पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
भजन संहिता
1. {#1स्तुति का एक गीत } [QS][PS]*प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन *[PE][PBR]मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा; [QE][QS]और उसने मेरी ओर झुककर मेरी दुहाई सुनी। [QE]
2. [QS]उसने मुझे सत्यानाश के गड्ढे [QE][QS]और दलदल की कीच में से उबारा*, [QE][QS]और मुझ को चट्टान पर खड़ा करके [QE][QS]मेरे पैरों को दृढ़ किया है। [QE]
3. [QS]उसने मुझे एक नया गीत सिखाया [QE][QS]जो हमारे परमेश्‍वर की स्तुति का है। [QE][QS]बहुत लोग यह देखेंगे और उसकी महिमा करेंगे, [QE][QS]और यहोवा पर भरोसा रखेंगे। (प्रका. 5:9, प्रका. 14:3, भज. 52:6) [QE]
4. [QS]क्या ही धन्य है वह पुरुष, [QE][QS]जो यहोवा पर भरोसा करता है, [QE][QS]और अभिमानियों और मिथ्या की [QE][QS]ओर मुड़नेवालों की ओर मुँह न फेरता हो। [QE]
5. [QS]हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, तूने बहुत से काम किए हैं! [QE][QS]जो आश्चर्यकर्मों और विचार तू हमारे लिये करता है [QE][QS]वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! [QE][QS]मैं तो चाहता हूँ कि खोलकर उनकी चर्चा करूँ, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती। [QE]
6. [QS]मेलबलि और अन्नबलि से तू प्रसन्‍न नहीं होता [QE][QS]तूने मेरे कान खोदकर खोले हैं। [QE][QS]होमबलि और पापबलि तूने नहीं चाहा*। [QE]
7. [QS]तब मैंने कहा, [QE][QS]“देख, मैं आया हूँ; क्योंकि पुस्तक में [QE][QS]मेरे विषय ऐसा ही लिखा हुआ है। [QE]
8. [QS]हे मेरे परमेश्‍वर, [QE][QS]मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्‍न हूँ; [QE][QS]और तेरी व्यवस्था मेरे अन्तःकरण में बसी है।” (इब्रा. 10:5-7) [QE]
9. [QS]मैंने बड़ी सभा में धर्म के शुभ समाचार का प्रचार किया है; [QE][QS]देख, मैंने अपना मुँह बन्द नहीं किया हे यहोवा, [QE][QS]तू इसे जानता है। [QE]
10. [QS]मैंने तेरा धर्म मन ही में नहीं रखा; [QE][QS]मैंने तेरी सच्चाई [QE][QS]और तेरे किए हुए उद्धार की चर्चा की है; [QE][QS]मैंने तेरी करुणा और सत्यता बड़ी सभा से गुप्त नहीं रखी। [QE]
11. [QS]हे यहोवा, तू भी अपनी बड़ी दया मुझ पर से न हटा ले, [QE][QS]तेरी करुणा और सत्यता से निरन्तर [QE][QS]मेरी रक्षा होती रहे! [QE]
12. [QS]क्योंकि मैं अनगिनत बुराइयों से घिरा हुआ हूँ; [QE][QS]मेरे अधर्म के कामों ने मुझे आ पकड़ा [QE][QS]और मैं दृष्टि नहीं उठा सकता; [QE][QS]वे गिनती में मेरे सिर के बालों से भी अधिक हैं; इसलिए मेरा हृदय टूट गया। [QE]
13. [QS]हे यहोवा, कृपा करके मुझे छुड़ा ले! [QE][QS]हे यहोवा, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर! [QE]
14. [QS]जो मेरे प्राण की खोज में हैं, [QE][QS]वे सब लज्जित हों; और उनके मुँह काले हों [QE][QS]और वे पीछे हटाए और निरादर किए जाएँ [QE][QS]जो मेरी हानि से प्रसन्‍न होते हैं। [QE]
15. [QS]जो मुझसे, “आहा, आहा,” कहते हैं, [QE][QS]वे अपनी लज्जा के मारे विस्मित हों। [QE]
16. [QS]परन्तु जितने तुझे ढूँढ़ते हैं, [QE][QS]वह सब तेरे कारण हर्षित [QE][QS]और आनन्दित हों; जो तेरा किया हुआ उद्धार चाहते हैं, [QE][QS]वे निरन्तर कहते रहें, “यहोवा की बड़ाई हो!” [QE]
17. [QS]मैं तो दीन और दरिद्र हूँ, [QE][QS]तो भी प्रभु मेरी चिन्ता करता है। [QE][QS]तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है; [QE][QS]हे मेरे परमेश्‍वर विलम्ब न कर। [QE]
Total 150 अध्याय, Selected अध्याय 40 / 150
स्तुति का एक गीत 1 प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा; और उसने मेरी ओर झुककर मेरी दुहाई सुनी। 2 उसने मुझे सत्यानाश के गड्ढे और दलदल की कीच में से उबारा*, और मुझ को चट्टान पर खड़ा करके मेरे पैरों को दृढ़ किया है। 3 उसने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्‍वर की स्तुति का है। बहुत लोग यह देखेंगे और उसकी महिमा करेंगे, और यहोवा पर भरोसा रखेंगे। (प्रका. 5:9, प्रका. 14:3, भज. 52:6) 4 क्या ही धन्य है वह पुरुष, जो यहोवा पर भरोसा करता है, और अभिमानियों और मिथ्या की ओर मुड़नेवालों की ओर मुँह न फेरता हो। 5 हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, तूने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्मों और विचार तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूँ कि खोलकर उनकी चर्चा करूँ, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती। 6 मेलबलि और अन्नबलि से तू प्रसन्‍न नहीं होता तूने मेरे कान खोदकर खोले हैं। होमबलि और पापबलि तूने नहीं चाहा*। 7 तब मैंने कहा, “देख, मैं आया हूँ; क्योंकि पुस्तक में मेरे विषय ऐसा ही लिखा हुआ है। 8 हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्‍न हूँ; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्तःकरण में बसी है।” (इब्रा. 10:5-7) 9 मैंने बड़ी सभा में धर्म के शुभ समाचार का प्रचार किया है; देख, मैंने अपना मुँह बन्द नहीं किया हे यहोवा, तू इसे जानता है। 10 मैंने तेरा धर्म मन ही में नहीं रखा; मैंने तेरी सच्चाई और तेरे किए हुए उद्धार की चर्चा की है; मैंने तेरी करुणा और सत्यता बड़ी सभा से गुप्त नहीं रखी। 11 हे यहोवा, तू भी अपनी बड़ी दया मुझ पर से न हटा ले, तेरी करुणा और सत्यता से निरन्तर मेरी रक्षा होती रहे! 12 क्योंकि मैं अनगिनत बुराइयों से घिरा हुआ हूँ; मेरे अधर्म के कामों ने मुझे आ पकड़ा और मैं दृष्टि नहीं उठा सकता; वे गिनती में मेरे सिर के बालों से भी अधिक हैं; इसलिए मेरा हृदय टूट गया। 13 हे यहोवा, कृपा करके मुझे छुड़ा ले! हे यहोवा, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर! 14 जो मेरे प्राण की खोज में हैं, वे सब लज्जित हों; और उनके मुँह काले हों और वे पीछे हटाए और निरादर किए जाएँ जो मेरी हानि से प्रसन्‍न होते हैं। 15 जो मुझसे, “आहा, आहा,” कहते हैं, वे अपनी लज्जा के मारे विस्मित हों। 16 परन्तु जितने तुझे ढूँढ़ते हैं, वह सब तेरे कारण हर्षित और आनन्दित हों; जो तेरा किया हुआ उद्धार चाहते हैं, वे निरन्तर कहते रहें, “यहोवा की बड़ाई हो!” 17 मैं तो दीन और दरिद्र हूँ, तो भी प्रभु मेरी चिन्ता करता है। तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है; हे मेरे परमेश्‍वर विलम्ब न कर।
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