पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. {परमेश्‍वर का प्रेम और मनुष्य की दुष्टता } [QS][PS]*प्रधान बजानेवाले के लिये यहोवा के दास दाऊद का भजन *[PE][PBR]दुष्ट जन का अपराध उसके हृदय के भीतर कहता है; [QE][QS]परमेश्‍वर का भय उसकी दृष्टि में नहीं है। (रोम. 3:18) [QE]
2. [QS]वह अपने अधर्म के प्रगट होने [QE][QS]और घृणित ठहरने के विषय [QE][QS]अपने मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है। [QE]
3. [QS]उसकी बातें अनर्थ और छल की हैं; [QE][QS]उसने बुद्धि और भलाई के काम करने से [QE][QS]हाथ उठाया है। [QE]
4. [QS]वह अपने बिछौने पर पड़े-पड़े [QE][QS]अनर्थ की कल्पना करता है*; [QE][QS]वह अपने कुमार्ग पर दृढ़ता से बना रहता है; [QE][QS]बुराई से वह हाथ नहीं उठाता। [QE]
5. [QS]हे यहोवा, तेरी करुणा स्वर्ग में है, [QE][QS]तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुँची है। [QE]
6. [QS]तेरा धर्म ऊँचे पर्वतों के समान है, [QE][QS]तेरा न्याय अथाह सागर के समान हैं; [QE][QS]हे यहोवा, तू मनुष्य और पशु दोनों की [QE][QS]रक्षा करता है। [QE]
7. [QS]हे परमेश्‍वर, तेरी करुणा कैसी अनमोल है! [QE][QS]मनुष्य तेरे पंखो के तले शरण लेते हैं। [QE]
8. [QS]वे तेरे भवन के भोजन की [QE][QS]बहुतायत से तृप्त होंगे, [QE][QS]और तू अपनी सुख की नदी [QE][QS]में से उन्हें पिलाएगा। [QE]
9. [QS]क्योंकि जीवन का सोता तेरे ही पास है*; [QE][QS]तेरे प्रकाश के द्वारा हम प्रकाश पाएँगे। (यहू. 4:10, 14, प्रका. 21:6) [QE]
10. [QS]अपने जाननेवालों पर करुणा करता रह, [QE][QS]और अपने धर्म के काम सीधे [QE][QS]मनवालों में करता रह! [QE]
11. [QS]अहंकारी मुझ पर लात उठाने न पाए, [QE][QS]और न दुष्ट अपने हाथ के [QE][QS]बल से मुझे भगाने पाए। [QE]
12. [QS]वहाँ अनर्थकारी गिर पड़े हैं; [QE][QS]वे ढकेल दिए गए, और फिर उठ न सकेंगे। [QE]
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1 {परमेश्‍वर का प्रेम और मनुष्य की दुष्टता } प्रधान बजानेवाले के लिये यहोवा के दास दाऊद का भजन दुष्ट जन का अपराध उसके हृदय के भीतर कहता है; परमेश्‍वर का भय उसकी दृष्टि में नहीं है। (रोम. 3:18) 2 वह अपने अधर्म के प्रगट होने और घृणित ठहरने के विषय अपने मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है। 3 उसकी बातें अनर्थ और छल की हैं; उसने बुद्धि और भलाई के काम करने से हाथ उठाया है। 4 वह अपने बिछौने पर पड़े-पड़े अनर्थ की कल्पना करता है*; वह अपने कुमार्ग पर दृढ़ता से बना रहता है; बुराई से वह हाथ नहीं उठाता। 5 हे यहोवा, तेरी करुणा स्वर्ग में है, तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुँची है। 6 तेरा धर्म ऊँचे पर्वतों के समान है, तेरा न्याय अथाह सागर के समान हैं; हे यहोवा, तू मनुष्य और पशु दोनों की रक्षा करता है। 7 हे परमेश्‍वर, तेरी करुणा कैसी अनमोल है! मनुष्य तेरे पंखो के तले शरण लेते हैं। 8 वे तेरे भवन के भोजन की बहुतायत से तृप्त होंगे, और तू अपनी सुख की नदी में से उन्हें पिलाएगा। 9 क्योंकि जीवन का सोता तेरे ही पास है*; तेरे प्रकाश के द्वारा हम प्रकाश पाएँगे। (यहू. 4:10, 14, प्रका. 21:6) 10 अपने जाननेवालों पर करुणा करता रह, और अपने धर्म के काम सीधे मनवालों में करता रह! 11 अहंकारी मुझ पर लात उठाने न पाए, और न दुष्ट अपने हाथ के बल से मुझे भगाने पाए। 12 वहाँ अनर्थकारी गिर पड़े हैं; वे ढकेल दिए गए, और फिर उठ न सकेंगे।
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