR]
21. दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा; [QBR] और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे। [QBR]
22. यहोवा अपने दासों का प्राण मोल लेकर बचा लेता है; [QBR] और जितने उसके शरणागत हैं [QBR] उनमें से कोई भी दोषी न ठहरेगा। [PE]