1. {#1धर्मीजन की पीड़ा और आशीर्वाद } [QS][PS]*प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन *[PE][PBR]क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! [QE][QS]विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा। [QE]
2. [QS]यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा, [QE][QS]और वह पृथ्वी पर भाग्यवान होगा। [QE][QS]तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़। [QE]
3. [QS]जब वह व्याधि के मारे शय्या पर पड़ा हो*, [QE][QS]तब यहोवा उसे सम्भालेगा; [QE][QS]तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा। [QE]
4. [QS]मैंने कहा, “हे यहोवा, मुझ पर दया कर; [QE][QS]मुझ को चंगा कर, [QE][QS]क्योंकि मैंने तो तेरे विरुद्ध पाप किया है!” [QE]
5. [QS]मेरे शत्रु यह कहकर मेरी बुराई करते हैं [QE][QS]“वह कब मरेगा, और उसका नाम कब मिटेगा?” [QE]
6. [QS]और जब वह मुझसे मिलने को आता है, [QE][QS]तब वह व्यर्थ बातें बकता है, [QE][QS]जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; [QE][QS]और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है। [QE]
7. [QS]मेरे सब बैरी मिलकर मेरे विरुद्ध कानाफूसी करते हैं; [QE][QS]वे मेरे विरुद्ध होकर मेरी हानि की कल्पना करते हैं। [QE]
8. [QS]वे कहते हैं कि इसे तो कोई बुरा रोग लग गया है; [QE][QS]अब जो यह पड़ा है, तो फिर कभी उठने का नहीं*। [QE]
9. [QS]मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, [QE][QS]जो मेरी रोटी खाता था, [QE][QS]उसने भी मेरे विरुद्ध लात उठाई है। (2 शमू. 15:12, यूह. 13:18, प्रेरि. 1:16) [QE]
10. [QS]परन्तु हे यहोवा, तू मुझ पर दया करके [QE][QS]मुझ को उठा ले कि मैं उनको बदला दूँ। [QE]
11. [QS]मेरा शत्रु जो मुझ पर जयवन्त नहीं हो पाता, [QE][QS]इससे मैंने जान लिया है कि तू मुझसे प्रसन्न है। [QE]
12. [QS]और मुझे तो तू खराई से सम्भालता, [QE][QS]और सर्वदा के लिये अपने सम्मुख स्थिर करता है। [QE]
13. [QS]इस्राएल का परमेश्वर यहोवा [QE][QS]आदि से अनन्तकाल तक धन्य है [QE][QS]आमीन, फिर आमीन। (लूका 1:68, भजन 106:48) [QE]